ग्वालियर की सुरभि, रोशनी व गायत्री समेत 450 बेटियां एक साथ बनीं ब्रह्माकुमारी, भगवान शिव से किया विवाह

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में देशभर की 450 युवतियों के साथ ग्वालियर की भी तीन बेटियों ने भगवान शिव से विवाह किया।
एशिया के सबसे बड़े सभागार में आयोजित इस अनूठे विवाह के बाद देश की साढ़े चार सौ युवतियों के साथ ग्वालियर की बीके सुरभि, बीके रोशनी व बीके गायत्री भी सदा के लिए ईश्वरीय सेवा में समर्पित हो गईं। यहां बता दें कि ब्रह्माकुमारी के स्थापना वर्ष 1937 से लेकर अब तक 50 हजार से अधिक बहिनें इस तरह भगवान से विवाह कर समाज को समर्पित हो चुकी हैं। ब्रह्माकुमारी मुख्यालय में साल में एक बार ऐसा समारोह होता है। इसके अलावा देश के अलग अलग केंद्रों पर भी ऐसे आयोजन होते रहते हैं।
भगवान शिव से विवाह कर ईश्वरीय कार्य के लिए खुद को समर्पित करने वाली बीके सुरभि और बीके रोशनी वैसे तो सागर जिला की व बीके गायत्री महोवा जिला की रहने वाली हैं, लेकिन कई वर्षों से ग्वालियर के ब्रह्माकुमारी केंद्र पर रहकर ही सेवा कार्य कर रही थीं। इनके साथ विवाह करने वाली अन्य युवतियां समाज के विभिन्न क्षेत्रों से थीं, जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, एमटेक, एमएससी, फैशन डिजाइनर, स्कूल शिक्षिका आदि ने भगवान से विवाह किया।
इस अनूठे विवाह में देशभर के 15 हजार बाराती शामिल हुए। इस अवसर पर बेटियों के पिताओं की प्रतिक्रिया भी भावुक करने वाली रही। उनका कहना था कि हम भाग्यशाली हैं कि आज हमारी बेटी समाज कल्याण के लिए संयम का मार्ग अपना रही है। अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन मेरी बेटी अब विश्व कल्याण के लिए जिएगी।

राजयोग मेडिटेशन कोर्स के बाद छह माह तक नियमित सत्संग, राजयोग ध्यान के अभ्यास के बाद सेंटर इंचार्ज दीदी द्वारा सेवाकेंद्र पर रहने की अनुमति दी जाती है। तीन साल तक सेवाकेंद्र पर रहने के दौरान संस्थान की दिनचर्या और गाईडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। बहनों का आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, व्यवहार देखा-परखा जाता है। इसके बाद ट्रॉयल के लिए मुख्यालय शांतिवन के लिए माता-पिता का अनुमति पत्र भेजा जाता है। ट्रॉयल पीरियड के दो साल बाद फिर ब्रह्माकुमारी के रूप में समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। समर्पण के बाद फिर बहनें पूर्ण रूप से सेवाकेंद्र के माध्यम से ब्रह्माकुमारी के रूप में अपनी सेवाएं देंगी।

समारोह में संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि आज एक साथ इतनी बहनों का समर्पण देखकर मन खुशी से झूम रहा है। ये बेटियां बहुत भाग्यशाली हैं। महासचिव बीके निर्वैर भाई ने कहा कि सभी बहनों जीवन में अपने कर्मों से समाज में नए उदाहरण प्रस्तुत करें। अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई ने कहा कि अपना जीवन परमात्मा पर अर्पण करने से बड़ा भाग्य कुछ नहीं हो सकता है। कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय भाई ने कहा कि आपकी वाणी दुनिया के कल्याण का माध्यम बने। आपका एक-एक कर्म उदाहरणमूर्त हो। धरती से अंधकार मिटाने और ज्ञान प्रकाश फैलाने में शिव की शक्ति, भुुजा बनकर, साथी बनकर सदा जीवन में आगे बढ़ते रहें। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने गीत प्रस्तुत किया।

