फॉरेंसिक एक्सपर्ट और उसकी शिकायतकर्त्ता पुत्री को न्यायालय ने पहले गिरफ़्तारी वारंट का दिया आदेश, फिर दिया अंतिम अवसर

 

ग्वालियर। जिला सत्र न्यायालय ग्वालियर की एक महत्वपूर्ण अदालत ने ग्वालियर के वरिष्ठ फॉरेंसिक एक्सपर्ट और उनकी शिकायतकर्ता बेटी को गिरफ़्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया था।इसके उपरांत शिकायतकर्ता को न्यायालय ने अंतिम अवसर देते हुए आने के लिए पाबंद करने का आदेश दिया।

आरोपी पक्ष के अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष इस पर अपना विरोध प्रकट किया। पहले आदेश के बाद ही नोटशीट में दूसरा आदेश में शिकायतकर्ता पुत्री और उनके पिता को 21 मार्च को साक्ष्य के लिए सामान्य रूप से आने के लिए पाबंद करने का अंतिम अवसर देने का आदेश दिया।


गौरतलब है कि फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉक्टर अखिलेश भार्गव की बेटी अंकिता द्वारा कुंदन नगर निवासी अमित त्रिपाठी और उसके NRI परिवार पर 9 वर्ष पूर्व झाँसी रोड थाने में एक मुकदमा दर्ज करवाया था जिसमे पुलिस द्वारा विभिन्न धाराओं 420,467,468 384,और 120- बी के अंतर्गत विवेचना की।

आरोपी पक्ष द्वारा विवेचना में ठोस सबूत – फॉरेंसिक रिपोर्ट्स एवं वीसा,पासपोर्ट्स टिकट्स पेश किये गए।साक्ष्यों के आधार पर शिकायतकर्ता का आरोप मिथ्या साबित हुआ ।जिसके उपरांत पुलिस द्वारा मुख्य धाराएं हटाते हुए लीपापोती कर धारा 384 में चालान पेश किया। इन्ही ठोस सबूतों के आधार और विभिन्न साक्षियों के बयानों के साथ आरोपी अमित द्वारा न्यायलय में प्राइवेट कम्प्लेन दायर की गयी जिस पर न्यायलय ने फॉरेंसिक एक्सपर्ट अखिलेश भार्गव और बेटी अंकिता के खिलाफ धरा ४९४ और १०९ में मुकदमा दर्ज किया है।

आरोपी के अधिवक्ता श्याम शर्मा ने News website Byline24.com को जानकारी देते हुए बताया कि पिछले पांच वर्षो से अधिक समय से यह मामला न्यायलय में विचाराधीन है, परन्तु शिकायत कर्त्ता के साक्ष पूर्ण न करने से यह लंबित होता जा रहा है । सामान्यतः ऐसा कम देखा जाता हे जब आरोपी पक्ष स्वयं  मुक़दमे की जल्दी सुनवाई की गुहार लगाए और शिकायतकर्ता बयान देने से बचने की क़वायद लगातार करता दिखाई दे रहा है। पूर्व में भी यही स्थिति 28 फरवरी को अदालत में देखने को मिली थी। इस दौरान न्यायलय द्वारा उन्हें पाबंद किया गया था ।