जीएडी ही आदेश निकाले; ताकि डिप्टी कलेक्टर-तहसीलदार का ही प्रभार मिले, टेम्प्रेरी प्रमोशन पर मध्य प्रदेश राजस्व अधिकारी संघ ने निकाला दूसरा लेटर

भोपाल । मध्यप्रदेश में तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और नायब तहसीलदारों को तहसीलदार बनाने के मुद्दे पर मध्य प्रदेश राजस्व अधिकारी संघ ने 2 दिन में दूसरा लेटर जारी किया है। इसमें कहा है कि कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार को लेकर आदेश सामान्य प्रशासन विभाग ही निकाले। ताकि जिलों में उन्हें पदोन्नति उसी पद पर मिले, जो की गई है। इससे प्रभार के संबंध में दुविधा या दुरुपयोग नहीं होगा और अफसरों के सम्मान को ठेस भी नहीं पहुंचेंगी।
इससे पहले मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ ने मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री के नाम आवेदन भी सौंपे थे। जिसमें कहा गया था कि संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी ने यह निर्णय लिया है। जिसमें प्रभार स्वीकार न किए जाना शामिल हैं। हालांकि, संघ के पदाधिकारियों का कहना था कि यदि कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर या तहसीलदार का प्रभार दिया भी जा रहा है तो आदेश जीएडी ही जारी करें, न कि रेवेन्यू विभाग। ऐसा होने पर ही वे प्रभार लेंगे। पूर्व में राजस्व निरीक्षकों को कार्यवाहक नायब तहसीलदार बनाया गया था। बाद में यह प्रभार ले लिया गया। यदि जीएडी आदेश निकालता है तो सीधे भोपाल स्तर से ही प्रक्रिया की जाएगी।
दूसरा लेटर दो दिन बाद
राजस्व अधिकारी संघ ने दूसरा लेटर दो दिन बाद 23 फरवरी को ही निकाला, जो शुक्रवार को चर्चा में है। लेटर में प्रभार स्वीकार न किए जाने के कारण बताए गए हैं। बताया गया है कि जिन्हें प्रभार तो दिए जा रहे हैं, उनकी पदस्थापना जिलों में तहसीलदार पद पर ही की जाएगी। ऐसा ही तहसीलदार से कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर बनाए जाने वाले अफसरों को लेकर भी है। इसलिए नायब तहसीलदार से कार्यवाहक तहसीलदार के पद पर प्रभार दिए जाने के आदेश शासन स्तर से ही किया जाना चाहिए।
25 फरवरी के बाद जारी हो सकती है लिस्ट
बता दें कि मध्यप्रदेश सरकार करीब 200 सीनियर तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर बनाने जा रही है। ये तहसीलदार पिछले 7 साल से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। वर्ष 1999 से 2008 के बीच के तहसीलदार इस क्राइटेरिया में आ रहे हैं। जिनकी विभागीय जांच चल रही है, वे डिप्टी कलेक्टर नहीं बन पाएंगे। इधर, कुल 173 नायब तहसीलदारों को भी तहसीलदार का प्रभार दिए जाने की प्रोसेस चल रही है। 25 फरवरी के बाद लिस्ट भी जारी हो सकती है।
प्रमोशन का इंतजार कर रहे
मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ की मानें तो वर्ष 1999 से 2008 के बीच एमपी पीएससी के जरिए नायब तहसीलदारों की भर्ती की गई थी, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिला। यदि नियम के अनुसार प्रमोशन होता तो दो बार पदोन्नति हो जाती। अब तक वे जॉइंट कलेक्टर बन चुके होते, लेकिन पदोन्नति रुकने के कारण डिप्टी कलेक्टर भी नहीं बन सके। वर्तमान में 220 तहसीलदार हैं, जो पदोन्नति का रास्ता देख रहे हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जिन पर विभागीय जांच लंबित है। हालांकि, नियमित पदोन्नति और जीएडी से आदेश जारी होने की मांग के चलते एक बार फिर से यह मामला सुर्खियों में है।