बच्चों को इतना काबिल बनाओ कि वे किसी पर आश्रित न रहें: जया किशोरी, नानी बाई की मायरो में उमड़ा जनसैलाब

बच्चों को इतना काबिल बनाओ कि वे किसी पर आश्रित न रहें: जया किशोरी
नानी बाई की मायरो में उमड़ा जनसैलाब, मीतेेंद्र ने श्रद्धालुओं पर बरसाए फूल
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ग्वालियर। नरसी भगत पर जव ठाकुरजी की कृपा हुई तो उन्होंने राधेश्याम के जयकारों के बीच अपनी पुत्री नानीबाई का ऐसे मायरा भरा कि उसका वैभव लोग देखते ही रह गए। नरसी ने अपने सांवरे पर भरोसा किया और अशर्फियों, मोतियों, पन्नों,गहनों और नोटों से भरे थाल, हीरों का हार, लहंगा-चूंदडिय़ों के साथ नानी बाई के ससुरालवालों द्वारा मांगी गई हर वस्तु मायरे में दे दी। मायरे में इतना सामान देखकर नानी बाई के ससुरालवालों की आंखें खुली की खुली रह गईं। इस दौरान हजारों भक्तों से भरा कथा पांडाल सावरिये की जय-जयकार से गूंज उठा। विश्वविख्यात कथावाचिका जयोकिशोरी ने नानी बाई को मायरो की अद्भुत कथा सुनाकर ग्वालियर के श्रद्धालुओं को आनंद विभोर कर दिया। इस मौके पर पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह, विधायक लाखन सिंह, सुरेश राजे, सत्यनारायण पटेल, कथा आयोजक मीतेंद्र दर्शन सिंह ने व्यासपीठ की आरती उतारी।
स्व. दर्शन सिंह की स्मृति में आयोजित नानी बाई का मायरो की कथा सुनने के लिए शहर क ी हर राह खाटू श्याम प्रागंण एक नम्बर लाइन की ओर जाती दिखाई दी, जिसके चलते अंतिम दिन की कथा में श्रद्धालुओं की संख्या सैलाब में बदल गई। एक नम्बर लाइन का विशाल मैदान छोटा पड़ता नजर आया। चलो रे मन श्रीवंृदावन धाम..से उन्होंने अपने भजनों का सिलसिला शुरू किया,जो कथा विश्राम तक निरन्तर श्रद्धालुओं को आनंदित करता रहा।
कथा का रसपान कराते हुए जयोकिशोरी ने कहा कि भक्तों को भगवान के पास जाने की जरूरत नहीं होती, बल्कि जो सच्चे भक्त होते हैं भगवान खुद उनके पास चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि लड़का हो या लड़की अपने बच्चों को इतना काबिल बना दो कि वे आत्मनिर्भर होकर अपनी जिंदगी आराम से गुजार सकें। बेटी ससुराल में अन्याय तभी सहती जब वह अपने पैरों पर खड़ी नहीं होती है।अन्याय करने वाला तो पापी होता ही है, अन्याय सहना भी गलता है। बच्चों का आत्मनिर्भर कर दिया समझो मां-बाप ने गंगास्नान का पुण्य हासिल कर लिया।
उन्होने कहा कि अधिकांशत: महिलाएं ही महिलाओं से ईर्ष्या करती हैं,जहां चार महिलाएं एकत्रित हुई उन्होंने दूसरी महिलाओं की बुराई करना शुरु कर दिया, यह ठीक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आदमी इतना स्वार्थी हो गया है कि यदि उसका काम न हो तो वह भगवान भी बदल लेता है, यह भक्ति नहीं हैं। यदि सच्चे मन से भक्ति करोगो तो आपकी हर मनोकामना पूरी होगी। उन्होंने कहा कि कभी भी जिंदगी के फैसले ये सोचकर मत लेना कि लोग क्या कहेंगे। लोगों की सोचकर यदि आपने निर्णय लिए तो आपको पूरी जिंदगी पछताना पड़ेगा।
मीतेंद्र में स्व.दर्शन सिंह का सेवाभाव: जयवर्धन
इस मौैके पर पूर्वमंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि जयाकिशोरी विश्व की मातृशक्ति की प्रतीक हैं। आज इस प्रागंण में मीतेंद्र द्वारा आयोजित कथा में श्रद्धालुओं का सैलाब देखकर मुझे उनके स्वर्गीय पिता दर्शन सिंह की याद आ गई। स्व. दर्शन सिंह में जो सेवा का भाव था, वहीं संस्कार उन्होंने अपने बच्चों को दिए हैं, जो मीतेंद्र में नजर आ रहा है। इस मौके पर उन्होंने श्रद्धालुओं के बीच में कथा श्रवण करने के साथ श्रद्धालुओं पर मीतेंद्र के साथ फूल भी बरसाए।
इस मौके पर दंदरैआ हनुमान मंदिर के महंत रामदास महाराज, अयोध्या से आए वैदही वल्लभ शरण महाराज, बीज विकास निगम के अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल, विवेक सिंह सहित हजारों श्रद्दालुओं का सैलाब रहा। अंत में सभी ने भंडारे प्रसादी ग्रहण की।

