मप्र: मेडिकल कालेजों में सीटें बढ़ीं, लेकिन उम्मीदवार हुए कम, चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने मैरिट सूची की जारी

भोपाल । मध्यप्रदेश में निजी और सरकारी मेडिकल कालेजों में एमडी-एमएस (स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम) की सीटें तो बढ गई है लेकिन इनमें प्रवेश लेने वाले उम्मीदवारों की संख्या कम हो गई । चिकित्सा शिक्षा संचालनालय (डीएमई) द्वारा बीते रोज मेरिट सूची जारी कर दी गई । इस सूची में सिर्फ दो हजार 658 उम्मीदवारों के ही नाम हैं, जबकि पिछले साल तीन हजार 50 उम्मीदवार मेरिट में थे। इस साल एमडी-एमएस कराने वाले कालेज और सीटों की संख्या बढ़ी है, लेकिन उम्मीदवार कम हो गए। जानकारों का कहना है कि इसकी कई वजह हैं, जिनमें एक यह भी है कि उम्मीदवारों को दूसरे राज्यों में अच्छे कालेज और विषय मिलने की उम्मीद रहती है। इस कारण वह मध्य प्रदेश के मूल निवासी या यहां से एमबीबीएस करने के बाद भी पीजी करने दूसरे राज्यों में चले जाते हैं। बता दें कि प्रदेश में पिछले साल छह सरकारी कालेजों में स्टेट कोटे की (सेवारत मिलाकर) 414 सीटें थीं, जबकि इस साल साल (2022-23) में 452 हो गई हैं। एमडी-एमएस कराने वाले कालेज छह से बढ़कर आठ हो गए हैं। निजी कालेजों में भी सीटें 599 से बढ़कर 774 हो गई हैं। इसी अनुपात में 15 प्रतिशत एनआरआइ सीटों की संख्या भी 116 हो गई हैं। इस तरह निजी कालेजों की 890 और सरकारी 452 सीट मिलाकर 1342 सीटों के लिए दो हजार 658 उदम्मीदवार मेरिट में हैं।नीट पीजी काउंसलिंग से जुड़े एक अन्य विशेषज्ञ का कहना है कि नीट में योग्य (क्वालिफाई) पाए गए उम्मीदवारों की संख्या कम होने की वजह से भी उम्मीदवारों की संख्या कम हो सकती है। पूर्व संयुक्त संचालक, चिकित्सा शिक्षा डा. एनएम श्रीवास्तव ने कहा कि गैर चिकित्सकीय विषयों में सीटें बढ़ रही हैं, लेकिन लेकिन डाक्टरों को इन विषयों में पीजी करने में रुचि नहीं रहती, क्योंकि उनकी प्रैक्टिस नहीं चलती और रोजगार के अवसर भी कम होते हैं। इसके अलावा कोर्ट केस और जोखिम होने की वजह से सर्जिकल विषयों में भी गैर सर्जिकल की तुलना में रुचि कम हुई है। तीसरी बात यह है कि कोविड के बाद से नीट पीजी की परीक्षा में देरी हुई है। उम्मीदवारों को लगता है कि अच्छे अंक नहीं होने की वजह से अच्छा कालेज और विषय नहीं मिलेगा, इस कारण वह अगली नीट पीजी की तैयारी करते हैं ।