मरीजों के लिए झुका जूडा ; हड़ताल समाप्त, शासन ने मांगे मानी

ग्वालियर/ भोपाल। मप्र में लंबित मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल सातवें दिन टूट गई है। जूडा ने कहा कि हमारी मांगों को मान लिया गया है, अब हाईकोर्ट के सम्मान और परेशान हो रहे मरीजों के लिए हम काम पर वापस लौट रहे हैं। गौरतलब है कि भोपाल, इंदौर, सागर,ग्वालियर, जबलपुर और रीवा में जूडा ने अपनी मांगों को लेकर सात दिन पहले काम बंद कर दिया था। इससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा बिगड़ गई थी। अब शासन ने जूडा की सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है। इसके बाद से ग्वालियर समेत अन्य शहरों जूडा ने कोर्ट के सम्मान और मरीजों की खातिर हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की। ऐसा माना जा रहा है कि रविवार शाम के बाद ही हड़ताल वापसी की योजना बन गई थी। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने जिन सीनियर रेजीडेंटों को बर्खास्त किया था अब वह आदेश वापस लिया जा रहा है। बता दें कि अपनी मांगों को नहीं मानने पर जूडा ने हड़ताल की घोषणा कर ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दीं। जबलपुर हाईकोर्ट ने हड़तान को गैर कानूनी और गलत समय पर बताते हुए 24 घंटे में काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया था। साथ ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के बयान कि जूडा हड़ताल कर मरीजों के परिजन को ब्लैकमेल कर रहे हैं। इससे जूडा में आक्रोश भड़क गया। लेकिन जूडा (संख्या तीन हजार)ने हड़ताल वापसी की घोषणा कर दी।


प्रदेश के भोपाल, इंदौर, सागर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा के सरकारी अस्पतालों में हड़ताल पर गए जूडा की मांग थी कि स्टायफंड में 24 फीसदी बढोतरी किए जाने, हर साल मिलने वाला 6 प्रतिशत इंक्रीमेंट, बेसिक स्टायफंड करने, पीजी करने के बाद एक साल के ग्रामीण बॉन्ड को कोविड ड्यूटी के बदले हटाने के लिए समिति बनाए जाने व कोविड यूनिट में कार्यरत जूनियर डाक्टरों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत अतिरिक्त नंबर दिए जाने के फायदे पहुंचाने जैसी मांगों को स्वीकार नहीं किए जाने के बाद ही जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था।

पिछले सात दिन से जूडा की हड़ताल के कारण अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य अस्पताल और जिलों की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही थीं और इसका खामियाजा वार्डों में भर्ती मरीजों को उठाना पड़ रहा था। आज जूडा के काम पर वापस लौटने के बाद एक बार अस्पतालों में रौनक लौट आई है।

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