राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मखौल: मप्र के कालेजों में 35 नए विषय बढ़े लेकिन शिक्षकों की नहीं हुई नियुक्ति

भोपाल। प्रदेश में सरकार ने सबसे पहले नई शिक्षा नीति को लागू कर बाजी तो मार ली है, लेकिन इस बार कॉलेजों में कई ऐसे विषय की पढ़ाई शुरू की गई है जिनके पर्याप्त शिक्षक ही नहीं हैं। जबकि प्रदेश में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत पहला सत्र पूरा हो गया है। फस्र्ट ईयर में करीब 35 नए सब्जेक्ट कॉलेजों में बढ़ गए हैं, लेकिन इनके हिसाब से टीचर्स की संख्या नहीं बढ़ाई गई। अब सेकंड ईयर में भी यह स्टूडेंट टीचर्स की कमी से परेशान होने वाले हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या वोकेशनल कोर्स की है और नियमानुसार इन्हें पढ़ाने के लिए रेगुलर फेकल्टी की ही जरूरत होगी। क्योंकि, इसके पहले जिन सेल्फ फाइनेंस कोर्स को गेस्ट फेकल्टी पढ़ा सकती थी, उन्हें इस साल से बंद कर दिया जाएगा।

हाल यह है कि इन वोकेशनल कोर्स में सबसे अधिक संख्या कंप्यूटर साइंस से जुड़े सब्जेक्ट हैं, लेकिन इनके लिए पूरे प्रदेश में जीरो रेगुलर फेकल्टी हैं, जबकि इस सब्जेक्ट के लिए प्रदेश में 95 पद टीचर्स के स्वीकृत भी हैं। यह हाल केवल कंप्यूटर साइंस का ही नहीं, बल्कि सभी 11 सब्जेक्ट का है।
5100 पदों को भरने के लिए कवायद चल रही
असल में कॉलेजों में प्रिंसीपल और बाकी गजैटिड पोस्ट समेत टीचिंग स्टॉफ के करीब 12 हजार पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 6900 पर रेगुलर फेकल्टी काम कर रही है और बाकी 5100 पदों को भरने के लिए कवायद चल रही है। हद तो यह है कि इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री मोहन यादव के पास भी जवाब नहीं है। स्टूडेंट की छात्र संख्या सबसे अधिक बीए, बीएससी और बीकॉम में रहती है, लेकिन इनमें ही टीचर्स की कमी से जूझना पड़ रहा है। इनमें भी सबसे महत्वपूर्ण सब्जेक्ट मैथ्स, केमिस्ट्री, कॉमर्स और फिजिक्स है। अच्छी बात यह है कि केमिस्ट्री, कॉमर्स और फिजिक्स के लिए विभाग की तरफ से कुल 2632 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 1635 पर ही रेगुलर टीचर्स काम कर रहे हैं। बॉटनी, मैथ्स और जूलॉजी में मिलाकर 1988 पद स्वीकृत हैं और इनमें 943 खाली हैं। इनके अलावा इंग्लिश के 755 में से 324, अर्थशास्त्र में 804 में से 291, पॉलिटिकल साइंस में 789 में से 286 पद रिक्त हैं।

57 फीसदी रिक्त पदों पर गेस्ट टीचर
प्रदेश में करीब 57 फीसदी रिक्त पदों पर गेस्ट टीचर से काम चलाया जा रहा है। अब समस्या यह है कि गेस्ट टीचर को अलग से ग्रांट नहीं दी जाती है तो ऐसे में वे रिसर्च वर्क भी नहीं करवा सकते हैं। इसी कारण प्रदेश के 1360 कॉलेजों में बीते 5 साल में 80 प्रतिशत तक रिसर्च कम हो गए हैं। वहीं उच्च शिक्षा विभाग मंत्री मोहन यादव का कहना है कि पद भरने की कवायद लगातार चल रही है। कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से इसमें देरी हुई। अब जल्दी यह समस्या हल हो जाएगी।

पीएचडी के नाम पर क्षमता से ज्यादा छात्रों को प्रवेश
बरकउतल्ला विवि (बीयू) में पीएचडी के नाम पर क्षमता से ज्यादा छात्रों को प्रवेश दे दिया गया है। वर्ष 2022-23 के लिए कराई गई पीएचडी में कुल 1842 सीटें खाली बताई गई थीं। इनके लिए 3500 स्टूडेंट ने एग्जाम दिए थे, इनमें से 1512 ने परीक्षा पास कर ली। लेकिन, अब समस्या यह है कि इतने स्टूडेंट के लिए गाइड नहीं हैं। विवि में भी सिर्फ 51 फैकल्टी ही रेगुलर हैं और बाकी गेस्ट लेक्चर हैं। नियमानुसार एक फैकल्टी अधिकतम 8 स्टूडेंट को ही पीएचडी के लिए गाइड कर सकते हैं। विवि प्रबंधन का कहना है कि अभी इंटरव्यू लिए जाएंगे और इसके बाद टेस्ट व इंटरव्यू को मिलाकर मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी। गाइड के लिए बीयू से जिन पीजी कॉलेजों ने संबद्धता ली है, वहां से कमी पूरी की जाएगी, लेकिन असल सवाल यह कि यह काम तो एंट्रेंस एग्जाम लेने से पहले किया जाता है। इसे गाइड की मैपिंग करना कहते हैं।