मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों में 26 प्रतिशत बढ़ा भ्रष्टाचार, एक साल में 300 सरकारी अधिकारी-कर्मचारी हुए ट्रैप

भोपाल । मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की बीमारी दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। हमारे जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है जहां भ्रष्टाचार के दानव ने अपने पंजे न फैलाए हों। सरकारी दफ्तर नैतिक मूल्यों और आदर्शों का कब्रिस्तान बन गया है। देश की सबसे छोटी इकाई पंचायत से लेकर शीर्ष स्तर के दफ्तरों तक और लिपिक से लेकर बड़े अधिकारी तक बिना रिश्वत के आज सरकारी फाइल आगे नहीं बढ़ती है।
एमपी के सरकारी दफ्तरों में 26 फीसदी भ्रष्टाचारी अफसरों की संख्या बढ़ी है। लोकायुक्त की सालाना रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। एक साल के अंदर क़रीब 300 सरकारी अधिकारी-कर्मचारी को ट्रैप किया गया है। लोकायुक्त ने 25 सरकारी विभाग में पदस्थ कर्मचारियों के ठिकानों पर छापेमारी की है। 2021 में लोकायुक्त ने 252 भ्रष्टाचारियों को रिश्वत लेते पकड़ा था। 2021 की तुलना 2022 में 12 फीसदी ज्यादा केस दर्ज किए गए।
प्रदेश में रिश्वत लेने के मामले में पटवारी सचिव क्लर्क डॉक्टर डायरेक्टर इंजीनियर नायब तहसीलदार रेंजर सीईओ एसडीओ रेवेन्यू इंस्पेक्टर और पुलिसकर्मी समेत कई नाम शामिल है। पिछले 3 साल में 27 फ़ीसदी कर्मचारी राजस्व विभाग के रिश्वत लेते पकड़ाए हैं। पिछले 3 साल में 9 प्रतिशत पुलिसकर्मी रिश्वतखोरी करते ट्रैप हुए है। बता दें कि सरकारी दफ्तर रिश्वतखोरी का बड़ा अड्डा बने हुए हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा रिश्वतखोरी राज्य सरकारों के ऑफिसों में होती है। भ्रष्टाचार की दीमकें हमारी सारी व्यवस्था को खोखला कर रही हैं। इस बड़े कानून और लगाम नहीं लगाया गया तो यह करप्शन और बढ़ेगा। इसलिए कड़ी कार्रवाई जरूरी है।
सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार राज्य सरकारी दफ्तरों में
आपको बता दें कि सरकारी कार्यालय रिश्वतखोरी का बड़ा अड्डा बने हुए हैं। इनमें भी सबसे अधिक रिश्वतखोरी राज्य सरकारों के ऑफिसों में होती है। भ्रष्टाचार की दीमक सिस्टम की व्यवस्थाओं को खोखला करती जा रही है। इस बड़े कानून और लगाम नहीं लगाया गया तो करप्शन का स्तर और ज्यदा बढ़ेगा। ऐसे में कड़े कानून के साथ कारर्वाई जरूरी हो गया है।