पीएमटी परीक्षा 2009 के फर्जी डॉक्टर को 7 साल की जेल, दो डॉक्टर मुरैना के, सॉल्वर की मदद से की थी परीक्षा पास

भोपाल। फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस की तरह व्यापम महाघोटाले के जरिये फर्जीवाड़ा कर डॉक्टर बने 7 डॉक्टरो के मामले में सुनवाई पूरी होने पर विशेष न्यायालय (व्‍यापम केस भोपाल) ने एक आरोपी डॉक्टर को दोषी करार देते हुए 7 वर्ष का सश्रम करावास एवं 10-10 हजार रूपये के जुर्माने से दण्डित किये जाने को फैसला सुनाया है। अधिकारियो से मिली जानकारी के अनुसार व्‍यापम द्वारा आयोजित पीएमटी परीक्षा 2009 में सॉल्वर की मदद से परीक्षा पास कर एमबीबीएस करने संबंधी शिकायत एसटीएफ को मिली थी। जॉच में शिकायत सही पाये जाने पर सात डॉक्टरो, डॉक्टर प्रशांत मेश्राम पिता तेजराम मेश्राम निवासी खेरलांजी जिला बालाघाट, अजय टेगर पिता जेपी टेगर निवासी, बामोर जिला मुरैना, अनिल चौहान पिता धनसिंह चौहान निवासी, ग्राम पल्या, पोस्ट सोंदुल जिला बड़वानी, हरिकिशन जाटव पिता रामहेत जाटव निवासी, गंगाराम का पुरा बामोर जिला मुरैना, शिवशंकर प्रसाद पिता दयाशंकर प्रसाद निवासी, त्योंथर जिला रीवा, अमित बड़ौले पिता पन्नालाल बड़ौले निवासी, ग्राम फत्यापुर जिला बड़वानी और सुलवंत सिंह मौर्य पिता भरत सिंह मौर्य निवासी, 118 विवेकानंद कालोनी झाबुआ के खिलाफ अपराध क्रमांक 55/2022 धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120बी सहित मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की धारा में दर्ज कर विवेचना में लिया गया। जॉच के बाद साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने आरोपियो के खिलाफ न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया था। सुनवाई पूरी होने पर 22 मार्च 2024 को विशेष न्यायाधीश सी.बी.आई. (व्‍यापमं केस भोपाल) के न्यायधीश नीतिराज सिंह सिसोदिया की कोर्ट द्वारा साक्षियों के कथन एवं पाये गये तथ्‍यों के आधार पर सभी आरोपी को दोषी करार दिया गया। आरोपी जितेन्द्र टांक को 7-7 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10-10 हजार रूपये के अर्थदंड से दण्डित किया गया है। प्रकरण की विवचेना निरीक्षक सुभाष दरश्यामकर थाना प्रभारी थाना एसटीएफ भोपाल द्वारा की गई एवं एसटीएफ की ओर से न्‍यायालय में विशेष लोक अभियोजक सुनील श्रीवास्‍तव द्वारा पैरवी की गई।