राजनैतिक दलों ने प्रत्याशी पुत्रों को नहीं दी ज़िम्मेदारी, लेकिन क़द्दावर नेताओं के पुत्रों ने संभाली चुनावी कमान

– कोई पिता तो कोई पार्टी प्रत्याशी के लिए कर रहा काम
भोपाल/ ग्वालियर । मप्र में हर बार की तरह इस बार भी लोकसभा चुनाव में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। दोनों ही दलों ने जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सूबे में भाजपा सरकार का नया फेस डॉ. मोहन यादव और कांग्रेस में पार्टी के नए नेतृत्व जीतू पटवारी के कंधों पर लोकसभा चुनाव की पूरी जिम्मेदारी है। वहीं चुनाव प्रचार के लिए भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार सक्रिय हैं। ऐसे में नेता पुत्रों की सक्रियता भी चर्चा में बनी हुई है। हालांकि इस बार पार्टी ने नेता पुत्रों को कोई जिम्मेदारी नहीं दी है, लेकिन उसके बावजुद कोई अपने पिता तो कोई पार्टी प्रत्याशी के लिए काम कर रहा है।
गौरतलब है कि मप्र में भाजपा के दिग्गज नेताओं के क्षेत्र में उनके पुत्र भी राजनीति में सक्रिय हैं। इस बार मिशन 29 के तहत भाजपा ने पूरी पार्टी को मैदान में उतार दिया है, लेकिन नेता पुत्रों को कोई जिम्मेदारी नहीं दी है। इसके बावजुद नेता पुत्र अपने-अपने क्षेत्रों में सकिय नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सूबे की 29 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस केवल कमलनाथ के प्रभुत्व वाली लोकसभा सीट पर भाजपा को परास्त कर सकी थी, जहां से उनके पुत्र नकुलनाथ निर्वाचित हुए थे। इस बार पार्टी ने सभी सीटें जीतने की रणनीति पर काम कर रही है।
नेता पुत्र अपनी मनमर्जी से कर रहे हैं काम
लोकसभा चुनाव को लेकर ग्वालियर अंचल के दिग्गज नेताओं के अपने-अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में उनके पुत्रों महानआर्यमन सिंधिया, देवेंद्र तोमर, तुष्मुल झा, पीताम्बर सिंह व सुकर्ण मिश्रा को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। हालात यह हैं कि सभी नेता पुत्र अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि पार्टी में अंदरूनी घमासान तेज है, जिसके चलते अंदरूनी खेमेबाजी छाई हुई है। ग्वालियर लोकसभा से भाजपा की ओर से ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से चुनाव हार चुके भारत सिंह कुशवाह को अपना प्रत्याशी बनाया गया। जिसका कारण ग्वालियर में लगभग 3 लाख कुशवाह वोट बैंक होना व विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का करीबी होना है। जानकारों की मानें तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, सांसद विवेक शेजवलकर, पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, नरोत्तम मिश्रा, अनूप मिश्रा, महेंद्र यादव लोकसभा चुनाव की दौड़ में मुख्य रूप से शामिल थे, लेकिन टिकट भारत सिंह कुशवाह को मिला। केंद्रीय मंत्री सिंधिया को गुना से मौका देने पर पार्टी में एक धड़ा खासा नाराज हो गया। जिसके चलते टिकट वितरण के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पूर्व मंत्री पवैया के घर जाकर मुलाकात कर मान मनौव्वल की, लेकिन बात नहीं बनने पर वे शांत हैं और महेंद्र यादव को लोकसभा संयोजक पद से हटाकर गुना भेज दिया गया है। जबकि सांसद विवेक शेजवलकर व पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा नदारद नजर आ रहे हैं। हालांकि भाजपा के स्थानीय नेताओं का कहना है कि सभी नेता काम कर रहे हैं। दिग्गजों को दी जिम्मेदारी जानकारों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश की सभी सीटों को जिताने के लिए दिग्गज नेताओं को जिम्मेदारी दी है। उसी के चलते उनके पसंद के लोगों को चुनाव में प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा गया है। इसी के चलते संगठन ने दिग्गज नेताओं के बीच जारी उठापटक के कारण उनके पुत्रों को दूसरे के वर्चस्व व प्रभाव क्षेत्रों में जिम्मेदारी नहीं दी। साथ ही नए चेहरों को मौका देकर राजनीतिक संतुलन बनाने का प्रयास जारी है। नेता पुत्र अपने आप काम कर रहे हैं।
पिता के लिए इन्होंने ने संभाली कमान
राजनीति में वंशवाद के आरोप हमेशा लगते रहे हैं, लेकिन एक पिता मैदान में हो और बेटा प्रचार नहीं करे ऐसा संभव नहीं है। लोकसभा चुनाव में ऐसे कुछ प्रमुख नेता हैं, जिनके बेटे सबसे ज्यादा प्रचार के मैदान में दिख रहे हैं। इन पिताओं ने राजनीति की पिच तैयार कर दी है, अब उसी में बेटे बैटिंग करते दिखाई दे रहे हैं।
महाआर्यमन सिंधिया
पिता के पास 1960 मॉडल की बीएमडब्ल्यू इसेटा हेरिटेज कार है। महल में कारों का काफिला है, लेकिन बेटा कभी बैलगाड़ी पर सवार हो जाते हैं तो कभी मंदिर पहुंच जाते हैं। कभी पैदल ही चल पड़ते हैं। हम महाआर्यमन सिंधिया की बात कर रहे हैं। उनके पिता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं, लिहाजा उनके 28 साल के बेटे महार्यमन पूरी शिद्दत से पुत्र धर्म का निर्वहन कर रहे हैं। महाआर्यमन सिंधिया पिता के संसदीय क्षेत्र में लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
कार्तिकेय सिंह चौहान
भाजपा कार्यकर्ता अति आत्मविश्वास में नहीं रहें। कोई भी कार्यकर्ता यह सोचने की गलती नहीं करे कि चुनाव एकतरफा हो रहा हैं। कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी आज भी कायम है। उनका वोट बैंक है, वोट है। वो कहीं नहीं जा रहे हैं। इसलिए अति आत्मविश्वास में नहीं आना है। शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का यह बयान काफी चर्चा में है। वे एक मझे हुए नेता की तरह अपने पिता और 18 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के लिए प्रचार करते दिख रहे हैं। शिवराज विदिशा सीट से मैदान में हैं। कार्तिकेय सिंह विधानसभा चुनाव में भी पिता के लिए प्रचार कर चुके हैं।
जर्नादन मिश्रा
रीवा से सांसद जनार्दन मिश्रा का बेटा कबीर मिश्रा भी काफी मेहनत करते हुए दिखाई दे रहे हैं। हर दिन कबीर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें तो कर ही रहे हैं, पिता जर्नादन मिश्रा की प्लानिंग में भी हाथ बटा रहे हैं। रीवा लोकसभा सीट से इस बार भाजपा ने दो बार के सांसद जनार्दन मिश्रा को उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने विधायक अभय मिश्रा की पत्नी नीलम मिश्रा को टिकट दिया है।