नया टैरिफ 1 अप्रैल से लागू: चुनाव साल बिजली उपभोक्ताओं को राहत, नियामक आयोग ने नहीं बढ़ाया टैरिफ

भोपाल । हर साल उपभोक्ताओं पर बिजली बिल का भार डालने वाले नियामक आयोग ने चुनावी साल में उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने 2024-25 के लिए बिजली का नया टैरिफ जारी किया है उसमें किसी भी तरह के टैरिफ को नहीं बढ़ाया है। इससे उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। कम से कम जुलाई-अगस्त तक उपभोक्ताओं को फिलहाल बिजली बिल के करंट से छुटकारा मिल गया है। मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने इस बार सिर्फ नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों की बिजली को महंगा किया है। इससे आम आदमी पर कोई बोझ नहीं आएगा। पहले नगर पंचायतों को 5.68 रुपए प्रति यूनिट पर बिजली मिलती थी। इसे अब 5.86 रुपए प्रति यूनिट कर दिया है। वहीं ग्राम पंचायतों को 5.40 रुपए प्रति यूनिट में बिजली दी जाती थी। अब ग्राम पंचायतों को 5.55 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलेगी। वहीं इनके सरचार्ज में भी इजाफा किया गया है। सरचार्ज में 10 रुपए का इजाफा किया गया है।
गौरतलब है कि प्रदेश की बिजली कंपनियां फ्यूल एंड पावर पर्चेस एडजेस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) के नाम पर हर महीने बिजली का टैरिफ बढ़ा रही हैं। प्रदेश में एफपीपीएएस पिछले साल अप्रैल से लागू हुआ है। पहली बार बिजली कंपनियों ने 8.41 फीसदी सरचार्ज वसूला था। केंद्र सरकार ने घाटे के आधार पर फ्यूल एंड पावर पर्चेस एडजेस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) वसूलने के अधिकार बिजली कंपनियों को दिए हैं।

प्रदेश की बिजली कंपनियों की याचिका की सुनवाई करते हुए मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने 2024-25 के लिए बिजली का नया टैरिफ जारी कर दिया है। नए टैरिफ में इस बार घरेलू, गैर घरेलू, कृषि सहित किसी भी तरह के टैरिफ को नहीं बढ़ाया है। चुनाव के चलते प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को यह राहत मिल गई, जबकि पिछले दो साल में बिजली कंपनियों की याचिका पर बिजली के टैरिफ में 4.29 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। चुनावी साल में हर बार बिजली उपभोक्ताओं को राहत मिल जाती है। पिछले साल मप्र में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 17 नवंबर को होना था। चुनाव के चलते बिजली कंपनियों ने 1 पैसे का भी सरचार्ज नहीं लगाया है। इससे पहले भी प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के चलते टैरिफ से राहत मिली है। साल 2018 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना थे। तब प्रदेश की बिजली कंपनियों ने घाटा बताते ही बिजली के टैरिफ में 3.9 फीसदी का इजाफा करने की मांग थी, लेकिन विनियामक आयोग ने टैरिफ में इजाफा नहीं किया था। इसी तरह साल 2013 में विधानसभा चुनाव होना थे। तब बिजली कंपनियों ने 9.38 फीसदी तक बिजली के टैरिफ में बढ़ोतरी की याचिका दायर की थी, लेकिन विनियामक आयोग ने सिर्फ 0.77 फीसदी का मामूली इजाफा किया था।

चुनाव साल खत्म होने के बाद टैरिफ में भारी- भरकम बढोतरी होना भी तय है। लोकसभा चुनाव के बाद घाटे की भरपाई के लिए बिजली कंपनियां सरचार्ज बढ़ाएंगी। अभी दो से तीन महीने तो प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को राहत रहेगी। इसके बाद हर महीने लगने वाले सरचार्ज में इजाफा होगा। इसके बाद अगले वित्तीय वर्ष में बिजली के टैरिफ में 4 से 5 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है।

वहीं अब बिना बिजली जलाए आने वाला बिल नहीं आएगा। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली का नया टैरिफ भी जारी कर दिया है। नया टैरिफ 1 अप्रैल से लागू किया जाएगा और इसमें महज 0।07 फीसदी का इजाफा किया गया है। साथ ही आयोग ने बिलों पर लगने वाले मीटरिंग प्रभार और न्यूनतम प्रभार को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। इससे प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को बिजली बिल में राहत मिलेगी। बता दें कि ये पहला मौका है जब न्यूनतम प्रभार पहली बार खत्म किया गया है। यानी आपने बिजली नहीं जलाई तो बिल भी नहीं आएगा। उधर टैरिफ में जो 0.07 फ़ीसदी का इजाफा किया गया है वह भी सिर्फ स्ट्रीट लाइट वाली बिजली के लिए किया गया है। यानी आम घरेलू उपभोक्ताओं पर बिजली की दरों में बढ़ोतरी का कोई असर नहीं होगा।

घरेलू बिजली के अलावा गैर घरेलू औद्योगिक और कृषि की बिजली घरों में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी की गई नई दरों में ई व्हीकल चार्जिंग स्टेशन के लिए बिजली महंगी कर दी गई है। अभी इनकी दरें 6.79 रुपए प्रति यूनिट थीं, जिसे बढ़ाकर 6.190 प्रति यूनिट कर दिया गया है। हालांकि, ऐसे चार्जिंग स्टेशन जिनका लोड 112 किलोवाट से ज्यादा है, उन्हें फायदा दिया गया है। ऐसे चार्जिंग स्टेशन को अब 6.96 प्रति यूनिट के स्थान पर 6.90 प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बिल देना होगा।

गौरतलब है की बिजली कंपनियों द्वारा अपनी याचिका में 2046 करोड़ का घाटा दिखाते हुए बिजली की दरों में 3.86 प्रतिशत की बढ़ोतरी किए जाने का प्रस्ताव रखा था। देश के अधिकांश राज्यों में बिजली कंपनियों का एक सिस्टम है जिसमें बिजली कनेक्शन और मीटर के लिए एक मिनिमम चार्ज उपभोक्ताओं से वसूला जाता है। इसके तहत कोई शख्स अपने घर या प्रतिष्ठान में बिजली कनेक्शन लेता है तो उसे एक अमाउंट सरचार्ज के रुप में पे करना होता है। मगर मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के नए फैसले के तहत बिजली नहीं जलाने और घर-प्रतिष्ठान बंद होने पर कंपनियां न्यूनतम सरचार्ज नहीं वसूल सकतीं