 

ग्वालियर। नरसी भगत पर जव ठाकुरजी की कृपा हुई तो उन्होंने राधेश्याम के जयकारों के बीच अपनी पुत्री नानीबाई का ऐसे मायरा भरा कि उसका वैभव लोग देखते ही रह गए। नरसी ने अपने सांवरे पर भरोसा किया और अशर्फियों, मोतियों, पन्नों,गहनों और नोटों से भरे थाल, हीरों का हार, लहंगा-चूंदडिय़ों के साथ नानी बाई के ससुरालवालों द्वारा मांगी गई हर वस्तु मायरे में दे दी। मायरे में इतना सामान देखकर नानी बाई के ससुरालवालों की आंखें खुली की खुली रह गईं। इस दौरान हजारों भक्तों से भरा कथा पांडाल सावरिये की जय-जयकार से गूंज उठा। विश्वविख्यात कथावाचिका जयोकिशोरी ने नानी बाई को मायरो की अद्भुत कथा सुनाकर ग्वालियर के श्रद्धालुओं को आनंद विभोर कर दिया। इस मौके पर पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह, विधायक लाखन सिंह, सुरेश राजे, सत्यनारायण पटेल, कथा आयोजक मीतेंद्र दर्शन सिंह ने व्यासपीठ की आरती उतारी।


स्व. दर्शन सिंह की स्मृति में आयोजित नानी बाई का मायरो की कथा सुनने के लिए शहर की हर राह खाटू श्याम प्रागंण एक नम्बर लाइन की ओर जाती दिखाई दी, जिसके चलते अंतिम दिन की कथा में श्रद्धालुओं की संख्या सैलाब में बदल गई। एक नम्बर लाइन का विशाल मैदान छोटा पड़ता नजर आया। चलो रे मन ..से उन्होंने अपने भजनों का सिलसिला शुरू किया,जो कथा विश्राम तक निरन्तर श्रद्धालुओं को आनंदित करता रहा।
कथा का रसपान कराते हुए जयोकिशोरी ने कहा कि भक्तों को भगवान के पास जाने की जरूरत नहीं होती, बल्कि जो सच्चे भक्त होते हैं भगवान खुद उनके पास चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि लड़का हो या लड़की अपने बच्चों को इतना काबिल बना दो कि वे आत्मनिर्भर होकर अपनी जिंदगी आराम से गुजार सकें। बेटी ससुराल में अन्याय तभी सहती जब वह अपने पैरों पर खड़ी नहीं होती है।अन्याय करने वाला तो पापी होता ही है, अन्याय सहना भी गलता है। बच्चों का आत्मनिर्भर कर दिया समझो मां-बाप ने गंगास्नान का पुण्य हासिल कर लिया।
उन्होने कहा कि अधिकांशत: महिलाएं ही महिलाओं से ईर्ष्या करती हैं,जहां चार महिलाएं एकत्रित हुई उन्होंने दूसरी महिलाओं की बुराई करना शुरु कर दिया, यह ठीक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आदमी इतना स्वार्थी हो गया है कि यदि उसका काम न हो तो वह भगवान भी बदल लेता है, यह भक्ति नहीं हैं। यदि सच्चे मन से भक्ति करोगो तो आपकी हर मनोकामना पूरी होगी। उन्होंने कहा कि कभी भी जिंदगी के फैसले ये सोचकर मत लेना कि लोग क्या कहेंगे। लोगों की सोचकर यदि आपने निर्णय लिए तो आपको पूरी जिंदगी पछताना पड़ेगा।
मीतेंद्र में स्व.दर्शन सिंह का सेवाभाव: जयवर्धन
इस मौके  पर पूर्वमंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि जयाकिशोरी विश्व की मातृशक्ति की प्रतीक हैं। आज इस प्रागंण में मीतेंद्र द्वारा आयोजित कथा में श्रद्धालुओं का सैलाब देखकर मुझे उनके स्वर्गीय पिता दर्शन सिंह की याद आ गई। स्व. दर्शन सिंह में जो सेवा का भाव था, वहीं संस्कार उन्होंने अपने बच्चों को दिए हैं, जो मीतेंद्र में नजर आ रहा है। इस मौके पर उन्होंने श्रद्धालुओं के बीच में कथा श्रवण करने के साथ श्रद्धालुओं पर मीतेंद्र के साथ फूल भी बरसाए।