सत्ता के केंद्र ग्वालियर-चम्बल में पूरी ताक़त झोंक रही भाजपा; नरेंद्र तोमर, सिंधिया और बीडी शर्मा की राजनैतिक इज्जत दांव पर

 

ग्वालियर। इस बार का विधानसभा चुनाव ग्वालियर चंबल अंचल के तीन कद्दावर नेताओं का भविष्य भी तय करेगा। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर महाराजा वाला ग्लैमर बरकरार रखने की चुनौती होगी, तो वहीं कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह तोमर के लिए भी ग्वालियर चंबल अंचल में अपना रुतबा बरकरार रखना बड़ी चुनौती होगी। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाने का अवसर है। गौरतलब है कि ग्वालियर-चंबल अंचल के 8 जिलों की 34 सीटोंं पर 2018 के विधानसभा चुनाव भाजपा को बड़ा धक्का लगा था। सरकार बनाने बहुमत भी हासिल नहीं हो पाया था। कांग्रेस ने 34 में से 26 सीटें जीत ली थीं जबकि भाजपा के हिस्से में महज 7 सीटें ही आई थीं। एक सीट बसपा के खाते में चली गई थी। इसके बाद पिछले साल जुलाई 2022 में हुए निकाय चुनाव के नतीजे भी भाजपा के लिए निराशाजनक रहे थे। ग्वालियर-मुरैना महापौर चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। ग्वालियर- चंबल संभाग में भाजपा हार गई थी।
इस विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल सियासी संग्राम का गढ़ बन गया है। जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए सत्ता-संगठन के नेताओं ने यहां पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बारिश में भीगते हुए पब्लिक से संपर्क और संवाद किया। वहीं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी केंद्रीय मंत्री तोमर और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ जनता से आशीर्वाद मांगते रहे। निकाय चुनाव में भाजपा ग्वालियर-मुरैना की महापौर सीट हार गई। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां बड़ा नुकसान का सामना करना पड़ा था। इस अंचल के कई नेताओं का केंद्र और प्रदेश मंत्रिमंडल खासा प्रभाव है। इसलिए जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से सभी विधानसभा सीटों पर बड़े नेता पहुंच रहे हैं।
सिंधिया के लिए चुनौती भरा समय
2023 विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना ग्लैमर साबित करना बड़ी चुनौती होगा। 2018 में ग्वालियर चंबल अंचल में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बदौलत कांग्रेस को 33 साल बाद बड़ी कामयाबी हासिल की थी। लेकिन 2019 में सिंधिया कांग्रेस के टिकिट पर गुना लोकसभा चुनाव में शिकस्त झेल चुके हैं। 2020 में सिंधिया ने भाजपा का दामन थामा और कमलनाथ सरकार गिराकर शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाया। केंद्र की कांग्रेस सरकार में चार बार सांसद, 2 बार मंत्री रहे सिंधिया अब भाजपा सरकार में मंत्री बन चुके हैं। 2023 का विधानसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए बड़ी कामयाबी दिलाने की चुनौती वाला चुनाव रहेगा।
तोमर के लिए रुतबा बरकरार रखना चुनौती
2023 का विधानसभा चुनाव केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिए भी खुद का रुतबा बरकरार रखने के लिए चुनौती वाला चुनाव होगा। तोमर दो बार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं, उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री भी रहे। मई 2009 से तीन बार सांसद बनकर नरेंद्र सिंह तोमर लगातार दो बार से नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं। नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर चंबल अंचल में भाजपा के एकछत्र बड़े नेता थे, लेकिन सिंधिया के भाजपा में आने के बाद 2023 के विधानसभा चुनाव में उनके लिए अपना रुतबा कायम रखना बड़ी चुनौती होगा।
वीडी शर्मा को नेतृत्व क्षमता दिखाने का अवसर
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के लिए यह चुनाव काफी अहम है। वैसे शर्मा भाजपा के लिए शुभंकर साबित हुए हैं। ऐसे में उन्हें इस चुनाव में अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाने का अवसर मिला है। खासकर ग्वालियर चंबल अंचल में पार्ठी का अधिक से अधिक सीटें जीताने की जिम्मेदारी इन पर है। गौरतलब है कि प्रदेश में सियासी उथल पुथल के बाद नवंबर 2020 में हुए 28 सीटों के उपचुनाव में इस अंचल में भाजपा को 7 सीटों (अशोकनगर, बमोरी, पोहरी, भांडेर, ग्वालियर, मेहगांव और अंबाह) का फायदा हो गया था। ये सीटें उसने कांग्रेस के कब्जे से छीन ली थीं। हालांकि पिछले सप्ताह ही कोलारस के भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी इस्तीफा देकर कांग्रेस में चले गए हैं। वहीं निकाय चुनाव में क्षेत्र के सभी दिग्गजों की मौजूदगी के बावजूद भी नुकसान उठाना पड़ा। इस कारण भी भाजपा अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है। पूरे अंचल में महापौर के अलावा निकाय के बोर्ड में भी भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। पिछले दो दिन से इस क्षेत्र में भाजपा के सभी दिग्गज नेता दस्तक दे रहे हैं। कांग्रेस भी अपनी सीटें बरकरार रखने ताकत लगा रही है।