
न्यायाधीश नजीर बोले: औपनिवेशिक न्याय प्रणाली को बाहर करने का समय, जरूर पढ़ाया जाए प्राचीन भारतीय न्यायशास्त्र
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर ने रविवार को कहा कि देश में न्याय की व्यवस्था को औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकालना चाहिए। इसका सबसे निश्चित और कठिन रास्ता यही है कि कानून के छात्रों को हमारे देश के प्राचीन लेकिन उन्नत न्यायशास्त्र के बारे में पढ़ाया जाए।
उन्होंने कहा कि मनु, कौटिल्य, बृहस्पति और अन्य महान शख्सियतों ने जो कानूनी प्रावधान तैयार किए थे उनका अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है। न्यायाधीश नजीर ने कहा कि इस बात में कोई संशय नहीं है कि भारत की जनता के लिए औवनिवेशिक न्याय प्रणाली उपयुक्त नहीं है।
न्यायाधीश नजीर ने आगे कहा कि यह समय की मांग है कि देश की न्याय व्यवस्था का अब भारतीयकरण किया जाए। उन्होंने कहा कि यह बड़ा काम है और इसमें बहुत समय लगेगा लेकिन न्याय व्यवस्था को भारतीय समाज, विरासत और संस्कृति के हिसाब से ढालने का काम किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन न्याय प्रणाली में न्याय मांगने की बात निहित है। इसके विपरीत ब्रिटिश न्याय व्यवस्था में न्याय की गुहार लगाई जाती है, न्याय के लिए प्रार्थना करनी पड़ती है। न्यायाधीश ने कहा कि न्याय कोई अनुग्रह नहीं है यह जनता का अधिकार है और इसका सम्मान होना चाहिए।