खुफिया रिपोर्ट से बढ़ी टेंशन: मप्र सरकार ने 3 महीने के लिए कलेक्टरों को सौंपे रासुका के अधिकार

भोपाल। खुफिया रिपोर्ट ने मप्र सरकार को टेंशन में डाल दिया है। प्रदेश में असामाजिक तत्व सांप्रदायिक सद्भाव न बिगाड़ दें, इसके लिए सरकार ने ऐसे तत्वों से निपटने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की तैयारी कर ली है। इसके लिए कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारियों को रासुका के अधिकार सौंप दिए हैं। हालांकि कलेक्टरों को ये अधिकार सिर्फ तीन महीने के लिए दिए हैं। यानी 1 जुलाई से 30 सितंबर तक कलेक्टरों के पास रासुका के अधिकार रहेंगे।
चुनावी साल में मप्र की कानून व्यवस्था को खतरा पैदा हो सकता है। इससे निपटने के लिए सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। रासुका केा लेकर राजपत्र जारी कर दिया है। जिसमें लिखा है कि राज्य के प्रत्येक जिले की स्थानीय सीमाओं के भीतर के क्षेत्रों में विद्यमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए,्र राज्य सरकार को यह समाधान हो गया है कि संबंधित जिला दंडाधिकारी को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 2 की उपधारा 3 के अंतर्गत अधिकृत किया जाना आवश्यक है।
हालांकि सरकार समय-समय पर ये अधिकार कलेक्टरों को देती रहती है। आमतौर पर कलेक्टर सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वालों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की राज्य शासन को अनुशंसा करते हैं। लेकिन राज्य शासन ने तीन महीने के लिए रासुका के अधिकार कलेक्टरों को दे दिए हैं। इस संबंध में राजपत्र जारी कर दिया है। जिसमें उल्लेख है कि राज्य शासन के पास ऐसी रिपोर्ट है कि कतिपय तत्व साम्प्रदायिक मेल-मिलाव को संकट में डालने के लिए और लोक व्यवस्था तथा राज्य की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कोई कार्य करने के लिए सक्रिय हैं और उनके सक्रिय रहने की संभावना है। इसको देखते हुए जिला दंडाधिकारी को रासुका के अधिकार सौंपे गए हैं।