किसानों-मजदूरों की समस्याओं को लेकर ‘किसान मजदूर बचाओ’ यात्रा शुरू,15 ज़िलों में होगा किसान सम्मेलन का आयोजन

 

ग्वालियर। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ की मध्य प्रदेश इकाई द्वारा किसानों और मजदूरों की समस्याओं और माँगों को लेकर पूरे मध्य प्रदेश में ‘किसान मजदूर बचाओ’ यात्रा का शुभारंभ 3 अक्टूबर को शुरू हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल 13 राज्यों से पधारे विभिन्न किसान संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा हरी झण्डी दिखाकर 40 दिवसीय इस यात्रा का शुभारंभ किया गया है। यह जानकारी एक पत्रकार वार्ता के दौरान किसान नेता शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने संवाददाताओं से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि यह यात्रा अटल पथ से प्रारंभ हुई। इस दौरान कश्मीर से तनवीर अहमद डार, पंजाब से जगजीत दल्लेवाल, हरियाणा से अक्षय नरवाल, दिल्ली से ऋषि पाल अम्बावता, उत्तराखंड से मुरार सिंह, उत्तर प्रदेश से विमल शर्मा, राजस्थान से बबलू जागीड़, गुजरात से जे.के. शंकर दरेकर, केरल से के.वी. बीजू, ओडिशा से सचिन महापात्रा, बिहार से जवाहर निराला और संजय कुमार तथा झारखंड से महिला संयोजिका श्रीमती ललिता कुशवाहा उपस्थित रहीं। यह यात्रा मध्य प्रदेश के सभी जिलों में जनजागरण करते हुए कुल 5000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इस दौरान 15 जिलों में एक दिवसीय किसान सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा । प्रत्येक जिले में प्रातः 11 से 12 बजे तक प्रेस वार्ता आयोजित की जायेगी।  बताया कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा निरन्तर किसानों और मजदूरों के हितों की उपेक्षा की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एनडीए सरकार द्वारा 5 जून 2020 को अध्यादेश द्वारा तीन नये कृषि कानून लाये गये थे जिनका संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा देशव्यापी विरोध किया गया था। 378 दिन तक चले इस आंदोलन को अंततः केंद्र की एनडीए सरकार को वापस लेना पड़ा था। 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नये कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की थी। नये कृषि कानून वापस लेते समय केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा की 5 माँगों को भी पूरा करने की प्रतिबद्धता जतलाई थी। जिनमें फसलों की एमएसपी पर खरीदी का गारंटी कानून, ऐतिहासिक महाआन्दोलन के दौरान किसानों पर अकारण लादे गये मुकदमों की वापसी, शहीद हुए 750 किसानों को मुआवजा और उनके परिवार के एक सदस्य को शासकीय नौकरी, पराली जलाने वाले किसानों पर दण्ड का प्रावधान समाप्त करने और बिजली कानून में किसानों को विश्वास में लेने की माँगें आज दिनाँक तक अधूरी हैं। उन्होंने कहा कि भारत में हरित क्रांति के जनक और किसान आयोग के अध्यक्ष स्व. एम. एस. स्वामीनाथन ने केंद्र सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में किसानों से एमएसपी पर फसल खरीदने की अनुशंसा की थी। केंद्र सरकार एमएसपी पर खरीदी की गारंटी का कानून बना दे तो सरकार की ओर से उनको सच्च शृद्धांजलि होगी।एक सवाल के जवाब में कब कक्काजी ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में किसानों की मौतें हुई। वहीं सरकार ने एक भी किसानों पर लगे मुक़दमे वापस नहीं किए हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार दोनों का हम जमकर विरोध करेंगे क्योंकि यह सरकारें किसान विरोधी सरकार हैं। वार्ता के दौरान बड़ी संख्या में किसान नेता मौजूद रहे।