ग्वालियर के लोगों ने कहा- लॉकडाउन से नैरोगेज बंद है, अब ट्रेक भी उखाड़ो ताकि न हो हादसे

ग्वालियर। कोरोना महामारी की वजह से पहले लॉकडाउन से अब तक रद्द चल रही 114 साल पुरानी ग्वालियर-श्योपुर नैरोगेज ट्रेन अब कभी नहीं चलेगी। रेलवे ने सिंधिया रियासत में शुरू हुई इस ट्रेन को खत्म करने के लिए ग्वालियर से श्योपुर के बीच अर्थवर्क, ब्रिज और पुराने नैरोगेज ट्रैक को डिस्मेंटल करने का टेंडर जारी कर दिया है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि नैरोगेज ट्रेन के ऊपर-नीचे हो रहे ट्रेक और नैरोगेज फाटक के पास लोहे के पिलरों के कारण वाहन चालकों को हादसे का शिकार होना पड़ रहा है। इसेक लिए रेलवे के पास बजट की कमी है। सबसे ज्यादा हादसे रात को होने से लोगों की जान पर बन रही है। गौरतलब है कि रामदास घाटी रेलवे ट्रेक,आदर्श नगर मिल रोड ट्रेक, गांधी नगर ट्रेक, लक्ष्मण तलैया टे्रक समेत एक दर्जन स्थानों पर ट्रेक सड़क के लेबल से ऊपर हैं या नीचे हैं, वहीं फाटक पर लोहे के पिलर टेड़े-मेड़े हो चुके हैं। रेलवे इन पर ध्यान नहीं दे रहा है। जानकारी में सामने आया कि करीब एक साल पहले लॉकडाउन के मध्य में नैरोगेज के ट्रेक और फाटकों के संधारण का काम शुरू हुआ था। रेलवे स्टॉफ ने रेलवे स्टेशन से लेकर घोसीपुरा स्टेशन तक ट्रेक के बैलेंस को चेक कर काम शुरू किया था। यहां की मिट्टी निकालकर मेजरमेंट किया था। लेकिन जाता स्थिति यह है कि ट्रेक पुरानी स्थिति में आ चुके हैं और वाहन चालक स्लिप होकर चोटिल हो रहे हैं।

मानसून सिर पर है। बारिश के सीजन में नैरोगेज रेलवे ट्रेक कई स्थानों पर छिप जाते हैं। लेकिन रेलवे के गैंगमैन ट्रेक की सही देखभाल नहीं कर रहे हैं। ऐसे में कभी भी हादसा हो सकता है। घोसीपुरा से रायरू के बीच नैरोगेज ट्रेक 100 साल पुराना होने से कहीं-कहीं अनबैलेंस हो गया है। इसके अलावा ग्वालियर से श्योपुर के बीच बनी 50 से ज्यादा पुलिया की हालात भी खराब है। रेलवे के अफसरों का ध्यान मेंटीनेंस पर नहीं है।

बड़ी ही हैरत की बात है कि लॉकडाउन की शुरुआत से नैरोगेज ट्रेन का संचालन रेलवे ने बंद कर दिया है। अब नैरोगेज को पर्यटन के रूप में चलाने की बात कही जा रही है, लेकिन कई ट्रेक ऐसे हैं जहां पर बिलकुल सटकर घर बने हैं और लोगों ने ट्रेक पर भी अतिक्रमण कर लिया है। इधर रेलवे कतई ध्यान नहीं दे रही है।

सबसे ज्यादा उन लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है जो पहली बार ग्वालियर आते हैं और रेलवे ट्रेक पर हादसे का शिकार हो रहे हैं। रेलवे को ध्यान देना चाहिए।
वीरेन्द्र मिश्रा
निवासी रामदास घाटी

मेरा दोस्त मिलने बाइक से आया। वह उसने जैसे ही घोसीपुरा ट्रेक को पार किय तो उसकी बाइक फिसल गई और उसके सिर में चोट आ गईं।
पुष्पेन्द्र शर्मा
निवासी रामदास घाटी

जब नैरोगेज बंद हो गई है तो ट्रेक का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसको जल्द ही उखाडऩा चाहिए ताकि लोग हादसे का शिका न बन सकें।
टीपू सुल्तान
निवासी सत्यनारायण की टेकरी

नैरोगेज का ट्रेक सबसे ज्यादा बारिश में खतरनाक हो जाता है। रेलवे इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है। कम से कम एक सूचना बोर्ड ही ट्रेक वाले स्थानों पर लगवा दें तो लोग सचते हो जाएं।
संजू जाटव
निवासी, घोसीपुरा

आपके द्वारा संज्ञान में लाया गया है तो मैं रेलवे के स्टॉफ को मौके पर भिजवाकर दिखवाता हूं कि कहां क्या समस्या आ रही है।
जीएस राठौड़
स्टेशन अधीक्षक, रेलवे स्टेशन

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