सिफारिश वाली लिस्ट से ट्रिब्यूनल में नियुक्ति क्यों नहीं की? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार

देश भर के ट्रिब्यूनलों में रिक्तियों को भरने पर विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फिर से फटकार लगाई है। इस बार सुप्रीम कोर्ट ने ‘सर्च-कम-सेलेक्शन कमेटी’ द्वारा अनुशंसित व्यक्तियों (सिफारिश की गई लिस्ट) के बजाय ट्रिब्यूनल में वेटलिस्ट से लोगों को नियुक्त करने को लेकर सरकार की खिंचाई की है।

सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को न्यायाधिकरणों में दो सप्ताह के भीतर नियुक्तियां करने को कहा है, साथ ही अनुशंसित सूची में शामिल व्यक्तियों को शामिल न कर पाने पर कारण देने को क‍हा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कमेटी ने चिन्हित लोगों की लिस्ट तैयार कर सिफारिश कर दी थी, तो फिर वेट लिस्ट में शामिल लोगों को ट्रिब्यूनल में क्यों नियुक्त किया गया।

कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि ‘मन मुताबिक’ लोगों की नियुक्ति की गई है। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने देश भर में ट्रिब्यूनल में रिक्त पदों को लेकर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि स्थिति दयनीय है। हालांकि, अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को आश्वासन दिया कि केंद्र दो सप्ताह में ट्रिब्यूनल में चयन समिति द्वारा अनुशंसित व्यक्तियों की सूची से नियुक्तियां करेगा।

बता दें कि विभिन्न प्रमुख न्यायाधिकरणों और अपीलीय न्यायाधिकरणों में लगभग 250 पद खाली पड़े हैं। शीर्ष अदालत ट्रिब्यूनल में रिक्तियों और अर्ध न्यायिक निकायों को नियंत्रित करने वाले नए कानून के मुद्दे पर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

 

पिछली सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल में रिक्तियों को लेकर सरकार को फटकार लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा था कि हमें लगता है कि सरकार को इस अदालत के लिए कोई सम्मान नहीं है। सीजेआई ने चेतावनी देते हुए कहा था कि आप हमारे धैर्य का परीक्षा ले रहे हैं।

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