मप्र में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद होगी प्रशासनिक कसावट, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बदल सकते हैं मंत्रियों के प्रभार !

 

 

ग्वालियर । प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बड़े सियासी और प्रशासनिक बदलाव की संभावना है। यह बदलाव 26 जनवरी से पहले होना है। मप्र से राहुल गांधी की यात्रा गुजरने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ संगठन में ब्लॉक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक नए सिरे से जमावट करेंगे। इसी तरह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा भी चुनाव को लेकर संगठन स्तर पर बड़े फैसले कर सकते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मंत्रिमंडल विस्तार एवं प्रशासनिक जमावट करने का निर्णय ले सकते हैं। बदलाव की पूरी कवायद अगले विधानसभा चुनाव को लेकर होना तय है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अगले महीने 26 जनवरी से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार एवं फेरबदल कर सकते हैं। जनजाति और अजा विभाग के अलग-अलग मंत्री बनाए जा सकते हैं। इसी तरह डेढ़ दर्जन करीब जिलों में भी कलेक्टरों की नए सिरे से जमावट होगी। खासकर अनुसूचित जिलों में बड़ा प्रशासनिक उलटफेर होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद जमीन पर पहुंचकर प्रशासन की नब्ज टटोल रहे हैं। मैदानी स्तर पर पुलिस महकमे में भी बड़ा बदलाव होगा। पुलिस अधीक्षक एवं आईजी स्तर के अफसरों की तबादला सूची तीन महीने से लंबित है। विधानसभा सत्र के बाद मुख्यमंत्री इस तबादला सूची को हरी झंडी दे सकते हैं।
कांगे्रस में बदलेंगे एक दर्जन से ज्यादा जिलाध्यक्ष
राहुल गांधी की यात्रा गुजरने की बाद मप्र कांग्रेस ने राहत की सांस ली है। अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ संगठन को मजबूत करने के काम में जुटेंगे। जिसमें ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों की नई जमावट हो सकती है। साथ ही निष्क्रिय जिलाध्यक्षों को हटाया जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस करीब एक दर्जन से ज्यादा जिलाध्यक्षों को बदल सकती है। इसी तरह हाल ही में कमलनाथ की मीडिया समन्वयक रहे नरेन्द्र सलूजा के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस की मीडिया में भी नए चेहरों की एंट्री हो सकती है। प्रदेश स्तर के मीडिया पदाधिकारियों को संभाग की जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है। जिलों में मीडिया की टीम गठित होगी।
भाजपा में संगठन से मुक्त होंगे चुनाव लडऩे वाले
भाजपा में अगली कार्यसमिति की बैठक के बाद चुनाव लडऩे के इच्छुक नेताओं को संगठन की जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है। साथ ही अनुशासन समिति की अनुशंसा एवं शिकायतों के आधार पर भी ब्लॉक जिला संभाग एवं प्रदेश स्तर पर कुछ पदाधिकारियों से दायित्व छिन सकते हैं। लंबित शिकायतों पर भी संगठन निर्णय ले सकता है। भाजपा हाईकमान सूत्रों से यह भी खबर है कि मप्र में संगठन स्तर पर बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।