कोविड वैक्सीन के उत्पादन के लिए पीएम केयर्स फंड से सौ करोड़ रुपये नहीं दिए गएः आरटीआई 

 भारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कोविड-19 महामारी का दूसरा सबसे अधिक बुरा प्रभाव पड़ा है और भारत में वैक्सीन की आपूर्ति में भी कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले.

कोविड-19 के दौरान किसी तरह की आपात स्थिति या संकट से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित पीएम केयर्स फंड वैक्सीन के उत्पादन के लिए वादा किए गए 100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने में असफल रहा.

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दायर किए गए सवाल के जवाब में यह बात सामने आई है.

कार्यकर्ता कमोडोर लोकेश बत्रा (सेवानिवृत्त) द्वारा दायर आवेदन के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वीकार किया: ‘अब तक स्वास्थ्य एवं सार्वजनिक शिक्षा प्रभाग से प्राप्त जानकारी का संबंध हैं, यह बताया गया है कि वैक्सीन के उत्पादन के लिए पीएम केयर्स फंड से कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई.’

बत्रा ने जुलाई 2021 में यह आवेदन दायर किया था लेकिन कई रिमाइंडर भेजने के बाद उन्हें लगभग चार महीने बाद तक इसका जवाब मिला.

13 मई 2020 को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि मोदी सरकार कोविड-19 के खिलाफ भारत की जंग में मदद के लिए 3,100 करोड़ रुपये की मदद करेगी.

विज्ञप्ति में कहा गया, ‘कोविड-19 वैक्सीन के डिजाइनर्स और डेवलपर्स की मदद करने के लिए पीएम केयर्स फंड से 100 करोड़ रुपये दिए जाएंगे ताकि वैक्सीन उत्पादन में मदद मिल सके. इस धनराशि का प्रयोग प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की देखरेख में किया जाएगा.’

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार मौजूदा समय में के.विजय राघवन हैं.

द वायर  ने इस जानकारी पर प्रतिक्रिया के लिए उन्हें ईमेल किया है और इस पर उनका जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

बत्रा ने आरटीआई अधिनियम के तहत 16 जुलाई 2021 को स्वास्थ्य मंत्रालय के केंद्रीय जनसूचना अधिकारी (सीपीआईओ) के समक्ष आवेदन दायर कर पीएम केयर्स फंड के जरिये खर्च का विवरण मांगा था.

उन्होंने विशेष रूप से कोविड-19 महामारी से संबंधित टीके के उत्पादन के लिए भारत सरकार द्वारा प्राप्त पीएम केयर्स फंड की कुल धनराशि का वार्षिक ब्योरा मांगा था.

उन्होंने वैक्सीन उत्पादन प्रक्रिया में शामिल कंपनियों, संगठनों और इकाइयों के नाम का भी ब्योरा मांगा था.

कोविड-19 वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन सेल के सीपीआईओ के कार्यालय ने कहा कि वैक्सीन उत्पादन के लिए पीएम केयर्स फंड से उन्हें कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई.

उन्होंने यह भी कहा कि वह इस आवेदन को पीएमओ, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और बायोटेक्नोलॉजी विभाग को ट्रांसफर कर रहे हैं.

पहले अपीलीय प्राधिकरण ने कहा कि आईसीएमआर ने नौ अगस्त को बत्रा के सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा, ‘आईसीएमआर को पीएम केयर्स फंड के जरिये वैक्सीन उत्पादन के लिए कोई फंड नहीं मिला.’

बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने कहा कि बत्रा के अनुरोध को नौ अगस्त को अन्य अथॉरिटी को ट्रांसफर कर दिया गया है.

पीएमओ की प्रतिक्रिया के जवाब में बत्रा ने आठ सितंबर 2021 को पहली अपील दायर की. दो दिन बाद सीपीआईओ कार्यालय ने कहा, जहां तक इस ऑफिस का संबंध है, यह कहा गया कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 2 (एच) के दायरे में आने वाली कोई पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.

एक अक्टूबर 2021 को पीएमओ अपीलीय अथॉरिटी के पोर्टल पर उनके आवेदन को लेकर स्टेटस में दिया गया था कि अपील का निपटान कर दिया गया है.

बत्रा को उसी दिन पीएमओ के सीपीआईओ से पत्र मिला, जिसमें कहा गया था, पीएम केयर्स फंड आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 2 (एच) के दायरे में आने वाली कोई पब्लिक अथॉरिटी नहीं है इसलिए आपसे कोई जानकारी साझा नहीं की जा सकेगी.

बत्रा को यह भी बताया गया कि उनके आवेदन को नीति आयोग और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठऩ (सीडीएससीओ) को सौंप दिया गया है.

14 सितंबर को सीडीएससीओ की वेबसाइट पर कहा गया कि उन्होंने बत्रा के आवेदन के जवाब में कहा, ‘सीडीएससीओ एक नियामक एजेंसी हैं और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल्स रूल्स 2019 के अनुरूप वैक्सीन सहित ड्रग्स की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता को रेगुलेट करती है और उसकी टीके के उत्पादन के लिए फंडिंग और बजट आवंटन में उसकी कोई भूमिका नहीं है.’

बत्रा ने कहा कि उन्होंने इसमें हस्तक्षेप करने के लिए पहले अपीलीय प्राधिकरण को सात रिमाइंडर भेजे हैं और साथ में स्वास्थ्य मंत्रालय के नोडल सीपीआईओ को एक जरूरी ईमेल भी भेजा है.

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