फ़र्ज़ीवाड़ा : मुरैना के झुंडपुरा में 12 साल से कागजों पर चल रहा कालेज, कांग्रेस का आरोप-कागजों पर दे दिया 800 छात्रों को एडमीशन

भोपाल/ मुरैना। मुरैना जिले की तहसील सबलगढ़ के ग्राम-झुंडपुरा में वर्ष 2011 से लगातार जीवाजी विश्व विद्यालय, ग्वालियर के अंतर्गत शिवशक्ति महाविद्यालय कागजों पर चल रहा है। यही नहीं कालेज में 800 छात्रों को एडमीशन भी दे दिया गया। कांग्रेस ने पूछा है कि क्या प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव यह बताने की स्थिति में हैं कि यह कॉलेज कहां पर काबिज है?
कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा का कहना है कि प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के अग्रज जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के तत्कालीन कुलसचिव डॉ. आनंद मिश्रा के कार्यकाल में इस कॉलेज की शुरूआत हुई थी। इनके ही कार्यकाल में यह फर्जी महाविद्यालय आज भी कागजों पर संचालित हो रहा है, जिसमें नियमों-कानूनों को धता बताकर पहले ही वर्ष बीसीए, बीए, बीएससी, बीकाम में कुल 830 छात्रों के प्रवेश की अनुमति दे दी गई! झुंडपुरा गांव के जन्म से लेकर आज तक कभी भी यहां उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं रही। यहां संबद्धता के निरीक्षण, छात्रों के प्रवेश स्कालरशिप सब कुछ फर्जी है! अब सवाल यह उठता है कि जब कुछ है ही नहीं तब जीवाजी विश्व विद्यालय के प्रोफेसर 12 साल से कहां और कौन सा निरीक्षण करने जाते रहे हैं? बाकायदा उनके निरीक्षण की रिपोर्ट भी विश्व विद्यालय में जमा करायी जाती रही है, विश्व विद्यालय के परीक्षा प्रश्न पत्र, काफी, अंकसूची किस पते पर जा रही है?
श्री मिश्रा का आरोप है कि कहने को तो यहां प्राचार्य के रूप में डॉ. अरूण कुमार मिश्रा का नाम दर्ज है, किंतु उन्होंने कभी भी इस पद पर आवेदन ही नहीं किया, फिर जीवाजी विश्व विद्यालय ने उनका चयन कैसे कर दिया? जीवाजी विश्व विद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रोफेसर अभिनाश तिवारी वर्ष 2014 में इस कॉलेज का निरीक्षण कर चुके हैं और इन्हीं प्रोफेसर तिवारी ने इस कॉलेज में वर्ष 2018 में वनस्पति विज्ञान विषय के एक प्रोफेसर की नियुक्ति भी कर दी, यह सब क्या हो रहा है?
श्री मिश्रा ने कहा कि मप्र शासन का उच्च शिक्षा विभाग क्या इस फर्जीवाडे़ की सूक्ष्म जांच करवाकर वर्ष 2011-23 तक इस महाविद्यालय को संबद्धता देने वाले अधिकारियों, बारह सालों से मात्र कागजों में निरीक्षण करने वाले प्रोफेसरों और कॉलेज संचालक पर एफआईआर दर्ज करेगा? यह 50 प्रतिशत नहीं, बल्कि प्रदेश में 100 फीसदी भ्रष्टाचार का ज्वलंत उदाहरण है। इस तरह के ऐसे और भी कई फर्जी संस्थान चल रहे हैं, जिसकी जांच होकर इन संस्थानों से जुड़े शिक्षा माफियाओं/ दलालों/ अधिकारियों के कुत्सित गठबंधन पर सख्त और दिखायी देने वाली कार्यवाही होना चाहिए।