अमूल और मदर डेयरी के दूध में भी मिलावट? करोडों उपभोक्ताओं से दूध के नाम पर अरबों रुपयों की लूट

नई दिल्ली । मदर डेयरी और अमूल जैसी कॉर्पोरेट दूध की कंपनियां यदि तय मानकों के अनुसार अपने उपभोक्ताओं को दूध उपलब्ध नहीं करती हैं 10 महीने में नौ बार दूध के दाम बढ़ाने के बाद भी पानी मिला हुआ दूध खुलेआम बेचकर सरकार और उपभोक्ताओं की आंखों में धूल झोंक रही हैं। दूध के नाम पर नामी गिरामी कंपनियों द्वारा अपने ही उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है। उपभोक्ताओं से विश्वासघात किया जा रहा है। दूध के नाम पर मिलावटी दूध बेचा जा रहा है। अमूल और मदर डेयरी जैसी कंपनी यदि अपने उपभोक्ता के साथ विश्वासघात कर रही हैं। ऐसी स्थिति में इन्हें कड़ा दंड दिए जाने की जरूरत है। केवल जुर्माने से काम नहीं चलेगा। पिछले महीनो मे सभी बड़ी कंपनियों ने दूध के दाम बढ़ाए।इनकी देखा देखी अन्य कंपनियों ने भी दूध के दाम बढ़ाए हैं। सारे देश में 60 रूपये प्रति लीटर से कम पर पैक दूध कहीं पर भी नहीं मिल रहा है।इसके बाद भी कंपनियों द्वारा दूध के नाम पर कम गुणवत्ता वाला दूध उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराया जा रहा है। करोड़ों रुपए का दूध हर दिन यह कंपनियां बेच रही हैं। हर दिन उपभोक्ताओं के साथ अरबो रुपए की लूट कर रही हैं। बच्चों को इन कंपनियों के दूध के पीने से ताकत मिलेगी या नहीं, यह कहना भी अब मुश्किल हो गया है। कहा जाता है बच्चों को दूध पिलाने से उनकी हड्डियां मजबूत होती हैं। दूध को सबसे बढ़िया पोषण आहार माना जाता है। मिलावटी दूध से बच्चों की हड्डियां कैसे मजबूत होगी। बच्चे कैसे कुपोषण से बचेंगे।
कंपनियों के पैक दूध में जांच के बाद मिलावट पाई गई है। तो इससे बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता है। महंगा दूध उपभोक्ता खरीदता है। उसे विश्वास होता है, कि उसने कंपनी का दूध खरीदा है। दूध की क्वालिटी बेहतर होगी। लेकिन बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने ही उपभोक्ताओं को खुलेआम ठग रही हैं।
हाल ही में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा जो जांच रिपोर्ट प्रकाशित की है। उसको पढ़ने के बाद सभी को हैरानी होगी।दूध में मिलावट करने वाले अब गली मोहल्ले में दूध बेचने वाले नहीं, वरन् बड़ी-बड़ी कंपनियां मिलावटी दूध बेचने में शामिल है। जांच में मदर डेयरी और अमूल के दूध में जो गुणवत्ता होनी चाहिए थी। वह गुणवत्ता नहीं पाई गई। वह भी मिलावटी दूध बेच रहे हैं। कंपनियों के दूध में जो फेट और वसा होना चाहिए, वह मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया। फुल क्रीम दूध में भी जांच के पश्चात मानक के अनुसार फैट और वसा की मात्रा नहीं पाई गई।
गाजियाबाद की खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने मदर डेयरी और अमूल के दूध की जांच कराई थी। दोनों कंपनियों का दूध,गुणवत्ता के अनुसार सही नहीं पाया गया। जांच के पश्चात यह मामला एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया। एसडीएम कोर्ट द्वारा अमूल पर 8 लाख 24000 का जुर्माना लगाया। वहीं मदर डेरी पर 7 लाख 10000 का जुर्माना लगाया। दोनों कंपनियों ने लगातार अपने दूध के दाम बढ़ाए हैं। दूध की जो क्वालिटी होनी चाहिए। उस क्वालिटी का दूध नहीं बेचा गया। उपभोक्ताओं के साथ करोड़ों रुपए प्रतिदिन की ठगी यह नामी गिरामी कंपनियां खुलेआम कर रही हैं। नाम मात्र का जुर्माना करके इन्हें छोड़ दिया जा रहा है। इनकी जगह जेल में होनी चाहिए थी। पिछले 10 महीना में दूध की कीमतों को 9 बार कंपनियों द्वारा बढ़ाया गया है।इन कंपनियों का एकाधिकार हो गया है। जुर्माने की कार्यवाही से इन कंपनियों को डर भी नहीं लगता है। जो जुर्माना इन पर लगाया जाता है। उससे कई गुना ज्यादा कमाई प्रतिदिन दूध बेचकर यह कंपनियां कर रही हैं। बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। बच्चों की हड्डियां कमजोर हो रही है। दूध कंपनियां उपभोक्ताओं के साथ लूट करके प्रतिदिन करोड़ों रुपए कमा रही हैं।
सबसे बड़े आश्चर्य की बात है, टोन फुल क्रीम वाले दूध में भी मानक के अनुसार गुणवत्ता नहीं पाई गई। जो गुणवत्ता तय की गई है। 2018 में भी मदर डेयरी और अमूल के दूध की जांच की गई थी। उस समय भी इन कंपनियों के दूध को अमानक पाया गया था।
दिल्ली सरकार की जांच रिपोर्ट में यह पाया गया था, कि उक्त कंपनी के दूध में पानी की मिलावट तय मानक से ज्यादा है। दूध नकली और सिंथेटिक तो नहीं था। लेकिन दूध में पाउडर और पानी मिलाने की बात सही पाई गई थी। 2022 में एडीएम कोर्ट द्वारा 12 मिलावटखोरों पर 14 लाख 12000 रुपए का जुर्माना लगाया गया था। उस समय भी सबसे ज्यादा जुर्माना मदर डेरी पर लगा था। इसके बाद भी दूध की क्वालिटी में कोई सुधार नहीं हुआ। अमूल और मदर डेयरी लाखों लीटर दूध अपने उपभोक्ताओं को प्रतिदिन बेचती है।
दूध की शुद्धता को बरकरार रखने के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया द्वारा नए नियम लागू करने का ऐलान किया था।उसकी जांच में 41फीसदी प्रोसैस्ड और कच्चा दूध क्वालिटी के मामले में घटिया पाया गया। नामी गिरामी दूध कंपनियों द्वारा बेचे जा रहे,दूध में फैट और वसा की मात्रा के मानकों से कम है। जो उपभोक्ताओं के साथ बड़ा धोखा है। सबसे बड़ी खराब बात यह है,कि सरकार पैक दूध को खरीदने के लिए उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करती है। उपभोक्ताओं के हितों में सरकार ने कानून बनाए हैं। वहीं कंपनियों द्वारा संगठित रूप से एकाधिकार के बल पर उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। सरकार को इन पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। केवल जुर्माना करने से काम नहीं चलेगा। कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों को जब भेजना होगा तभी इस तरह की लूट को रोका जा सकता है।