हॉट सीट ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल-जयसिंह कुशवाह का विरोध वयोवृद्ध भाजपा प्रत्याशी माया सिंह के लिए क्या मुश्किलें खड़ी करेगा ?

राजेश शुक्ला, ग्वालियर। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। अगली सरकार किस पार्टी की बनेगी , इसका ताला राजधानी में है और इसकी चाबी ग्वालियर अंचल से ही किसी दल को मिलेगी। ग्वालियर जिले की दो हॉट सीट जिसमें ग्वालियर पूर्व और ग्वालियर दक्षिण है ,यहां पर भाजपा-कांग्रेस और अन्य दलों के प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। अब चुनाव में जिसको टिकट मिला है वह खुश है जिसे नहीं मिला है वह दुखी है। यद्यपि जो दुखी है वह अपनी पार्टी के प्रत्याशी को चुनाव जीतने में सहयोग करेगा या नहीं यह तो समय ही बताएगा।

हाल ही में मध्य प्रदेश भाजपा ने सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल को टिकट न देकर वयोवृद्ध माया सिंह को चुनावी समर में खड़ा कर दिया है।इसका विरोध दर्ज करने के लिए इतिहास में पहली बार जय विलास पैलेस में मुन्ना समर्थकों ने सिंधिया के खिलाफ नारेबाजी की और खुलकर अपना विरोध प्रकट किया। विरोध के बाद गोयल मीडिया में सुर्खी तो बन गए, लेकिन उन्हें यह भी अच्छी तरह से ज्ञान होगा कि भाजपा में एक बार उम्मीदवार घोषित होने के बाद बहुत ही कम उदाहरण देखने को मिलता है कि प्रत्याशी बदला हो। गोयल के समर्थकों का विरोध प्रकट करना जाया गया लेकिन इसके इंपैक्ट क्या होंगे इस पर चिंतन करना भाजपा के लिये बहुत  ही आवश्यक है?

पहले सपा उसके बाद कांग्रेस और फिर भाजपा में आने के बाद मुन्नालाल गोयल ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य विधायकों के साथ मिलकर 2020 में कमलनाथ सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई। भाजपा में आने से पहले वह कांग्रेस से मिले टिकट पर ग्वालियर पूर्व की विधानसभा जीते थे उसके बाद उपचुनाव में वह भाजपा से टिकट न मिलने पर कांग्रेस में आए सतीश सिकरवार से अपनी सीट गंवा बैठे। मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें बीज निगम का अध्यक्ष भी बनाया लेकिन टिकट पाने की दौड़ में वह पिछड़ गए। भाजपा ने माया सिंह को टिकट दे दिया। बताया जाता है कि इससे पूर्व माया सिंह ने महापौर का चुनाव लड़ने से बीमारियों का हवाला देकर इनकार कर दिया था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में मुन्नालाल गोयल का चुनावी सर्वे कराया तो वहां बिछड़ते दिखाई दिए इस कारण से मजबूत कैंडिडेट न मिलने के कारण माया सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया।

ग्वालियर पूर्व से भाजपा प्रत्याशी बनी माया सिंह भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाली पूर्व संसद सदस्य हैं। वह मध्य प्रदेश सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं, जिनके पास 2016 तक ‘महिला एवं बाल विकास’ और 2016 से दिसंबर 2018 तक ‘शहरी विकास और आवास’ विभाग था। ग्वालियर के राज परिवार से संबंध रखने वाली माया सिंह की छवि स्वच्छ है और वह लोगों को प्रभावित भी करती हैं।

इधर मुन्नालाल गोयल चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके थे उन्हें विश्वास था की टिकट उनको ही प्राप्त होगा। चूँकि टिकट नहीं मिला है तो उनका विरोध जगजाहिर हो गया है , ऐसे में वह माया सिंह के समर्थन में रहेंगे या नहीं इस पर प्रश्न चिन्ह है।

ग्वालियर पूर्व के कई लोगों से चर्चा में सामने आया कि गोयल के समर्थक विशेष कर वैश्य समाज गोयल को टिकट मिलने की उम्मीद कर रहा था पर पर टिकट न मिलने के बाद विशेषकर यह समाज प्रसन्न नहीं है। अंदर खाने की चर्चा है कि इसका प्रभाव माया सिंह के चुनाव परिणाम पर भारी पड़ेगा इसमें कोई दो राय नहीं है।

ग्वालियर पूर्व के कई लोग बताते हैं कि मुन्नालाल गोयल को किसी भी पार्टी की विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है। चर्चा तो यह भी है कि वैश्य समाज का कोई प्रभावशाली व्यक्ति निर्दलीय भी चुनाव में उतर सकता है। इसका फायदा किसे मिलेगा यह सभी को मालूम है।

इधर माया सिंह का टिकट फ़ाइनल होने के बाद ग्वालियर पूर्व  विधानसभा के अन्य वरिष्ठ नेता भी अपना विरोध विरोध प्रकट कर रहे हैं। इनमें साड़ा के पूर्व अध्यक्ष जयसिंह कुशवाहा और आधा दर्जन भाजपा के नेता हैं शामिल हैं ।जयसिंह कुशवाहा ने  तो पार्टी की प्रारंभिक की सदस्यता से इस्तीफ़ा भी दे दिया ।अन्य भाजपा नेता पार्टी की विचारधारा से जुड़े हुए हैं इस कारण से वे खुलकर विरोध प्रकट नहीं कर रहे हैं, लेकिन माया सिंह के लिए इनका अंदरुनी विरोध भारी साबित होगा। अंततोगत्वा ग्वालियर चम्बल चुनावी रण क्षेत्र की क्रोनोलाजी भी यही बताती है।