सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: कोविड के चलते अनाथ हुए बच्चों तक पहुंचें राज्य सरकारें, मुआवजे का भुगतान करें

यरस महामारी के चलते अपने माता-पिता को खोने वाले 10 हजार से अधिक बच्चों को मदद उपलब्ध कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वह इन बच्चों तक पहुंचें और मुआवजे का भुगतान करें। ऐसे बच्चों को 50 हजार रुपये के मुआवजे का भुगतान न किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से नाराजगी जताई और आंध्र प्रदेश और बिहार के मुख्य सचिवों को वर्चुअल माध्यम से स्पष्टीकरण देने के लिए पेश होने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव समीर शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया और पूछा कि शीर्ष अदालत की ओर से पूर्व में दावों का भुगतान करने के आदेश का अनुपालन न करने के लिए क्यों उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई न की जाए। न्यायाधीश एमआर शाह और संजीव खन्ना की पीठ अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में कोविड से मारे गए लोगों को परिजनों को आर्थिक मदद देने की मांग की गई है।

 याचिकाओं में कहा गया है कि बाल स्वराज पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार पूरे देश में लगभग 10 हजार बच्चों ने कोरोना वायरस के चलते माता-पिता में से किसी एक या फिर दोनों को खो दिया है। ऐसे बच्चों के लिए आवेदन दाखिल करना या मुआवजे के लिए दावा करना बहुत कठिन है। इस पीठ ने कहा कि हम संबंधित राज्यों को निर्देश देते हैं कि वह कोविड के चलते अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों से संपर्क करें जिससे मुआवजे की राशि का उन्हें भुगतान किया जा सके।

 पीठ ने कहा कि हम संबंधित राज्यों को यह निर्देश भी देते हैं कि वह दर्ज की गईं कोरोना संबंधी मौतों के बारे में पूरी जानकारी संबंधित राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के साथ साझा करें। पीठ इस मामले में आदेश गुरुवार को सुनाएगी। इससे पहले चार अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि कोरोना से मृत किसी व्यक्ति के परिजन को 50,000 रुपये का मुआवजा देने से कोई भी सरकार केवल इस आधार पर मना नहीं करेगी कि मृत्यु प्रमाणपत्र में कारण में वायरस का उल्लेख नहीं है।

 

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