दक्षिण विधानसभा के कई क्षेत्रों में भरपूर समर्थन पाने में नाकाम साबित हो रहे प्रवीण पाठक, लोगों ने कहा-हमने आज तक शक्ल नहीं देखी

 

ग्वालियर। ग्वालियर जिले की हॉट सीट साबित हो रही दक्षिण विधानसभा में कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, उसी गति से विधानसभा चुनाव का प्रचार हो रहा है। बीजेपी सत्ता पक्ष में है तो वह संसाधनों को झोंक कर चुनाव प्रचार में लगी है। वहीं कांग्रेस के मौजूदा विधायक प्रवीण पाठक युवा है और स्वयं को दक्षिण का बेटा टैगलाइन से संबोधित करते हैं लेकिन वह लोगों का भरपूर समर्थन पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। लश्कर क्षेत्र के एक दर्जन स्थान ( विशेषकर ब्राह्मण बाहुल्य) के लोगों ने Byline24.com से चर्चा के दौरान बताया कि हमने आज तक अपने मोहल्ले में विधायक पाठक की शक्ल नहीं देखी है। इधर ब्राह्मण समाज के लोगों ने भी कहा कि हमारे घर पर चुनाव प्रचार के लिए उम्मीदवार के समर्थक आ रहे हैं लेकिन विधायक पाठक को हमने अब तक नहीं देखा है। लोग खुलकर बोल रहे हैं पूरे। 5 साल तक कईं क्षेत्रों में अपनी विधायक निधि से सीमेंटेड बेंच रखवाई जरूर है लेकिन उसके अलावा मूलभूत सुविधाओं के लिए कोई भी प्रयास नहीं किए हैं। बता दें की 2018 में कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को दक्षिण विधानसभा से अपना उम्मीदवार घोषित किया था और भाजपा ने नारायण सिंह कुशवाहा को टिकट दिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के करीबी प्रवीण का भाजपा के नारायण सिंह कुशवाह से काँटे का मुकाबला रहा था। कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा होते ही पार्टी में नाराजगी के स्वर फूटे।इसके चलते जिला कांग्रेस कार्यालय पर कुछ कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा कर उनके पोस्टर फाड़े और उन पर कालिख भी पोती थी। हंगामा करने वालों में से कुछ पूर्व मंत्री भगवान सिंह यादव और कुछ रश्मि पवार शर्मा के समर्थन में नारे लगाए थे।उल्लेखनीय है कि 2018 में ग्वालियर दक्षिण सीट से पूर्व मंत्री भगवान सिंह यादव और रश्मि पवार शर्मा के साथ -साथ किशन मुदगल भी टिकट के दावेदार थे। इधर भाजपा नेत्री और पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा,जिस कारण से समीकरण बिगड़ गए और पाठक को उसका लाभ मिला। पाठक एक सैंकड़ा से ज़्यादा मतों से विजय घोषित हुए थे। इस बार कांग्रेस हाईकमान ने जीत के कम अंतराल के बाद भी टिकट दिया है, इस कारण से कांग्रेस पार्टी के अन्य संभावित उम्मीदवार थे वह भी खासे नाराज बताए जा रहे हैं। कई लोगों ने कहा कि विधायक पाठक ने अपने निवास स्थान के आसपास ही ज्यादा ध्यान दिया है जबकि अन्य क्षेत्रों में विकास कार्य संभव नहीं हुए। कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ ने बताया कि प्रवीण पाठक की छवि यकीनन साफ है लेकिन कई क्षेत्रों में उनकी पकड़ नहीं है। चूँकि वह जमीनी स्तर के नेता नहीं हैं इसलिए लोगों से उनका संवाद भी उतना गहरा नहीं हैं वहीं विधायक होने का सबसे ज्यादा फायदा उनके समर्थक और रिश्तेदारों को ही मिला है। कमल सिंह का बाग निवासी विपिन दुबे ने बताया कि इतने दिनों से चुनाव प्रचार चल रहा है मैंने सिर्फ उनके समर्थकों को देखा है, उन्हें नहीं देखा है सिर्फ एक बार वह गणेश उत्सव में शामिल हुए थे। छप्पर वाला पुल, नहर पट्टर के रहने वाले घनश्याम शिवहरे ने बताया कि प्रवीण पाठक की छवि तो अच्छी है लेकिन व्यक्तिगत तौर पर लोग उन्हें जानते नहीं है अगर वह पूरे 5 साल अपनी विधानसभा का भ्रमण करते और वन-टू-वन लोगों से चर्चा करते तो उन्हें भरपूर समर्थन मिल सकता था।

 

✍️राजेश शुक्ला, एडीटर इन चीफ Byline24.com

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