71 साल बाद अपने नाना पंडित नेहरू के बाद नातिन प्रियंका गांधी ने वीरांगना लक्ष्मीबाई को श्रद्धांजलि अर्पित कर इतिहास बदला

 

राजेश शुक्ला, ग्वालियर। ग्वालियर में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का ग्वालियर दौरा 21 जुलाई को संपन्न हुआ है ।यहां पर वह विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जन आक्रोश रैली में शामिल होने आईं थीं । श्रीमती प्रियंका गांधी का यह पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था कि वह वीरांगना लक्ष्मी बाई की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने जाएंगी और ऐसा हुआ भी। वे लक्ष्मी बाई की समाधि स्थल पर पहुंची। वहां नतमस्तक होकर उन्होंने अपनी  श्रद्धांजलि अर्पित की।

इसके इतर कई नेशनल अखबार और सोशल मीडिया पर यह चर्चा शुरू हो गई है कि प्रियंका -गांधी परिवार की पहली सदस्य हैं जिन्होंने वीरांगना लक्ष्मीबाई स्मारक पर अपने कदम रखें। कई राजनीतिक दल इसे वोट की पॉलिटिक्स को लेकर अपने बयान दे रहे हैं । लेकिन ऐसा कतई नहीं है। यहां आपको बता दें कि एक दिसंबर1952 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल लाल नेहरू वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने आए थे। उनके साथ मध्य भारत प्रांत के  कुछ मंत्री भी शामिल रहे थे।

इतिहास फिर गवाही दे रहा है । सात दशक के बाद अपने नाना और प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के वीरांगना लक्ष्मीबाई समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद आज उनकी नातिन प्रियंका गांधी ने वीरांगना लक्ष्मीबाई की शहादत को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

यह भी बताना उल्लेखनीय होगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू इस दौरान कमलाराजा अस्पताल का उद्घाटन करने ग्वालियर आए थे। इससे पूर्व चाचा नेहरू 28 मई 1948 को आए थे , जब मध्यभारत प्रांत का गठन हुआ था। यहां एयरपोर्ट पर नेहरू जी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और स्वयं ग्वालियर रियासत के महाराजा जीवाजीराव सिंधिया उन्हें अपनी कार से लेकर आए थे।

ऐतिहासिक तथ्यों की बात करें तो ग्वालियर निवासी और देश के जाने माने कवि स्वर्गीय आनंद मिश्रा ने अपनी पुस्तक ‘झांसी की रानी’
( 1957 में प्रकाशित) में स्पष्ट उल्लेख किया है जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू वीरांगना की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए फोटो में दिखाई दे रहे हैं।

आनंद मिश्र की चर्चित काव्य रचना ‘झाँसी की रानी’

फूलबाग परिक्षेत्र में लक्ष्मी बाई की समाधि है।कहा जाता है कि रानी के अंतिम संस्कार के बाद समाधि बनाई गई थी । तब से ही यह जगह झांसी की रानी समाधि के नाम से लोकप्रिय है। कुछ दशक पहले तक यहां लोग समाधि स्थल जिसे चबूतरा भी कहा जाता था उस पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते थे।उसके बाद संभवत: नगर निगम ने अश्वारूढ़ रूप में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा की स्थापना कराई।

यहां उल्लेखनीय है कि बड़ी संख्या में राष्ट्रीय अखबार और कई समाचार स्त्रोत में भी बिना इतिहास की जानकारी के यह समाचार सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहे हैं कि गांधी परिवार की एकमात्र सदस्य प्रियंका गांधी ने पहली बार वीरांगना लक्ष्मीबाई समाधि के दर्शन किए। यह पूरी तरह से मिथ्या और इतिहास से छेड़-छाड़ का स्पष्ट उदाहरण है।

 

राजेश शुक्ला

प्रधान  संपादक,Byline24.com

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