नाराज कार्यकर्ता को साध लिया तो भाजपा को मध्य प्रदेश में मिल सकता है सत्ता वापसी का रास्ता, मोदी के दौरे से है संभव

 

राजेश शुक्ला,ग्वालियर। भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में सत्ता प्राप्त करने की लड़ाई लड़ रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान धीरे-धीरे डिसिलाइन होते प्रतीत हो रहे हैं। मप्र में भाजपा का मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा इसके बारे में अभी कुछ लिखना जल्दबाजी होगी, यद्यपि अब चुनाव मामा जी के नाम पर नहीं भाजपा के नाम पर लड़ा जा रहा है। इन सबके इतर अगर भाजपा के कार्यकर्ता को नहीं मनाया तो भाजपा का सत्ता में फिर से वापसी करना मुश्किल हो जाएगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक बताते हैं कि 2018 में मुरैना जिले की सभी सीटेँ कांग्रेस की झोली में आना ,इसके साथ ही मालवा में भी यही स्थिति निर्मित होना नाराज कार्यकर्ताओं के कारण संभव हुआ।

दरअसल हाल के दिनों में ग्वालियर चंबल-संभाग में कैबिनेट मंत्री अमित शाह,नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, नरेंद्र सिंह तोमर ,ज्योतिरादित्य सिंधिया,कैलाश विजयवर्गीय समेत सीएम शिवराज सिंह चौहान कई बार दौरे कर चुके हैं। यह सिलसिला रुका नहीं है। अब 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र कुमार मोदी स्वयं ग्वालियर में विशाल सभा को संबोधित कर करोड़ों रुपए के विकास कार्यों की सौगातें मध्य प्रदेश को देंगे।

भारतीय जनता पार्टी को डर बैठ गया है कि इस बार सत्ता अगर हाथ से चली गई तो आने वाले सालों में कांग्रेस का मध्य प्रदेश पर राज्य रहेगा। सत्ता पाने के लिए भाजपा किसी भी हद तक जा सकती है ,इसी कारण से मध्य प्रदेश विशेष कर ग्वालियर चंबल-संभाग में पूरी ताकत भाजपा ने झौँक दी है।

प्रधानमंत्री मोदी का ग्वालियर आना साफ रूप से यह संदेश देता है कि कार्यकर्ता नाराज है और उनको मनाने के लिए ही प्रधानमंत्री ग्वालियर आ रहे हैं। भाजपा के एक नेता ने नाम न देने की शर्त पर बताया कि भाजपा के नेताओं में इतना डर आज तक नहीं देखा है। सभा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का पूरा फोकस अपने कार्यकर्ताओं पर ही रहेगा ऐसा बताया जा रहा है।

भोपाल के एक राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि कर्नाटक राज्य में भाजपा से कांग्रेस ने सरकार छीन ली ।यहां जो गलतियां भाजपा ने की हैं उन्हीं की पुनरावृत्ति मध्य प्रदेश में ना हो जाए इसलिए प्रधानमंत्री मोदी का पूरा फोकस मध्य प्रदेश की तरफ है।

Byline24.com से चर्चा के दौरान भाजपा के एक नेता ने बताया कि वाकई में कार्यकर्ता विशेषकर बूथ लेवल पर मेहनत करने वाला कार्यकर्ता बेहद नाराज है। इसी नाराज़गी का खामियाजा ग्वालियर दक्षिण विधानसभा और ग्वालियर 16 विधानसभा समेत अन्य सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत से मालूम चलता है। भाजपा के जो शीर्ष नेता है वह अपने समर्थकों को तो लाभ पहुंचाते हैं लेकिन छोटे कार्यकर्ता जो दिन रात झंडा-डंडा और नारा लगाते हैं उनकी स्थिति जस की तरह रहती है। ग्वालियर चंबल संभाग में भाजपा के कईं ऐसे कार्यकर्ता है जो आज भी दोपहिया वाहनों पर पार्टी की विचारधारा के लिए मेहनत करते हैं और पार्टी विचार दूसरों में भी आत्मसात कराने का प्रयास करते हैं यद्यपि जब उनके काम नहीं होते हैं तो वहां पार्टी के नेताओं को कोसने से बाज नहीं आते हैं।

कई राजनीतिक जानकार बताते हैं कि मोदी के दौरे से व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। पीएम मोदी नाराज कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम करेंगे, साथ ही वैचारिक प्रतिबद्धता का विश्वास भी कार्यकर्ताओं में देंगे , इससे यह संदेश जाएगा कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं अपने कार्यकर्ताओं को मनाने आए हैं।

स्थानीय भाजपा के सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की प्रस्तावित सभा में पूरा फोकस उन स्थानीय नेताओं पर केंद्रित होगा जो पार्टी या वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी से नाराज हैं। इसके साथ ही कांग्रेस या अन्य दलों से भाजपा आने वाले नेताओं को भी मंच पर स्थान देने का दावा किया जा रहा है।

यहां बताना उचित होगा कि मध्य भारत प्रांत के अंतर्गत मुरैना से बैतूल तक करीबन 20 से 25 जिले आते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी भाजपा की इस स्थिति के बारे में भली-भांति परिचित हैं। विशेष कर ग्वालियर चंबल संभाग में भाजपा की हार क्यों हुई है इसके बारे में भी संघ के पदाधिकारी सत्ता के वरिष्ठ नेताओं को अवगत करा चुके हैं लेकिन इस पर ज़मीनी स्तर पर कार्य न होना भी संघ और सत्ता में समन्वयता की कमी को स्पष्ट उजागर करता है।