अच्छी खबर: दिव्यांगों को आईपीएस के लिए आवेदन करने की सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम इजाजत

 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सिविल सेवा परीक्षा पास कर चुके शारीरिक रूप से दिव्यांग आवेदकों को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), भारतीय रेलवे सुरक्षा बल (आईआरपीएफएस) और दिल्ली, दमन एवं दीव, दादर एवं नगर हवेली, अंडमान एवं निकोबार द्वीप पुलिस सेवा (दानिप्स) में आवेदन करने की अंतरिम रूप से इजाजत दे दी है।

जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनजीओ ‘नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ डिसेबल्ड’ द्वारा दायर उस रिट याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया जिसमें दिव्यांगों को इन सेवाओं से पूरी तरह से बाहर करने को चुनौती दी गई थी।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार इस याचिका पर जवाब दाखिल करना चाहती है। पीठ ने पिछली तारीख पर अटॉर्नी जनरल से इस मामले में सहायता करने के लिए कहा था। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा।

याचिकाकर्ताओं ने कहा, उनके दावे कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर होंगे
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील अरविंद पी दातार ने याचिकाकर्ताओं और इसी तरह के अन्य व्यक्तियों को अगले सप्ताह तक यूपीएससी के महासचिव को अपना आवेदन पत्र जमा करने की अनुमति देने के लिए एक अंतरिम आदेश की मांग की। उन्होंने कहा कि उनके दावे कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर होंगे। उन्होंने बताया कि आवेदन की अंतिम तिथि 24 मार्च थी। अटॉर्नी जनरल ने भी कहा कि आवेदन करने की इजाजत दी जा सकती है।

आदेश को चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप न माना जाए
पीठ ने कहा कि वह अंतरिम प्रार्थना को ‘उचित’ मानती है। लिहाजा पीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं और उनकी तरह के अन्य लोग एक अप्रैल तक आवेदन जमा करा सकते हैं। पीठ ने साफ किया कि एक अप्रैल को शाम चार बजे के बाद प्राप्त आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा।

सॉलिसिटर जनरल ने पीठ से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि वर्तमान में चल रही चयन प्रक्रिया बाधित नहीं होगी। इसके बाद पीठ ने स्पष्ट किया कि इस आदेश को चल रही चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। मामले पर अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।