इस साल दुनिया भर में रिकॉर्ड संख्या में पत्रकारों को जेल में डाला गया या हत्या हुई: रिपोर्ट
समिति की रिपोर्ट, जिसे इसके संपादकीय निदेशक अर्लीन गेट्ज़ ने लिखा है, में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस दौरान कम से कम 24 पत्रकार उनकी रिपोर्ट के संबंध में मारे गए, जबकि 18 अन्य हताहत हुए हैं.
हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है कि क्या उन्हें विशेष रूप से उनके काम के लिए ही निशाना बनाया गया था.
इन मृतकों में भारत से तीन व्यक्ति हैं, जिसमें बीएनएन न्यूज के अविनाश झा, जिनकी हाल ही में बिहार में मेडिकल माफियाओं को लेकर खुलासा करने के बाद हत्या कर दी गई थी, सुदर्शन टीवी के मनीष कुमार सिंह और पुलित्जर विजेता रॉयटर्स के पत्रकार दानिश सिद्दीकी, जिनकी तालिबान ने हत्या कर दी थी, शामिल हैं.
सबसे ज्यादा पत्रकारों को जेल में रखने के मामले में चीन लगातार तीसरे साल पहले स्थान पर रहा है, जहां रिपोर्ट के मुताबिक 50 पत्रकार जेल में बंद हैं.
इसके बाद दूसरे नबंर पर म्यायांर में 26 पत्रकार जेल में बंद हैं. खास बात ये है कि इससे पहले साल 2020 में यहां एक भी पत्रकार जेल में नहीं था, लेकिन इस साल फरवरी में सैन्य तख्तापलट कर निर्वाचित आंग सांग सू की सरकार को बेदखल करने के बाद पत्रकारों की स्थिति खराब हुई है.
इसके बाद मिस्त्र, वियतनाम और बेलारूस का नंबर आता है.
ध्यान देने वाली बात यह है कि सीपीजे की रिपोर्ट में सिर्फ इस साल एक दिसंबर तक जेल में बंद पत्रकारों का ही आंकड़ा है, इसमें ये नहीं बताया गया है कि इस पूरे साल में कुल कितनों को जेल में डाला गया और कितने रिहा हुए थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इस समय सात पत्रकार जेल में हैं, जिसमें कश्मीर नैरेटर के आसिफ सुल्तान, प्रभात संकेत के तनवीर वारसी और पांच फ्रीलांसर- क्रमश: आनंद तेलतुम्बड़े, गौतम नवलखा, मनन डार, राजीव शर्मा और सिद्दीक कप्पन शामिल हैं.
इसी तरह कई चर्चित पत्रकार जैसे कि चीन की 37 वर्षीय पत्रकार झांग झान, जिन्होंने कोरोना वायरस के शुरुआत में चीनी सरकार के दावों के विपरीत वुहान के अस्पतालों में मरीजों की भीड़ दिखाई थी, बेलारूस के पत्रकार रमन प्रतसेविच और खेल पत्रकार ऑलेक्जेंडर इवुलिन इत्यादि जेलों में बंद हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 17 पत्रकारों को साइबर अपराध के आरोप में जेल में डाला गया है. पश्चिम अफ्रीकी देश बेनिन में दो पत्रकारों पर देश के डिजिटल कोड के तहत आरोप लगाए गए हैं, जो मीडिया की स्वतंत्रता पर एक बड़े खतरे के रूप में देखा जाता है.
एक दिसंबर तक जेल में बंद 293 में से 40 महिलाएं हैं. इस रिपोर्ट को तैयार करने के दौरान उत्तरी अमेरिका में किसी पत्रकार को जेल में नहीं डाला गया था.
मालूम हो कि भारत में पत्रकारों को नए डिजिटल मीडिया नियमों, पेगासस स्पायवेयर इत्यादि के जरिये डराने-धमकाने की कोशिश की जा रही है.
Ucuz Sanal Sunucu çok teşekkür!
thx muc admin
thanks admin
how muc many
thank you admin
thank you admin
thank you admin
thank you admin
thx