आर्थिक संकट का सामना कर रही मप्र सरकार का शराब बिक्री से भर रहा खजाना, आय में 12.63 की वृद्धि

गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रही प्रदेश सरकार को लगातार शराब से होने वाली आय बेहद मददगार बनी हुई है। इसकी वजह है इससे होने वाली साल दर साल आय में वृद्धि। इस बार भी बीते साल की तुलना में शराब से होने वाली आय में 12.63 की वृद्धि हुई है। इसकी वजह से इस साल सरकार को इस मद से बीते साल की तुलना में 1561 करोड़ रुपए अधिक मिलेंगे। 931 समूहों ने मप्र की 3600 कंपोजिट मदिरा दुकान ली हैं। इससे  प्रतिशत है।
राज्य शासन ने 8 फरवरी को 2024- 25 के लिए आबकारी नीति जारी की। प्रदेश की सभी 3600 मदिरा दुकान पिछले वर्ष की तरह नवीनीकरण और लॉटरी तथा ई- टेंडर के माध्यम से पूरी की। इसमें 2023-24 के वार्षिक मूल्य में 15 प्रतिशत की वृद्धि कर आरक्षित मूल्य का निर्धारण किया। 32 जिलों में नवीनीकरण लॉटरी से 75 प्रतिशत से ज्यादा राजस्व प्राप्त होने पर किया। सात जिलों में सभी समूहों का नवीनीकरण लॉटरी से किया। बाकी चार जिलों में एकल समूह में कोई निविदा प्राप्त नहीं होने पर जिला निष्पादन समिति ने विभिन्न आकार के समूहों में पुर्नगठित कर ई-टेंडर की कार्रवाई की है।

 मदिरा दुकानों से 2023-24 में 3.7 प्रतिशत की वृद्धि प्राप्त हुई थी। यह 2022-23 में 11.5 प्रतिशत एवं 2021-22 में 9.06 फीसदी रही। 2024-25 की प्राप्त 12.6 प्रतिशत की वृद्धि गत चार वर्षों में सर्वाधिक है। जिलावार स्थिति में छिंदवाड़ा 20.81 प्रतिशत की वृद्धि के साथ पहले स्थान पर। उज्जैन 20.73 प्रतिशत के साथ दूसरे और बड़वानी 19.66 प्रतिशत की वृद्धि के साथ तीसरे स्थान पर रहा।वित्त वर्ष 2021-22 में 9.06 प्रतिशत आय बढ़ी थी। इसके बाद 2022-23 में 11.5 और बीते वित्त वर्ष में 2023-24 में 3.7 प्रतिशत बढ़ी। जबकि वर्ष 2024-25 की प्राप्त 12.6 प्रतिशत की वृद्धि पिछले 4 वर्षों में सर्वाधिक है।

 यूपी में शराब पर टैक्स से राज्य सरकार 58 हजार करोड़ जुटाती है, जबकि पेट्रोल व डीजल पर वैट से 40,360 करोड़। इसी तरह, पंजाब में पेट्रोल-डीजल पर वैट से 7033 करोड़ और शराब से 9785 करोड़ रु. टैक्स आता है। प. बंगाल में 13,280 करोड़ के मुकाबले शराब से 17,921 करोड़ टैक्स मिलता है। इस मामले में महाराष्ट्र की स्थिति उलट है। वहां शराब पर टैक्स से 25,200 करोड़ रु., जबकि पेट्रोल-डीजल पर वैट से 55,470 करोड़ रु. आते हैं।