दोस्तों की एक टीम अस्पतालों के लगा रही चक्कर, मंत्री, कलेक्टर और डॉक्टरों से इंजेक्शन की लगा रहे गुहार

 

कोरोना से ठीक हुए तो हुआ ब्लैक फंगस, डॉक्टरों ने निकाली एक आंख, फिर जबड़े का भी किया ऑपरेशन
खबर इसलिए कि जिम्मेदारों की लापरवाही सामने आ सके

खबर सार+
ग्वालियर। कोरोना महामारी में अगर सबसे ज्यादा कमाई किसी ने की है तो वह हैं अस्पताल संचालक। चाहे वह गरीब हो या अमीर मरीज। अस्पताल संचालक किसी को नहीं छोड़ रहे हैं। अब मरीज भी क्या करें उनके परिजन जान बचाने के लिए इन अस्पतालों में उन्हें भर्ती करा देते हैं, फिर शुरू हो जाता है डॉक्टरों का टार्चर। मरता क्या न करता की तर्ज पर परिजन अपना घर बेचकर अस्पतालों का बिल भर रहे हैं। नकली प्लाज्मा, मिलावटी रेमडेसिविर और अन्य मेडिसन की किल्लत के बीच इन अस्पतालों पर किसी का कंट्रोल नहीं है। हम बात कर रहे हैं एक 51 साल के मरीज की जो कोविड संक्रमण के दौरान अस्पताल की लापरवाही का शिकार हो गया। अब उसे ब्लैक फंगस हो गया है। कोविड संक्रमण के बाद उपजी इस बीमारी ने उक्त व्यक्ति की एक आंख तो खराब कर दी अब उसका जबड़ा (साफ्ट पैलेड) का भी ऑपरेशन करा दिया है।

खबर विस्तार+
मरीज का नाम है राजकुमार शर्मा उनका निवास मप्र के ग्वालियर जिले में डीडी नगर स्थित शताब्दीपुरम में है। श्री शर्मा की गोहद में ट्रेक्टर एजेंसी है। उनके साले गिर्राज शर्मा ने बताया कि 26 अप्रैल को मेरे जीजा की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। हमने उन्हें कुछ दिन तक होम क्वारेंटाइन रखा उसके बाद नाका चन्द्रवदनी स्थित मां कैला देवी अस्पताल में भर्ती कराया। इस अस्पताल में भर्ती होने के बाद कोविड तो ठीक हो गया लेकिन उन्हें स्टेरायड काफी मात्रा में दिए गए, लेकिन उनका शुगर लेबल चेक नहीं किया गया। बस यहीं से उनके अपनी जिंदगी के सबसे खराब दिन शुरू हो गए। इसके बाद उन्हें ब्लैक फंगस हो गया। 16 मई को उन्हे विकास नगर स्थित अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया। यहां कई जांचें हुई। डॉक्टरों ने ऑख की सफाई की, लेकिन ब्लैक फंगस आंख में पूरी तरह आ जाने से उनकी एक आंख को निकालना पड़ा। लेकिन एक आंख गंवाने के बाद भी राजकुमार को आराम नहीं मिला। ब्लैक फंगस जबड़े में आ गया तो अपोलो के डॉक्टरों ने उनका ऊपर का जबड़े का भी ऑपरेशन कर दिया।

परिवारिक मित्र अर्जुन सिंह ने बायलाइन24.कॉम को बताया कि अभी स्थिति स्थिर है। ब्लैक फंगस रोकने के लिए बड़ी मुश्किल से इंजेक्शन की व्यवस्था कर रहे हैं। फिलहाल नली के रास्ते उन्हें हल्का भोजन दिया जा रहा है। अगर इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं हुई तो डॉक्टर भी कुछ नहीं कर सकते हैं।

 

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