प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कर्मचारियों को दोबारा मिलेगी नौकरी, अनिवार्य सेवानिवृत्ति में हटाये गये 187 कर्मियों, अधिकारियों को हाईकोर्ट से मिली राहत

भोपाल । मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूरे प्रदेश के कार्यालयों से अनिवार्य सेवानिवृत्त(कंपलसरी रिटायरमेंट स्कीम के तहत) किए गए 187 कर्मियों, अधिकारियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की सिंगल बेंच ने एक आदेश में अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के बोर्ड के आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने इन्हें सभी सम्बंधित लाभों के साथ सेवा में वापस लेने के निर्देश दिए।

दरअसल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने 19 मई 2022 को 187 अधिकारियों व कर्मचारियों को यह कहते अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी कि बोर्ड को इनकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है।

अचानक नौकरी जाने से परेशान बोर्ड के जबलपुर क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ रहे अनूप कुमार श्रीवास्तव, शहडोल के डॉ आनन्द किशोर दुबे व अन्य की ओर से हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर की गई। वरिष्ठ अधिवक्ता मृगेंद्र सिंह, अंशुमान सिंह, राहुल मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि सभी याचिकाकर्ता मंडल में विभिन्न पदों पर कार्यरत थे। बोर्ड ने कथित तौर पर कर्मचारियों के कार्य की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की थी।

समिति ने 187 कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं होने का अनुमोदन भेज दिया। इसी को आधार बनाकर मई में सभी को एकमुश्त नौकरी से निकाल दिया गया।
ऊपर से पेंशन नियम के नियम 42 का हवाला देते हुए तर्क दिया गया कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल के कर्मियों पर पेंशन नियम लागू नहीं होते।

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि अनिवार्य सेवानिवृत्त करने का उक्त आदेश अनुचित व अवैध है। सुनवाई के बाद तर्क से सहमत होकर कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर 19 मई 2022 को बोर्ड जारी अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश रद्द कर दिया।