मप्र में फरार अपराधियों का डाटा ही नहीं; सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार,गृह सचिव को किया तलब

भोपाल। मध्यप्रदेश में फरार अपराधियों का डाटा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए गृह सचिव को 13 फरवरी को हाजिर होने को कहा है। आपराधिक याचिका पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की खंडपीठ ने मध्यप्रदेश के साथ ही गोवा नागालैंड तमिलनाडु तेलंगाना और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप व पुडुचेरी के गृह सचिवों को भी तलब किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश घोषित अपराधियों जमानत व पैरोल नियमों का उल्लंंघन करते हुए गिरफ्तारी से बचने वाले व्यक्तियों से संबंधित डाटा जमा नहीं कराने पर जारी किया है। पैरोल से बाहर निकलने वाले एक अपीलकर्ता की आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने न केवल मप्र बल्कि अन्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कुल और जिलेवार डाटा पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की हमारे पास आपको बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
राष्ट्रीय पोर्टल पर भी डाटा नहीं
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने न्याय से भागने वाले व्यक्तियों को पकडऩे अंतरराज्यीय सहयोग की जरूरत पर जोर देते हुए चिंता जताई थी। कहा था कि स्थिति खतरनाक है! अदालत ने ऐसे अपराधियों के विवरण के साथ आम जनता के लिए सुलभ एक राष्ट्रीय पोर्टल का भी प्रस्ताव दिया था। इससे संबंधित जब हरियाणा ने एक डेटा प्रस्तुत किया तब कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को गिरफ्तारी से बचने वाले लागों के संबंध में नया डेटा प्रस्तुत करने कहा।
जवाब नहीं दिया
कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को राष्ट्रीय पोर्टल की स्थिति और इस संबंध में केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी पीठ को देने का निर्देश दिया था। नवंबर में पीठ ने नोट किया कि किसी भी राज्य ने ई-मेल का जवाब नहीं दिया। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि एक महीने के भीतर एएसजी के ई-मेल पर प्रतिक्रिया नहीं भेजी जाती है तो राज्यों के गृह सचिवों को अदालत में उपस्थित रहने की आवश्यकता होगी।