3 दिसंबर के बाद IAS-IPS का भविष्य होगा तय: कमलनाथ बनवा रहे भाजपा के लिए काम करने अधिकारियों की सूची, ग्वालियर समेत अन्य जिलों के अधिकारियों पर गिरेगी गाज

 

 

भोपाल/ ग्वालियर।मध्य प्रदेश में 230 सीटों पर विधानसभा चुनाव के लिए मतदान सम्पन्न हो गया है।अब तीन दिसंबर को परिणाम का इंतज़ार है।इस  तारीख़ को तय हो जाएगा कि किस राजनैतिक पार्टी की सरकार मध्य प्रदेश में राज करेगी।उसके बाद जो भी सरकार बनेगी वह इन ‘ईमानदार’ अफसरों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। इसकी आशंका अभी से जताई जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची बनवा रहे हैं। भाजपा का हथियार बनकर काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारी भी लोकतंत्र के हत्यारे हैं। रणनीति बनाएंगे कि इनके साथ कैसा व्यवहार हो, कहां पदस्थापना की जाए। -दो दिन में सारे लोगों के नाम आ जाएंगे। सूत्रों की मानें तो जिन अफसरों ने चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश पर ईमानदारी के साथ काम किया है, वे राजनीतिक पार्टियों के निशाने पर हैं। चुनाव के दौरान कई मतदान केंद्रों में अधिकारियों और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच विवाद भी हुआ। कुछ स्थानों पर कलेक्टरों और पार्टी उम्मीदवारों के बीच झड़प भी हुई। दोनों दलों ने कई कलेक्टरों और एसपी के खिलाफ चुनाव आयोग को शिकायत भी की है। यह इस बात का संकेत है कि तीन दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद सरकार चाहे जिसकी बने, अफसरों पर गाज गिरना तय है। इसमें उन अफसरों की ज्यादा मुसीबत है, जिन्होंने चुनाव आयोग के निर्देशानुसार नियमानुसार सख्त कार्रवाई की है।

मध्य प्रदेश में मतदान का नया रिकॉर्ड क्या बना समीकरण भांपने वाले अफसर भी न्यूट्रल नजर आ रहे हैं। अधिकांश अफसरों को समझ नहीं आ रहा है कि झुकाव किस ओर रखा जाए। ऐसे में अफसरों ने बीच का रास्ता निकालना शुरू कर दिया है और ये रास्ता है न्यूट्रल बने रहना। ऐसे अफसर बड़े नेताओं तक भी सूचना पहुंचा रहे हैं कि आचार संहिता की मर्यादा के कारण उन्हें न्यूट्रल बना रहना पड़ रहा है। उधर, नई सरकार में काम और विकास का खाका कैसा होगा। लंबे समय से अपनी बारी का इंतजार कर रहे इन्वेस्टर्स ने इसका खाका तैयार करके रखा है। वहीं पुराने स्तंभ भी अपनी नई प्लानिंग पूरी कर चुके हैं। वेटिंग और रनिंग मैनेजर्स की प्लानिंग बनकर तैयार है। अब इंतजार हो रहा है तो सिर्फ नतीजों का। अब जिस पाली के पक्ष में नतीजे आएंगे, उनके प्लेयर्स के चौके-छक्के लगना तय है।
कई जिलों के कलेक्टर-एसपी टारगेट पर
जानकारी के अनुसार छतरपुर जिला प्रशासन ने कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम सिंह नातीराजा की शिकायत पर भाजपा प्रत्याशी अरविंद पटेरिया संहित बीस लोगों के खिलाफ हत्या सहित अन्य गंभीर अपराधों के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है। भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ प्रकरण दर्ज होने से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी नाराज है। नाराजगी का कारण यह है कि बिना जांच किए कांग्रेस पार्टी के दबाव में पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया। लेकिन इससे कांग्रेस भी नाराज है, कांग्रेस पार्टी का कहना है कि पुलिस ने प्रकरण दर्ज करने में देरी की और आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद दिग्विजय सिंह ने खजुराहो पहुंचकर धरना भी दिया। अब सरकार चाहे जिसकी बने छतरपुर जिले के कलेक्टर व एसपी पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। भिंड कलेक्टर व एसपी के खिलाफ सत्तारूढ़ दल भाजपा के साथ कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग को शिकायत की है कि प्रशासन की सख्ती के कारण लोग मतदान नहीं कर पाए। मुरैना कलेक्टर व एसपी की कार्रवाई से कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता बाहुत नाराज हैं। स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने तो चुनाव परिणाम के बाद कलेक्टर एसपी को देख लेने तक की धमकी दी है। कांग्रेस का आरोप है कि जिला प्रशासन पूरी तरह से दिमनी के भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के लिए कार्य कर रहा है। इंदौर कलेक्टर की भी कांग्रेस के कुछ नेताओं ने चुनाव आयोग को लिखित में शिकायत की है और कहा कि भाजपा के लिए कार्य कर रहे हैं। धार एसपी पर भी कांग्रेस नेताओं ने भाजपा के लिए खुलेआम काम करने का आरोप लगाया है। सीधी एसपी और कलेक्टर की मनमानी से कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष चुरहट से प्रत्याशी अजय सिंह तथा पूर्व मंत्री व सिंहावल से कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल काफी नाराज है। सीधी कलेक्टर व एसपी के खिलाफ चुनाव आयोग में भी शिकायते की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह व कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक के बीच जिस तरह से बहस हुई वह सबके सामने है। इससे यह साफ है कि तीन दिसंबर के चुनाव परिणाम के बाद सरकार जिसकी भी बने कुछ अफसरों का नपना तय है। नपने का मतलब अधिकारियों को वर्तमान पदस्थापना से हटाकर अन्यत्र पदस्थ किया जाएगा।