ग्वालियर की बी.के रोशनी अपनी पढ़ाई ग्रेजुएशन कंप्लीट कर ईश्वरीय सेवा में समर्पित हुई वह अपने अनुभव में बताती है कि मैंने परमात्मा का ज्ञान बचपन से ही सुना है जब मैं पहली बार अपनी बुआ के पास ग्वालियर आयी जो कि लश्कर ग्वालियर इंद्रगंज सेंटर की इंचार्ज है| कुछ दिन उनके पास रहे तो हमें बहुत अच्छा लगा। सभी के प्रति स्नेह और सम्मान की भावना जो आज देखने में नहीं आती वह हमने यहां केंद्र में देखी जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया साथ ही सत्य की राह पर चलना भी हमनें यहाँ से सीखा| आज जहाँ पर लोग छोटी छोटी बातों में दुखी और अशांत हो जाते है वहां पर यह ब्रह्माकुमारी बहनें खुश रहकर समाज मे खुशियां बांटने का कार्य कर रही है। मुझे भी लगा काश में भी इनके जैसी समाज की सेवा करूँ घर में माता पिता से छुट्टी मिली तो इस राह पर चल पड़े। मुझे इस बात पर पूर्ण निश्चय है कि परमपिता परमात्मा शिव इस धरती पर अवतरित होकर इस धरा को स्वर्ग बनाने का पावन कार्य कर रहे है। इस पुनीत कार्य मे सहयोगी बनकर मैं अपने आपको पद्मा पदम सौभाग्यशाली मानती हूँ।

ग्वालियर की बीके सुरभि बी.कॉम की पढ़ाई पूरी कर ईश्वरीय सेवा में समर्पित हुई। वह अपने अनुभव मे कहती है कि मेरा जन्म एक बहुत ही धार्मिक परिवार में हुआ बचपन से ही मुझे एक अच्छी राह पर चलना और सबका भला करना कभी झूठ नहीं बोलना किसी को दुख नहीं देना मेरे माता-पिता द्वारा सिखाया गया| मुझे यह आत्मा और परमात्मा का ज्ञान 7-8 वर्ष की उम्र से सुनने को मिल रहा है| मैं अपनी पढ़ाई के द्वारा ईश्वरीय ज्ञान भी सुनती रही पढ़ाई भी करती रही मैंने अच्छी तरह गहराई में जाकर देखा तो समझा कि संसार में परमात्मा शिव से बढ़कर कोई नहीं जो सत्य की राह पर ले जा सके जैसे परमात्मा शिव कल्याण करने इस धरा पर आ चुके है मैं भी उनके साथ कुछ कर सकूं ऐसा संपूर्ण निश्चय मुझे अपने जीवन काल में हो चुका है इस संसार में दुख अशांति तो चारों तरफ है शांति की किरण तो परमपिता परमात्मा शिव बाबा से ही मिल सकती है और मुझे सतप्रतिशत निश्चय है कि मैं भोलेनाथ की सच्ची पार्वती बनकर खुद को भी भरपूर करूं और मन वाणी कर्म से विश्व सेवा कर सकूं | बस मेरा एक ही लक्ष्य है कि अपने लिए तो सब जीते है लेकिन मैं सभी को परमात्मा ज्ञान से भरपूर कर विशेष पुण्य कर्म करके अपनी झोली ज्ञान से दुआओं से भरपूर करूं | मुझे ब्रह्माकुमारीज का यह सत्य ज्ञान बहुत ही खुशी और आनंद देता है इसलिए मैंने इस राह को चुना।

ग्वालियर की बीके गायत्री अपने अनुभव में बताती है कि बचपन से ही आध्यात्मिक बातों में रुचि थी। एक बार लौकिक बहन ने शिव बाबा का सत्य ज्ञान देते हुए आत्मा और परमात्मा के बारे में मुझे बताया उससे मुझे बहुत आनंद की अनुभूति हुई। तत्पश्चात माउंट आबू जाने का मौका मिला वहां पर मैंने ज्ञान को गहनता से जाना और सच्चे सुख की अनुभूति हुई, बस मन वहीं बस गया। फिर क्या घर से छुट्टी मिली तो सेवा में लग गए। बड़ी बहनों की पालना को देखा है उनकी दृष्टि उनका बोल वरदान है। उक्त जानकारी बी के प्रहलाद भाई ने दी।