पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के बेटे व अभिनेता अरुणोदय के खिलाफ दायर अपील निरस्त, कनाडियन मूल की पत्नी ने दायर की थी

भोपाल । मप्र हाईकोर्ट ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल के बेटे फिल्म अभिनेता अरुणोदय सिंह के खिलाफ दायर अपील निरस्त कर दी। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुजय पाल व न्यायमूर्ति पीसी गुप्ता की युगलपीठ ने अरुणोदय की कनाडियन मूल की पत्नी ली एल्टन से तलाक के फैमिली कोर्ट से पारित पूर्व आदेश पर मुहर लगा दी गई। उल्लेखनीय है कि न्यूफाउंडलैंड, कनाडा निवासी डगलस एल्टन की पुत्री ली एनी एल्टन की ओर से हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि 13 दिसम्बर 2016 को विशेष विवाह अधिनियम के तहत अरुणोदय सिंह के साथ भोपाल में विवाह पंजीकृत किया गया। विवाह के बाद वे मुंबई के खार इलाके में रहने लगे। इसी दौरान दोनों के झगड़े होने लगे। इससे तंग आकर 2019 में अरुणोदय ने ली एल्टन ने मिलना बंद कर दिया। 10 मई, 2019 को भोपाल के फैमिली कोर्ट में ली एल्टन के खिलाफ तलाक का केस दायर कर दिया। ली एल्टन इससे बेखबर थी। इसी दौरान ली एल्टन ने भी अरुणोदय के खिलाफ भरण-पोषण व वैवाहिक संबंधों की पुनर्स्थापना के केस मुंबई की फैमिली कोर्ट में दायर कर दिए। आगे चलकर ली एल्टन को तलाक के केस की जानकारी मिली तो उसने केस को मुंबई स्थानांतरित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इसके बावजूद भी 18 दिसम्बर 2016 को ली एल्टन की गैरहाजिरी में फैमिली कोर्ट ने तलाक का एकपक्षीय आदेश सुना दिया। फैमिली कोर्ट, भोपाल के उक्त आदेश को अपील में चुनौती दी गई। ली एल्टन की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि ली एल्टन को बिना जानकारी के पारित एकतरफा तलाक का आदेश पारित किया गया, जो अवैध और निरस्त करने योग्य है। उन्होंने छह महीने के अंदर तलाक के मामले का एकतरफा फैसला होने पर भी आश्चर्य व्यक्त किया। दूसरी ओर अरुणोदय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर श्रीवास्तव ने दलील दी कि ली एल्टन के ई-मेल से अरुणोदय के साथ न रहने की मंशा जाहिर होती है। इसके बाद ही फैमिली कोर्ट ने एकतरफा तलाक का आदेश पारित किया। हाई कोर्ट ने सभी तर्क सुनने के बाद अपील इस टिप्पणी के साथ निरस्त कर दी कि फैमिली कोर्ट द्वारा पर्याप्त अवसर देने के बावजूद ली एल्टन की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया, इसलिए उसके खिलाफ पारित तलाक का एकतरफा आदेश उचित है। बता दें कि ली ने सुप्रीम कोर्ट में केस ट्रांसफर करने का आवेदन दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर 2019 को ली व अरुणोदय को मध्यस्थता के लिए बुलाया। अरुणोदय पहुंचे, लेकिन ली नहीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आवेदन निरस्त कर दिया।