मप्र में गड़बड़ी: गैर राप्रसे के अफसरों को नहीं दिया जा रहा IAS बनने का अवसर

Byline24.com ।मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है, जिसमें स्टेट सर्विस के अफसरों को सात सालों से आईएएस में सिलेक्शन ग्रेड देने का मौका ही नहीं दिया जा रहा है। खास बात यह है कि इस मामले में सरकार भी पूरी तरह से चिरनिद्रा में सोई नजर आने लगी है। प्रदेश में इसके लिए अंतिम बार 2015 यानि आठ साल पहले डीपीसी की गई थी, जिसके बाद कई ऐसे अफसर या तो सेवानिवृत्त हो गए हैं या फिर सेवानिवृत्ती की कगार पर आ गए, लेकिन उन्हें आईएएस बनने का मौका ही नहीं दिया गया है। मौजूदा समय की बात की जाए तो अभी सिलेक्शन ग्रेड का एक ही अफसर रह गया है जबकि एक समय ऐसा था जब प्रदेश में सिलेक्शन ग्रेड से आईएएस बनने वाले अफसरों का जलबा हुआ करता था। इसकी वजह से अब प्रदेश में प्रशासनिक सेवा के अफसरों को छोड़कर अन्य स्टेट सर्विस के अफसरों में निराशा का भाव पैदा हो चुका है।

प्रदेश में वर्ष 2015 में स्टेट सर्विस से आईएएस के पद पर सिलेक्शन ग्रेड से प्रमोशन देने के लिए डीपीसी की गई थी। उस समय प्रदेश के मुख्य सचिव अंटोनी डिसा थे। इसके लिए की गई डीपीसी के समय करीब 22 अफसरों का साक्षात्कार लिया गया था, जिसमें डॉ. मंजू शर्मा, संजय गुप्ता, शमीम उद्दीन और श्रीकांत पांडेय का आईएएस पद के लिए चयन किया गया था। इनमें से श्रीकांत पांडेय, मंजू शर्मा और शमीम उद्दीन अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि संजय गुप्ता अभी आयुक्त सहकारिता के अलावा डेयरी फेडरेशन के एमडी के पद पर कार्यरत हैं। हालात यह हैं कि उस समय साक्षात्कार में शामिल होने के बाद भी आईएएस अफसर नहीं बन पाए अफसरों में से कुछ रिटायर हो गए और बाकी को अब आईएएस बनने का मौका नहीं मिल पा रहा है।

सिलेक्शन ग्रेड से यह बन चुके आईएएस
पूर्व में प्रदेश के विभिन्न विभागों में काम करने वाले जो अफसर सिलेक्शन ग्रेड मिलने की वजह से आईएएस बने हैं उनमें प्रमुख रुप से उद्योग विभाग के एसके मिश्रा, व्हीके बाथम, अरुण भट्ट, इंजीनियरिंग से एसके वशिष्ठ, शहजाद खान, वसीम अख्तर, डीपी अहिरवार, एके भटनागर के अलावा सुभाष जैन जैसे अधिकारी सिलेक्शन ग्रेड से आईएएस बने। एसके मिश्रा और व्हीके बाथम प्रमुख सचिव पद तक पहुंचे। इनमें मिश्रा मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव भी रह चुके हैं।

राप्रसे के अफसर कर लेते हैं कब्जा
प्रदेश में गैर राप्रसे से सिलेक्शन ग्रेड में 4 प्रतिशत के हिसाब से 17 पद स्वीकृत हैं और नए कॉडर रिव्यू में इनकी संख्या 19 होने की संभावना बनी हुई है, लेकिन राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अपने साथियों को प्रमोशन दिलाने के लिए जीएडी कार्मिक में यूनियन के जरिए दबाव बनाकर इन सिलेक्शन ग्रेड के पदों को अपने कॉडर में शामिल कराकर उसका फायदा उठा लेते हैं। खास बात यह है कि इस मामले में दो बार कैट में भी याचिका लगाई जा चुकी है।

इस सबंध में एक पूर्व आईएएस अफसर का कहना है कि गैर राप्रसे के अधिकारियों को सिलेक्शन ग्रेड में प्रमोशन न मिले, इसके लिए राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जीएडी कार्मिक को मैनेज कर सिलेक्शन ग्रेड के पदों को राप्रसे की संख्या में शामिल करवा लेते हैं, जिससे स्टेट सर्विस के लोग आईएएस बनने से वंचित रह जाते हैं। वहीं एक अन्य पूर्व आईएएस अफसर का कहना है कि राज्य सरकार जानबूझकर स्टेट सर्विस के लोगों का हक मार रही है।

कॉडर में पद स्वीकृत होने के बाद भी गैर राप्रसे के अधिकारियों के लिए डीपीसी नहीं कराई जाती है। यह केंद्र सरकार के नियम और संविधान के खिलाफ है। क्योंकि सिलेक्शन ग्रेड में आईएएस बनाने के लिए डीओपीटी ने बाकायदा पद बना रखे हैं।