मप्र के मुख्यमंत्री लायसेंसी हथियारों पर सख्त, पिस्टल-रिवाल्वर के 500 से ज्यादा आवेदन मंत्रालय में, वापस लौटाने की तैयारी

ग्वालियर। आर्म्स लायसेंस पाने की चाहत रखने वालों के लिए अच्छी खबर नहीं है। विधानसभा चुनाव के बाद से मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की सरकार ने पूरे प्रदेशभर में पिस्टल-रिवाल्वर के एक भी नया लायसेंस स्वीकृत नहीं किया है। ग्वालियर-संभाग समेत प्रदेश भर से 500 से ज्यादा पिस्टल-रिवाल्वर के नवीन आवेदन भोपाल स्थित मंत्रालय में लंबे समय से अलमारियों में बंद इसकी गवाही दे रहे हैं। मुख्यमंत्री की मंशा साफ है। हथियार का लायसेंस उन्हीं को मिलेगा जिसे जान का खतरा है या वह बेरोजगार है। नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए थे। विस चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले ग्वालियर कलेक्टोरेट में 60 से ज्यादा आवेदन पिस्टल-रिवॉल्वर के जमा हुए थे। जैसे ही नई सरकार ने शपथ ली तो लोगों को उम्मीद थी कि उनके लायसेंस जल्द ही स्वीकृत हो जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मंत्रालय से जुड़े सूत्र बताते हैं कि मोहन यादव की सरकार से पूर्व मंत्रालय में ग्वालियर से करीबन 80 से 90 पिस्टल-रिवाल्वर के लायसेंस (संभवत:अंचल भी शामिल) स्वीकृत हुए। इसके बाद नई सरकार ने सिर्फ दो लायसेंस स्वीकृत किए जिसमें एक ग्वालियर और एक भोपाल का बताया जा रहा है। ग्वालियर जिलाधीश कार्यालय स्थित शस्त्र शाखा में पिस्टल-रिवाल्वर समेत 315 और 12 बोर के लायसेंस के आवेदनों की फाइलें जमा हैं। खास बात यह है कि इन आवेदकों ने बाकायदा रेडक्रॉस की रसीद भी कटाई है। उसके भी बाद भी भोपाल से लायसेंस स्वीकृत नहीं हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि गृह विभाग ने नए आर्म्स लायसेंस के आवेदनों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। मुख्यमंत्री नहीं चाहते हैं कि सिर्फ शौक पूरा करने के लिए लिए लायसेंस दिए जाएं। यही कारण है कि नई सरकार को लगभग पांच माह हो चुके हैं, लेकिन नई सरकार की मंशा हथियार कल्चर को कम करने की बताई जा रही है। इस कारण से ग्वालियर-अंचल समेत प्रदेश भर के आवेदकों का कमर पर पिस्टल-रिवाल्वर टांगने के सपने पर ब्रेक लग गए हैं।
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जान का खतरा है तभी मिलेगा लायसेंस
उल्लेखनीय है कि ग्वालियर-चंबल संभाग में लायसेंसी आर्म्स की संख्या बहुतायत में हंै। हर साल बड़ी संख्या में नए आर्म्स लायसेंस जारी होते है। इनमें राइफल और 12 बोर के लायसेंस तो कमिश्नर और कलेक्टर की अनुशंसा पर ही जारी हो जाते हंै लेकिन पिस्टल-रिवाल्वर के लायसेंस गृह विभाग जारी करता है। युवाओं में छोटे आर्म्स का क्रेज ज्यादा है। इस कारण से वे पिस्टल-रिवॉल्वर के लायसेंस बनवाने के लिए लाखों रुपए देने में भी गुरेज नहीं करते हैं।
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मुख्यमंत्री के आदेश के बाद गृह विभाग की सख्ती
आर्म्स का गलत इस्तेमाल व प्रदर्शन के कारण गृह विभाग ने इसके लिए इस बार कड़े नियम बनाए हंै। जिसमें साफ उल्लेख है कि जिसको लगता है कि वाकई में उसकी जान को खतरा है तो इसकी जांच के बाद ही लायसेंस जारी होने पर विचार हो सकता है। शिन्दे की छावनी निवासी विकास शर्मा ने बताया कि मेरे पिस्टल के लायसेंस की फाइल 26 नवंबर 2023 को स्वीकृत हो गई थी। लेकिन तब से अब तक क्या स्टेटस है यह जानकारी नहीं मिल रही है। मुरार निवासी अशोक शर्मा ने बताया कि नई सरकार बन जाने के बाद पिस्टल का लायसेंस जमा किया था। रेडक्रॉस की रसीद कटाई लेकिन आचार संहिता लगने से पहले भोपाल से लेटर आया कि आवेदन रद्द हो गया है।
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पूरे प्रदेश भर से फाइलें लौट रहीं
गृह विभाग के सूत्र का कहना है कि मुख्यमंत्री ने रिवॉल्वर-पिस्टल के लायसेंस से संबंधित पुरानी फाइलें भी वापस भिजवा दी हैं। मुख्यमंत्री के सख्त रवैये को देखते हुए कलेक्टर कार्यालय से भी रिवॉल्वर-पिस्टल की फाइलें गृह विभाग को नहीं भेजी जा रही हैं। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री प्रदेश भर विशेषकर ग्वालियर-अंचल में हथियारों की बढ़ती संख्या और हर्ष फायर को लेकर हुई मौतों के बाद सख्त रवैया अपना रहे हैं। ग्वालियर जिलाधीश कार्यालय से भी पिस्टल और रिवॉल्वर की फाइलें पांच माह से इक्का-दुक्का ही भोपाल के लिए भेजी गईं हैं।