ग्वालियर के पुलिस थानों में कई माह से अटके हैं फौती आर्म्स लाइसेंस के 450 आवेदन; रिश्वत देने के बाद भी नहीं हो रहे साइन, आवेदक लगा रहे चक्कर

 

राजेश शुक्ला, ग्वालियर। ग्वालियर चंबल संभाग में लाइसेंसी हथियारों का शौक किसी से छिपा नहीं है। सिटी सेंटर स्थित न्यू कलेक्ट्रेट के शस्त्र विभाग में तीन सैकड़ा से ज्यादा आवेदन प्रति माह जमा हो रहे हैं। चूँकि चुनावी वर्ष है इसीलिए विभिन्न पार्टियों के नेता अपने समर्थकों को लाइसेंस दिलाने अपनी पार्टी के आकाओं से जुगाड़ लगा रहे हैं। यद्यपि असली समस्या यह है कि ग्वालियर जिले के अधिकतर पुलिस थानों में करीब 450 से ज़्यादा लाइसेंसी शस्त्र फौती के आवेदन लंबित पड़े हुए हैं। जिन पर अब तक थाना प्रभारियों की लापरवाही के कारण हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। इनमें बड़ी संख्या में माउजर पिस्टल और रिवाल्वर के फौती के आवेदन मृतक के परिजनों के लंबे समय से लंबित हैं। स्थिति यह है की पीड़ित आवेदक थानों के चक्कर लगाकर परेशान हो गए हैं लेकिन उन्हें एक ही जवाब मिलता है कि कल कर देंगे आप चिंता मत करें byline24.com के पास ऐसे कई पीड़ितों के वर्जन हैं जो पुलिस के इस रवैया के कारण परेशान हो चुके हैं।वहीं पुलिस के आलाधिकारी भी इसका जवाब देने से कतरा रहे है।

बिना रिश्वत दिये नहीं होता काम
कलेक्ट्रेट स्थित शस्त्र विभाग से जुड़े सूत्र के अनुसार ग्वालियर जिले के करीबन 38 पुलिस थानों में फौती लाइसेंस के बड़ी संख्या में आवेदन लंबित हैं। एक कर्मचारी का कहना है कि हमारे पास जितने भी फौत के आवेदन आए हैं हमने उन्हें वेरीफाई कर के संबंधित थानों में तुरंत भेज दिया है अब पुलिस उन्हें क्यों नहीं वेरीफाई कर फाइल भेज रही है इसके बारे में हम जानकारी नहीं दे सकते हैं।

दरअसल पूरा मामला लेनदेन से जुड़ा हुआ है।आवेदन जमा होने से लेकर पुलिस वेरिफिकेशन तक आवेदक बिना पैसे दिए कोई भी काम नहीं करा सकता है ।इसमें सबसे ज्यादा समस्या पुलिस विभाग के द्वारा ही उत्पन्न होती है जैसे ही नए पुराने लाइसेंस आवेदकों की फाइल थाने आती है तो उनसे बिना लिए पुलिस के अधिकारी कर्मचारी फाइल को हाथ तक नहीं लगाते हैं।

आवेदक हो रहे परेशान
बता दें कि फौती लाइसेंस के आवेदकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है ।ऐसे ही एक पीड़ित आवेदक ने बताया कि देहात के थाने में पिता की मौत के बाद लाइसेंसी शस्त्र अपने नाम दर्ज कराने के लिए शुरुआत में पैसे दिए लेकिन उसके बावजूद भी मेरे आवेदन को रोके रखा ।कई बार थाने के चक्कर लगाने पर भी मेरा आवेदन पुलिस ने एसपी कार्यालय नहीं भेजा।

 

क्या है फौती नामांतरण 

फौती नामान्तरण का मतलब किसी व्यक्ति के नाम लाइसेंसी शास्त्र है उसकी मृत्यु के बाद उसकी लाइसेंसी को उसके विधिक पुत्र या पुत्री के नाम पर दर्ज करने की प्रक्रिया को फौती नामान्तरण कहा जाता है।

क्या है प्रक्रिया
किसी भी शस्त्र लाइसेंस धारक की मौत हो जाती है तो सबसे पहले उसके परिजन लाइसेंसी बंदूक़ को संबंधित पुलिस थाने में जमा करते हैं ।इसके बाद जिस परिवार के सदस्य को लाइसेंसी बंदूक़ अपने नाम दर्ज कराना है उसे दस्तावेज के साथ सभी परिवार के लोगों का एक अनापत्ति प्रमाण पत्र भी आवेदन के साथ लगाना होता है ,जिसमें यह लिखा रहता है कि मेरे परिवार के सदस्यों को लाइसेंसी हथियार मेरे नाम पर दर्ज कराने में किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं है। पुलिस थाने से फाइल पुलिस अधीक्षक कार्यालय भेजी जाती है यहां से आवेदक की फाइल कलेक्ट्रेट में जाती है ।अगर पिस्टल रिवाल्वर का आवेदन है तो वह भोपाल के लिए फॉरवर्ड कर दिया जाता है वहीं 12 बोर 315 बोर के आवेदन स्थानीय स्तर पर कलेक्टर और कमिश्नर के द्वारा जारी कर दिए जाते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कैम्प लगाकर किया था निराकरण

यहां बताना आवश्यक है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में फौती लाइसेंस के आवेदनों के निराकरण के लिए उन्होंने कैंप लगवाकर हाथों-हाथ मृतकों के परिजनों के नाम लाइसेंस दर्ज करवाने के आदेश दिए थे ।इन कैंपों में एसपी और कलेक्टर तक शामिल हुए थे

पीड़ित आवेदक संतोष गर्ग

पीड़ित की सुने
मेरे पिताजी कोविड के समय बीमारी से ग्रस्त होकर नहीं रहे थे। उनके जाने के बाद मैंने पिताजी के नाम पर दर्ज लाइसेंसी रिवाल्वर अपने नाम दर्ज कराने के लिए फरवरी के पहले हफ्ते में कलेक्ट्रेट में आवेदन जमा किया था उसके बाद कुछ ही दिनों में आवेदन इंदरगंज थाने पहुंच गया। यहां मैंने काम जल्द होने के लिए खर्चा भी दिया लेकिन मेरी फाइल वहीं की वहीं पड़ी हुई है। कई बार मैंने इंदरगंज थाना प्रभारी को भी कहा और व्यक्तिगत रूप से मिला भी लेकिन अब तक मेरी समस्या का निराकरण नहीं हुआ।

संतोष गर्ग पुत्र स्वर्गीय डाक्टर ओम प्रकाश                गर्ग निवासी छप्पर वाला पुल,शिंदे की छावनी लश्कर ग्वालियर 

आवेदन नंबर 2847/ 2022