25-30 सीटों पर प्रत्याशी चयन बना टेढ़ी खीर; सर्वे की रिपोर्ट से असमंजस में भाजपा, सांसदों को मैदान में उतारने का बनाया मन
भोपाल । पहली सूची जारी कर भाजपा ने भले ही चुनावी रणनीति में बाजी मार ली है, लेकिन प्रदेश में 25-30 सीटें ऐसी भी जहां प्रत्याशी चयन करने में पार्टी सतर्कता बरत रही है। दरअसल, पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे में इन सीटों पर पार्टी की हालत खस्ता बताई जा रही है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकार इन सीटों पर अप्रत्याशित चेहरों को टिकट दे सकती है।
भाजपा के सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में भाजपा सरकार बनाने के लिए पूरी तरह आश्वस्त है। लेकिन इसके बाद भी पार्टी टिकट वितरण में काफी सतर्कता बरत रही है। इसी रणनीति के तहत उन सीटों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है जहां सर्वे की रिपोर्ट में पार्टी की हालत खस्ता बता रही है। इन सीटों पर मौजूदा सांसदों को मैदान में उतारने का मन बना रही है। सूत्रों की मानें तो इन सांसदों से चुनाव लडऩे उनकी राय मांगी गई है। तकरीबन एक माह से उम्मीदवारों की तलाश कर रहे भाजपा नेताओं के सामने दो दर्जन से ज्यादा सीट परेशानी का सबब बनी हुई हैं। इन पर पार्टी और संघ की सर्वे रिपोर्ट निगेटिव है। इतना ही नहीं सरकारी एंजेसियों ने भी साफ कर दिया है कि इन सीटों पर जीतने के लिए पार्टी को काफी मेहनत करनी पड़ेगी। दो दर्जन से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, जहां वर्तमान में पार्टी के विधायक हैं, लेकिन उन्हें मतदाता फिर से विधायक के रूप में नहीं देखना चाहते हैं।
जिताऊ प्रत्याशी की तलाश
पार्टी हर सीट पर जांच परख और सर्वे के आधार पर टिकट तय करने की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे में जिताऊ प्रत्याशी की तलाश में कुछ सांसदों को भी चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। पार्टी नर्मदापुरम से सांसद राव उदयप्रताप सिंह को उनकी पुरानी सीट तेंदूखेड़ा से उतार सकती है। शहडोल सांसद हिमांद्री सिंह को जैतपुर या अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा जा सकता है। अनूपपुर से वरिष्ठ मंत्री बिसाहूलाल सिंह मौजूदा विधायक हैं, लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि उम्र व दूसरे कारणों से पार्टी उन्हें टिकट देने से बच सकती है। इसी तरह इस संसदीय क्षेत्र में आने वाले जैतपुर में भी मौजूदा विधायक मनीषा सिंह का टिकट खतरे में पड़ सकता है। मनीषा वरिष्ठ नेता जयसिंह मरावी की रिश्तेदार बताई जाती हैं, लेकिन पार्टी जीत के फार्मूले पर फोकस कर वहां से मनीषा का टिकट काटा जा सकता है और हिमांद्री सिंह को यहां से चुनाव लडऩे को कहा जा सकता है। वहीं सीधी संसदीय क्षेत्र में आने वाले सिंगरौली, सिहावल और सीधी विधानसभा के लिए पार्टी को जीतने वाले उम्मीदवार की तलाश है। सीधी से मौजूदा विधायक केदारनाथ शुक्ला को लेकर तय नहीं है कि उन्हें एक बार फिर से मैदान में उतारा जा सकता है, तो सिंगरौली विधायक रामलल्लू वैश्य अपने बेटे की वजह से मुसीबत में है। पार्टी उनके स्थान पर दूसरे चेहरे को चुनाव लड़वाना चाहती है। इसी तरह सिहावल विधानसभा कांग्रेस के कब्जे में है और पार्टी यहां से किसी मजबूत उम्मीदवार को उतारना चाहती है। हालांकि यहां से पूर्व विधायक विश्वामित्र पाठक दावेदारों की फेहरिस्त में शामिल हैं, लेकिन पिछला चुनाव वे निर्दलीय लड़ चुके हैं। ऐसे में पार्टी के दूसरे नेता उनका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में चर्चा है कि इन तीन सीटों में से किसी एक पर यहां से सांसद रीति पाठक को मैदान में उतार सकती है। हालांकि रीति इस बात से इंकार कर रही हैं। रतलाम झाबुआ सीट से सांसद गुमान सिंह डामोर को भी पार्टी झाबुआ से विधानसभा चुनाव लड़ा सकती है। झाबुआ से वर्तमान में कांतिलाल भूरिया विधायक हैं। पेटलावाद, रतलाम ग्रामीण और सैलाना के लिए भी उनका नाम निर्णयकर्ताओं की सूची में है। इस संबंध में डामोर स्वीकार कर रहे हैं कि भोपाल से उनसे चुनाव लडऩे को बोला गया, था, किन्तु उन्होंने मना कर दिया था। इनके अलावा सतना सांसद गणेश सिंह के अमरपाटन से चुनाव लड़ाने की चर्चा है। ऐसी 127 सीटें हैं। इन पर पार्टी खास सर्वे करा रही है। पार्टी गुजरात का फार्मूला अपना सकती है।
कट सकता है 60 विधायकों का टिकट
भाजपा के अभी तक के आकलन में यह बात सामने आई है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा करीब 60 विधायकों का टिकट काट सकती है। दरअसल, पार्टी ने मुश्किल सीटों पर दूसरे चेहरे की तलाश की है, लेकिन आम राय नहीं बन पाई है। जहां टिकट बदलना है या विधायक का टिकट काटना है, वहां एक नहीं कई दावेदार हैं। इससे विरोध की भी आशंका है। ऐसे में पार्टी नेताओं ने स्थानीय सांसदों को मैदान में उतारने का मन बनाया है।