भ्रष्टाचारी वरिष्ठ जिला पंजीयक की 94 लाख 61 हजार रूपये की संपत्ति राजसात, लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश ने सुनाया फैसला

भोपाल। राजधानी की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोपी तत्कालीन वरिष्ठ जिला पंजीयक भोपाल सोबरन सिंह अपोरिया की 94 लाख 61 हजार 922 रूपये की मूल्य की चल अचल संपत्ति को अधिग्रहण योग्य पाते हुए मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय अधिनियम 2011 की धारा-15 के अंतर्गत सभी विल्लंगमों से मुक्त मध्यप्रदेश राज्य के पक्ष में अधिग्रहित (राजसात ) किए जाने के आदेश पारित किए हैं। यह आदेश विशेष सत्र न्यायाधीश डॉ. धर्मेंद्र कुमार टाडा की अदालत ने विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त कार्यालय भोपाल की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए हैं। विशेष सत्र न्यायाधीश ने अपने 96 पेज के आदेश में प्रभावित को निर्देशित किया है, कि उपरोक्त चल एवं अचल संपत्ति का आधिपत्य कलेक्टर जिला भोपाल को सौंपे। आदेश के अनुसार प्रभावित की ओर से उपरोक्त संम्पत्तियों के वर्तमान बाजार मूल्य के बराबर नगद धनराशि जमा कराये जाने की दशा मे उक्त संपत्तियो अधिग्रहण (राजसात) किए जाने से मुक्त रहेंगी। मामले के अनुसार विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त कार्यालय भोपाल संभाग में तत्कालीन वरिष्ठ जिला पंजीयक भोपाल सोबरन सिंह अपोरिया के विरूद्ध सूत्र सूचना प्राप्त हुई कि वह लोकसेवक पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग में दिनांक 2 मई 1977 से उप पंजीयक एवं जनवरी 1992 से जिला पंजीयक के पद पर कार्यरत रहते हुए अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर अवैध लाभ अर्जित कर धन कमा रहा है। उक्त अवैध कमाई से स्वयं के एवं अपने पुत्रों एवं पत्नी के नाम पर भोपाल एवं इंदौर में मकान एवं वाहन आदि खरीदे गये हैं। और उसके द्वारा लगातार भ्रष्टाचार कर विभाग को राजस्व की हानि पहुंचाई जा रही है। सूचना के अनुसार उक्त लोक सेवक का वेतन तथा ज्ञात स्त्रोत से आय इतनी नहीं है, जितनी उसने संपत्ति अर्जित की है। विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त कार्यालय भोपाल ने सूचना मिलने के बाद 23 दिसंबर 2009 को मध्यप्रदेश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-13 (1) 13 (2) के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर जॉच शुरु की। विवेचना के दौरान सोबरन सिंह अपोरिया के भोपाल एवं इंदौर में मकान, वाहन एवं सोने चांदी के आभूषण व दस्तावेज आदि को जप्त किया गया था। विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त कार्यालय भोपाल द्वारा जांच के पश्चात अभियोजन स्वीकृति उपरांत आरोपी के विरूद्ध विशेष न्यायालय भोपाल में दिनांक 1 मई 2012 को चालान पेश किया गया था। 18 फरवरी 2015 को विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त कार्यालय भोपाल ने विशेष अदालत में याचिका दायर कर आरोपी की चल अचल संपत्ति को मध्यप्रदेश राज्य के पक्ष में अधिग्रहित (राजसात) किए जाने के आदेश पारित किए जाने की मांग की थी। सोबरन सिंह अपोरिया मूलत: ग्राम सीहोरी का पुरा मौजा धनेला तहसील व जिला मुरैना का निवासी होकर साधारण कृषक परिवार से है। पिता के पास लगभग 35.40 बीघा कृषि भूमि थी। आरोपी पॉच भाई हैं। जिनमें से एक का स्वर्गवास हो गया है। अनावेदक ने एमए तक की शिक्षा सेवा में आने के पूर्व प्राप्त की है, एवं मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से उप पंजीयक के पद पर चयनित होकर दिनांक 2 मई 1977 से सेवारत हैं। सेवा में आने के पश्चात एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की है। अनुसंधान में यह संदेह के परे प्रमाणित हुआ है, कि अपोरिया द्वारा घोषित आय से कहीं अधिक व्यय कर अचल संपत्तियो, जीवन बीमा, आईसीआईसीआई पू्रडेंसियल एवं
विलासितापूर्ण जीवनशैली पर भारी व्यय किया गया है।