परिवहन कार्यालयों में भ्रष्टाचार का विक्रम अवार्डी बाबू ने किया खुलासा, लाइसेंस सीट की कीमत 1 लाख रुपए महीना

भोपाल।  प्रदेश के परिवहन कार्यालयों में चल रहे भ्रष्टाचार की पोल इंदौर आरटीओ के एक बाबू ने खोल दी है। बाबू ने शिकायत की है कि आरटीओ भ्रष्टाचार का एक बड़ा अड्डा बना हुआ है। यहां पर कोई भी काम बिना पैसे के नहीं होते हैं। हर सीट की कीमत होती है ये अब सिद्ध भी हो गया।
इंदौर के नायता मुंडला स्थित आरटीओ के लाइसेंस सेक्शन में बैठने वाले सहायक ग्रेड-3 अंकित राजू चिंतामण निवासी नॉर्थ कमाठीपुरा ने तेजाजी नगर थाना प्रभारी को एक गंभीर शिकायत दर्ज कराई। कहा गया कि 31 जनवरी को करीब दोपहर 2 बजे काम कर रहे थे कि सहायक वर्ग-दो आरपी गौतम ने मुझे अपने कैबिन में बुलाया। उन्होंने कहा कि लाइसेंस की सीट छोड़ दे नहीं तो मुझे एक लाख रुपए प्रति माह दें। मैंने जवाब में कहा कि मेरी तनख्वाह 20 हजार रुपए है तो एक लाख रुपए कहां से दूंगा। इन पर उन्होंने नाराज होकर मुझे जाति संबंधित व अपशब्द कहे। ये भी कहा कि हमारे सिर पर चढ़कर मत बैठ वर्ना मुझे देखना आता है।
वरिष्ठ व सीनियर अधिकारी होने से मैं उनकी बातें सुनता रहा। मुझे काफी दु:ख हुआ। चिंतामण ने शिकायत की जांच कर गौतम पर कार्रवाई करने की मांग की। चौंकाने वाली बात ये है कि चार दिन में जब कार्रवाई नहीं हुई तो आखिर में उसने तेजाजी नगर थाने के प्रभारी आरडी कानवा से मुलाकात कर शिकायत देकर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की। उस दौरान बलाई महासंघ के अध्यक्ष मनोज परमार भी साथ में मौजूद थे जिन्हें चिंतामण ने डर की वजह से बुलाया था। चर्चा के दौरान कानवा से कहा कि विभाग के बड़े अधिकारी उन्हें भ्रष्टाचार की राह दिखा रहे हैं। नहीं करने पर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

बता दें कि प्रदेश के अच्छे जिलों में इंदौर की पोस्टिंग मानी जाती है। इंदौर में वर्षों से आरपी गौतम पदस्थ हैं। कई बार तबादले भी हुए, लेकिन वे अपनी मजबूत पकड़ और विभाग के अफसरों से सांठगांठ के चलते फिर इंदौर आ जाते हैं। नौकरी का अधिकांश समय इंदौर में ही गुजरा। कोई भी सरकार आए, लेकिन गौतम की सल्तनत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
एजेंट ने भी की शिकायत
एजेंट विशाल व आनंद हंसराज ने तेजाजी नगर थाने पर गौतम के खिलाफ शिकायत की है। हंसराज का कहना है कि हम रविदास समाज से हैं। गौतम ने जाति संबंधित शब्दों का प्रयोग कर गालियां दी। विरोध करने पर जान से मारने की धमकी भी दी गई। एट्रोसिटी एक्ट व जान से मारने की धमकी का मुकदमा दर्ज किया जाए।
विक्रम अवार्डी हैं पीडि़त
गौरतलब है कि अर्जुन चिंतामण अजा वर्ग से ताल्लुख रखने के साथ खो-खो के अच्छे खिलाड़ी भी हैं। उनके खेल को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें विक्रम अवार्ड से सम्मानित भी किया था।