सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अपराध किया है तो झेलना ही पड़ेगा, आरोपी की याचिका तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार

 याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि मौजूदा रिट याचिका में मांगी गई राहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीटी एंटनी बनाम केरल राज्य में दिए फैसले के तहत आता है। वह फैसला पहले को छोड़कर सभी समान एफआईआर को रद्द करने के संदर्भ में था। उस फैसले में कहा गया था कि मामले को एकल जांच को आगे बढ़ाया जा सकता है।

  डील ऑफ द डे’ नामक एप से जुड़े अपराधों पर देश भर में दर्ज एफआईआर को क्लब (एक साथ) करने की मांग वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने आरोपी से कहा, अपराध किया है तो सामना करना ही पड़ेगा।

वकील साहिल भालियाक ने चीफ जस्टिस एनवी रमण की तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष वकील साहिल भालियाक ने कहा, मेरे मुवक्किल के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज हैं। हम याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग करते हैं। यह टीटी एंटनी के फैसले के तहत आता है। इस पर सीजेआई ने कहा, यदि आपने कोई अपराध किया है तो आपको इसका सामना करना होगा।

यह उस फैसले के तहत आता है या नहीं, सुनवाई की तारीख पर फैसला किया जाएगा। आरोपी ओंकारेश्वर ठाकुर ने 24 जनवरी को यह याचिका दाखिल की थी। इसमें ‘सुल्ली डील ऑफ द डे’ एप से संबंधित अपराधों के संबंध में पूरे देश में दर्ज की गई विभिन्न एफआईआर को क्लब करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता के खिलाफ नई दिल्ली, नोएडा और मुंबई में तीन प्राथमिकी दर्ज हैं।

एप ने पिछले साल मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया था और उनकी सहमति के बिना उनकी तस्वीरों को अपलोड किया था। उस वक्त इसे लेकर बड़ा हंगामा हुआ था। ‘बुली बाई’ मामला ‘सुल्ली डील्स’ एप का ‘क्लोन’ माना जाता है।

याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि मौजूदा रिट याचिका में मांगी गई राहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीटी एंटनी बनाम केरल राज्य में दिए फैसले के तहत आता है। वह फैसला पहले को छोड़कर सभी समान एफआईआर को रद्द करने के संदर्भ में था। उस फैसले में कहा गया था कि मामले को एकल जांच को आगे बढ़ाया जा सकता है।

इस मामले में पहली प्राथमिकी स्पेशल सेल, दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई थी। याचिका में दिल्ली, यूपी और महाराष्ट्र में एफआईआर दर्ज करना सीआरपीसी की धारा- 154 और 156 के दायरे से बाहर है और यह एक ऐसा मामला है जो विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा जांच की वैधानिक शक्ति का दुरुपयोग दर्शाता है।