ग्वालियर के 5 दृष्टिबाधित छात्रों का जज्बा: आवास के लिए लड़ी लंबी लड़ाई; प्रशासन को दिखाया आईना, हाई कोर्ट के आदेश के बाद मिला रहने का ठिकाना

 

राजेश शुक्ला , ग्वालियर।… कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो….. आज के मौजू दौर में शायर दुष्यंत का यह शेर इन छात्रों पर मुफीद साबित हो रहा है जो बचपन से नेत्रहीन हैं। अपने अधिकारों की लड़ाई स्वयं लड़ने वाले ये नेत्रहीन छात्र किस हद तक जा सकते हैं इसकी कहानी हम आपको बता रहे हैं।

शुरुआत होती है मप्र के ग्वालियर में वर्ष 2010 से झांसी रोड स्थित माधवअंधाश्रम से। यह नेत्रहीन छात्र हैं विनोद पाल 23 साल निवासी दतिया, अखिलेश पारस उम्र 30 साल निवासी,शिवपुरी रवि श्रीवास्तव उम्र 24 साल निवासी भिंड और रजनीश बघेल उम्र 23 साल निवासी भिंड।अधिकारों की लड़ाई में इन चार छात्रों का साथ इन्हीं के सीनियर रामकुमार यादव उम्र 32 साल निवासी शिवपुरी ने दिया। वर्ष 2010 में यह सभी छात्र माधव अंध आश्रम में निवासरत होकर शिक्षा प्राप्त कर रहे थे।जैसे ही इनकी माध्यमिक शिक्षा पूरी हुई तो आश्रम प्रबंधन ने इन्हें बालिग मानकर हॉस्टल से बाहर कर दिया।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद संबंधित विभाग ने जारी किया लेटर

इसके बाद शुरू होती है उनके अधिकारों के संघर्ष की लड़ाई। नेत्रहीन छात्र रामकुमार यादव ने 2013 में हाईकोर्ट में अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक आवेदन लगाया कि हम नेत्रहीन छात्रों को स्थाई आवास की व्यवस्था कराई जाए ताकि हम आगे की शिक्षा और अपना जीवन गुजार सकें।

छात्रों का जज्बा तो देखिए कि कई बार फैसले उनके पक्ष में नहीं हुए लेकिन अपने अधिकारों की लड़ाई उन्होंने हाईकोर्ट में 11 साल तक लड़ी और सफलता प्राप्त की। 14 नवंबर 2022 को सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन विभाग (कार्यालय कलेक्टर)  कोर्ट के आदेश के बाद जागा और दृष्टिबाधित छात्रों के सड़क पर सोने, भूखा रहने और सैकड़ों चक्कर हाईकोर्ट के लगाने के बाद ग्वालियर के हुरावली में दृष्टि एवं श्रवण उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आरटीओ के पास नवीन भवन में अस्थाई रूप से अन्य व्यवस्था होने तक निवास की व्यवस्था की है।

सूची अनुसार दृष्टिहीन छात्रों के लिए छात्रावास में पृथक से चार कक्ष आरक्षित किए गए हैं। हाई कोर्ट में अपने अधिकारों की लड़ाई करने के दौरान नेत्रहीन छात्र रामकुमार यादव ने कहा कि जब सभी तरफ से हमको निराशा हाथ लगी तो हमने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया इस लंबी लड़ाई में हमारे पैसे भी खत्म हुए लेकिन हमने हार नहीं मानी।

Byline24.com को राम कुमार यादव ने बताया कि हमने बहुत परेशानियाँ वहन की हैं।अब हम रुकेंगे नहीं ।हमारा लक्ष्य ग्वालियर चंबल संभाग में उन सभी दृष्टिबाधित छात्रों की लड़ाई को लड़ने का है जो समाज से ठुकराये हुए हैं और जिनके सिर पर छत नहीं है।ऐसे ऐसे छात्रों को हायर एजुकेशन प्राप्त कराने के लिए हम प्रतिबद्ध है।

(हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी हमारे पास सुरक्षित)