एफआईआर की कॉपी आरटीआई के तहत मांगने पर उलझे पुलिस और सूचना विभाग, जाँच शुरू

भोपाल । क्या एफ आई आर की कॉपी आरटीआई के तहत ली जा सकती है? ऐसा ही एक रोचक मामला राज्य सूचना आयोग के सामने आया है। पुलिस ने अभियोजन और जांच प्रभावित होने के आधार पर FIR की जानकारी नहीं दी। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने FIR को पब्लिक दस्तावेज मानते हुए आयोग स्तर पर मामले में जांच शुरू कर दी है।
बालाघाट में आरटीआई आवेदिका लीला बघेल ने 2 दिन की बालाघाट के थाना लालबर्रा में दर्ज एफआइआर की जानकारी 13/12/2021 को मांगी थी। थाने के टीआई अमित भावसार ने एफ आई आर की मात्र कुल संख्या 6 की जानकारी तो दी पर FIR की बाकी जानकारी रोक ली। लीला बघेल ने बालाघाट एसपी के पास जानकारी लेने के लिए प्रथम अपील दायर की तो बालाघाट एसपी ने भी जानकारी देने से मना कर दिया यह कहते हुए कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) (j ) के तहत व्यक्तिगत जानकारी नहीं दी जा सकती है और धारा 8 (1) (h) के तहत जांच या अभियोजन प्रभावित होने से जानकारी नहीं दी जा सकती है। एफआईआर की जानकारी नहीं मिलने पर लीला बघेल ने राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की और यह शिकायत कि टी आई और एसपी के द्वारा गलत आधार बनाकर एफआईआर की जानकारी को रोका गया है। लीला बघेल ने अपने पक्ष में तर्क देते हुए यह कहा कि उन्होंने अन्य थानों से भी एफ आई आर की जानकारी मांगी थी और उन्हें उक्त थानों से FIR की जानकारी को प्रदाय कर दिया गया ऐसे में स्पष्ट है की जानकारी दिया जा सकती है।
राहुल सिंह ने स्पष्ट किया है कि एफ आई आर CRPC की धारा 154 के तहत पब्लिक दस्तावेज है और एविडेंस एक्ट 1872 की धारा 74 के तहत भी इसे पब्लिक दस्तावेज माना गया है। मामले में पुलिस के उपर FIR की जानकारी को गलत ढंग से रोकने के आरोप के चलते आयोग द्वारा सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी गई है। आयोग ने यह भी माना कि एफ आई आर की कॉपी ऑनलाइन होने से भी पब्लिक की पहुंच में है।
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कहना है कि सिर्फ अभियोजन की प्रक्रिया प्रभावित हो जाएगी यह दावा करने मात्र से जानकारी को नहीं रोका जा सकता है पुलिस विभाग को आयोग के समक्ष साक्ष्य के साथ स्पष्ट करना होगा कि कौन सी जानकारी के सामने आने से अभियोजन की प्रक्रिया प्रभावित हो जाएगी। आयुक्त सिंह ने इस तथ्य को भी देखा कि जब आरटीआई आवेदन किया था तो इन सभी 6 FIR को दर्ज हुए डेढ़ महीने का समय हो चुका था ऐसे में FIR की जानकारी देने से कौन सी जांच प्रभावित होगी यह जांच का विषय है।