ग्वालियर के GRMC समेत प्रदेश के मेडिकल कालेजों में शुरू होगी इमरजेंसी मेडिसिन व पीएमआर की पढ़ाई

 

– प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कालेज में दो नए विभाग होंगे शुरू

भोपाल । एनएमसी के दिशा-निर्देश के अनुसार प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कालेज में सत्र 2022-23 में दो नए विभाग शुरू किए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश स्तर से दोनों विभागों के लिए पदों की स्वीकृति दे दी गई है। इन पदों पर भर्ती के बाद जल्द ही इमरजेंसी मेडिसिन व पीएमआर (फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन) विभाग का संचालन शुरू किया जाएगा। जल्द ही छात्र एमबीबीएस पाठयक्रम में इमरजेंसी मेडिसिन व पीएमआर के बारे में पढ़ सकेंगे। आगामी समय में एनएमसी (नेशनल मेडिकल काउंसिल) की स्वीकृति के बाद एमडी पाठ्यक्रम भी इन्हें पढ़ाया जाएगा।

दरअसल, एनएमसी के दिशा-निर्देश के अनुसार प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में इमरजेंसी मेडिसिन व पीएमआर पाठ्यक्रम इसी सत्र से आरंभ किया जाना है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग भोपाल द्वारा प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों से दोनों विभाग शुरू करने के लिए प्रस्ताव मांगे थे। इस पर ग्वालियर के जीआरएमसी (गजराराजा मेडिकल कालेज) सहित 13 कालेजों से प्रस्ताव विभाग को भेजे, जिसके आधार पर पदों की स्वीकृति दे दी गई है।

दोनों विभागों के लिए यह पद हुए स्वीकृत
इमरजेंसी मेडिसिन व पीएचआर विभाग के लिए अलग-अलग पद स्वीकृत हुए। इसमें एक-एक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के पद स्वीकृत हुए हैं, जबकि दोनों ही विभागों में अलग-अलग नौ सीनियर रेजिडेंट व नौ जूनियर रेजिडेंट की भी मांग की गई थी। फिलहाल इन पदों को यह कहते हुए टाल दिया गया कि मेडिकल कालेजों में सीनियर व जूनियर रेजिडेंट की उपलब्धता है, इसलिए वहीं से इसकी पूर्ति की जाए।
अस्पतालों में भी यूनिट होगी तैयार

अस्पतालों में भी इमजरेंसी मेडिसिन यूनिट तैयार की जाएगी। यह यूनिट कैजुअल्टी और ट्रामा सेंटर की तरह ही काम करेगी। इसमें इमरजेंसी मेडिसिन के विशेषज्ञ डाक्टर के साथ पूरा स्टाफ तैनात होगा। जो गंभीर मरीजों को तत्काल उपचार देंगे और सामान्य आपरेशन तक इस यूनिट में किए जा सकेंगे। इसी तरह से अस्पताल में पीएमआर की यूनिट में शारीरिक रूप से दिव्यांग मरीज का इलाज व पुनर्वास कराने संबंधित कार्य किया जाएगा।

इमरजेंसी मेडिसिन के संबंध में एनएमसी ने पहले ही दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। कालेजों के प्रस्ताव में जिन पदों की मांग की गई थी, उनकी स्वीकृति दे दी गई है।

निशांत बरबड़े, चिकित्सा शिक्षा आयुक्त भोपाल