ऐतिहासिक विरासत को सहेजे हैं, शहर के प्राचीन गणेश मंदिर

ग्वालियर। गणेशोत्सव का शुभारंभ आज से हो गया है। घर-घर में व गली-मोहल्लों में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा आज विराजित हो रही हैं। सात दिन तक चलने वाले गणेश उत्सव के चलते हर वर्ष शहर में धूम रहती है। लेकिन पिछले वर्ष से कोरोना के चलते यह उत्सव अब बहुत छोटे स्तर पर सिमट गया है। अब कोरोना गाइड लाइन को ध्यान में रखकर ही इसका आयोजन किया जाता है। गणेश चतुर्थि के अवसर पर हम आपको शहर के कुछ विशेष गणेश मंदिरों पर होने वाले मंदिरों से परिचय कराने जा रहे हैं। ये मंदिर हैं खासगी बाजार के मोटे गणेशजी, शिंदे की छावनी स्थित अर्जी वाले भगवान गणपति और निंबालकर की गोठ स्थित सिद्ध गणेश मंदिर। इन मंदिरों में क्या खास होता है इसकी जानकारी बायलाइन24.com ने ली है। प्रस्तुत है एक रिपोर्ट।
स्टेटकालीन है अर्जी वाले गणेश का मंदिर
शिंदे की छावनी स्थित अर्जी वाले गणेशजी का मंदिर ङ्क्षसधिया स्टेट के समय से स्थित है। इस मंदिर की देखभाल कर रहे खंडेलवाल परिवार के सदस्य वरुण खंडेलवाल ने बताया कि पहले इस मंदिर को पहले रिद्धी-सिद्धी वाले गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता था। बाद में भक्तों द्वारा लगाई जाने वाली अर्जी के बाद मन्नते पूरी होने से भक्तों ने ही इसका नाम अर्जी वाले गणेशजी रख दिया है। तब से अब सभी लोग इस मंदिर को अर्जी वाले गणेश मंदिर के नाम से ही जानते हैं। वरुण का कहना है कि यहां मान्यता है कि हर बुधवार को अर्जी लगाकर तीन परिक्रमा सात या 11 बुधवार को करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इस मंदिर में सभी भक्तों के लिए प्रति बुधवार को दोपहर से 1 से 3 बजे के बीच भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर के मुख्य संरक्षक ललित कुमार खंडेलवाल हैं। गणेशोत्सव के दौरान इस बार कोरोना गाइडलाइन की वजह कार्यक्रमों को सीमित रखा गया है। इसके अलावा यहां परिसर में स्थित कृष्ण मंदिर पर जन्माष्टमी पर्व भी बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मंदिर की देखभाल करने वाला खंडेलवाल परिवार पांचवी पीढ़ी है।

 

250 वर्ष पुराना इतिहास समेटे है सिद्ध गणेश मंदिर
निंबालकर की गोठ स्थित सिद्ध गणेश मंदिर 250 वर्ष पुराना है इसकी स्थापना 1828 में भक्त राजारम महाराज ने की थी। राजाराम हठ योगी अण्णा महाराज के अनन्य भक्त थे। मंदिर के बगल से भक्त राजाराम की समाधि भी है। इसके साथ मंदिर के बगल से हठ योगी अण्णा महाराज का मठ भी स्थित है। स्थानीय लोग बताते हैं अण्णा महाराज भी भगवान श्रीगणेश के भक्त थे। मंदिर की देखभाल कर रहे मुन्ना भैया ने बताया कि पिछले २० वर्ष से वे इस मंदिर का संरक्षण कर रहे हैं। गणेशोत्सव के दौरान मंदिर परिसर में हर वर्ष भागवत कथा का आयोजन किया जाता है। कोरोनाकाल की वजह से दो बार से यह आयोजन स्थगित रखा गया है। मंदिर में हर बुधवार को गणेश जी का खास शृंगार किया जाता है। इस शृंगार की बुकिंग वर्ष २०२३ तक फुल है। मुन्नाभैया बताते हैं कि शृंगार की पोषाक भी वे खुद ही तैयार करते हैं। गणेश चतुर्थी से सात दिन तक भगवान गणेश का भोग भी प्रतिदिन अलग-अलग लगता है। कभी लड्डू, मोदक तो कभी फलों का भोग लगाया जाता है। मंदिर की मान्यता है कि ११ परिक्रमा हर बुधवार को करने से लंबोदर सभी भक्तों की मन्नत पूरी करते हैं। इस बार कोरोनागाइड लाइन का पालन करते हुए भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

 

400 वर्ष पुराना है मोटे गणेशजी का मंदिर
खासगी बाजार स्थित मोटे गणेश जी का मंदिर लगभग 400 वर्ष प्रचीन है। इस मंदिर पर गणेशोत्सव में बहुत से आयोजन होते हैं। प्रतिदिन शृंगार होता है, भोग लगता है। मंदिर की देखभाल कर रहे भार्गव परिवार के सदस्य मनीष भार्गव ने बताया कि उनकी चौथी पीढ़ी है जो इस मंदिर का संरक्षण कर रही है। यह मंदिर काफी प्राचीन व सिद्ध मंदिर है। यहां लोगों की मन्नत पूरी होती है। गणेशोत्सव के दौरान इस बार कोरोना गाइड लाइन के चलते आयोजनों को सीमित रखा गया है। केवल शृंगार, भोग व साज सज्जा की गई है और भक्तों को दर्शन लाभ मिल रहा है। इसके अलावा और कोई खास आयोजन नहीं किए जा रहे हैं। भंडारा भी बहुत सीमित स्तर पर ही किया जाएगा। इसके अलावा वर्षभर इस मंदिर कोई न कोई आयोजन होते रहते हैं। दीपावली पर अन्नकूट आयोजन बहुत खास होता है।

 

(लेखक विवेक श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार है)

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