सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश अब हिंदी में मिलेंगे, जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर बैंच के आदेश होंगे ट्रांसलेट

ग्वालियर /भोपाल। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश अब हिंदी में पढऩे को मिलेंगे। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रमुख आदेशों को हिंदी में ट्रांसलेट करना शुरू कर दिया है। इन्हें हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड करना शुरू कर दिया है। लोगों को अपनी भाषा में कोर्ट को आदेश समझ आ सके, उसके लिए यह व्यवस्था की है। अभी एप्रूव फोर रिर्पोटिंग (एएफआर) व लेड डाउन जमेंट ही हिंदी में आएंगे। इन आदेश में कानून की व्यख्या की जाती है ज्यादा लोगों को प्रभावित करते हैं।
वैसे सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट की भाषा अंग्रेजी है। यहां से जो आदेश निकलते हैं, वह अंग्रेजी में रहते हैं, लेकिन अंग्रेजी आम लोगों को समझ में नहीं आती है और लोगों को आदेश को समझने के लिए दूसरों का सहारा लेना पड़ता है। लोगों को अपनी भाषा में आदेश मिल सके, इसके लिए लंबे समय से कवायद की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेशों को हिंदी में दिए जाने का आदेश दिया था, जिसके बाद से कवायद की जा रही थी। अंत में यह इंतजार खत्म हो गया है। जबलपुर के चार जजों के आदेशों को हिंदी में अपलोड कर दिया है। ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर के आदेश हिंदी में अपलोड होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के प्रदेश से जुड़े आदेश मिलेंगे हिंदी में
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के किसी मामले में फैसला किया है तो वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की वेबसाइट पर हिंदी में मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश संबंधित के आदेश हिंदी में दिया जाएगा। ग्वालियर- इंदौर, जबलपुर बैंच के अंग्रेजी व हिंदी के आदेश एक साथ लोगों को मिलेंगे। ट्रांसलेटर कम होने की वजह से दिक्कत आ रही है, लेकिन ट्रांसलेशन के लिए सॉफ्टवेयर की व्यवस्था की जा रही है, उसके आने के बाद हर आदेश हिंदी में मिलेगा और अंग्रेजी के आदेश के साथ अपलोड हो जाएगा। हाईकोर्ट वेबसाइट एमपीएचसी.जीओवी.इन पर हिंदी के आदेश की लिंक दी गई है। पिटीशन नंबर, जज, तारीख के हिसाब से आदेश को सर्च कर सकते हैं। हिंदी का आदेश लोगों के समझने के लिए है। इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं। आदेश के नीचे स्पष्ट नोट लिखा गया है।

ग्वालियर की हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने जमानत याचिकाओं में अनोखी शर्तें जोड़ी थी,, लेकिन शर्तें अंग्रेज में होने की वजह से लोगों को समझ में नहीं आती थी, लेकिन हाईकोर्ट ने शर्तों को हिंदी में लिखना शुरू किया। आदेश अंग्रेजी में था, लेकिन शर्तें हिंदी में लिखी गई, जिससे व्यक्ति समझ में आ गया।