23 वर्ष पूरे होने पर मिलेंगे दस लाख रुपए, स्कूल की फीस भरेगी सरकार

कोरोना महामारी की वजह से अनाथ हुए बच्चों का हाथ सरकार ने थामा है। इन्हें थोड़ी राहत देने की कोशिश की जा रही है ताकि जब ये बच्चे बड़े हों तो थोड़ी आॢथक मदद मिल सके।  कोरोना महामारी दूसरी लहर कई परिवारों को कभी न भरने वाला जख्म दे गई। किसी के सिर से पिता का साया उठा तो किसी की मां का आंचल छिन गया। किसी के हाथ की कलाई सूनी हुई तो किसी का भाई चला गया। ऐसे भी परिवार हैं जहां कोई नहीं बचा और बच्चों को छोडक़र पूरा परिवार काल कवलित हो गया। अब इन अनाथ बच्चों का हाथ सरकार ने थामा है। इन्हें थोड़ी राहत देने की कोशिश की जा रही है ताकि जब ये बच्चे बड़े हों तो थोड़ी आॢथक मदद मिल सके।

दरअसल, केन्द्र सरकार द्वारा कोरोना महामारी के कारण जिन बच्चों के माता-पिता, कानूनी अभिभावक या दत्तक माता-पिता की मृत्यु हो गई है, उन्हें पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना में सहारा दिया जाएगा। इस योजना के लिए मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना के बाल हितग्राही भी पात्र होंगे।

इस तरह मिलेगी आर्थिक मदद
पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना में बाल हितग्राही के 18 वर्ष के होने पर बच्चे के नाम से 10 लाख रुपए के कॉर्पस का प्रावधान किया गया है। इसी कॉर्पस से बच्चे को मासिक आर्थिक सहायता दी जाएगी। बाल हितग्राही की आयु 23 वर्ष होने पर उन्हें 10 लाख रुपए दिए जाएंगे। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत बाल हितग्राही को 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जाएगा।

स्कूल की फीस वहन करेगी सरकार
योजना में बाल हितग्राही को 10 वर्ष की आयु तक नजदीकी केन्द्रीय विद्यालय अथवा निजी विद्यालय में गैर-आवासीय विद्यार्थी के रूप में प्रवेशित कर शिक्षा के अधिकार प्रावधानों के अनुरूप फीस केन्द्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी। इसके अतिरिक्त उन्हें किताबों, नोट-बुक, यूनिफॉर्म पर व्यय राशि भी प्रदान की जाएगी। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत बाल हितग्राही के 11 से 18 वर्ष आयु समूह में होने पर केन्द्रीय आवासीय विद्यालय जैसे नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल आदि में प्रवेशित किया जाएगा। यदि हितग्राही संयुक्त परिवार में निवासरत है, तो नजदीकी केन्द्रीय विद्यालय या निजी विद्यालय में गैर-आवासीय विद्यार्थी के रूप में प्रवेशित किया जाएगा।

नहीं रहेगी प्रमाण पत्र की बाध्यता
योजना के अंतर्गत पात्र बच्चों के चिन्हांकन की कार्यवाही कलेक्टर द्वारा की जाएगी। योजना में माता-पिता की कोविड-19 से मृत्यु संबंधी प्रमाण-पत्र का होना अनिवार्य नहीं है लेकिन कलेक्टर द्वारा बच्चे के माता-पिता की मृत्यु कोविड से होने के संबंध में संतुष्टि होने और सत्यापन किए जाने पर ही बच्चे को लाभान्वित किया जाएगा।

 

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