सीएम की घोषणा के 10 माह बाद भी श्योपुर- मुरैना जिले के 55 गांवों के किसानों को कैसे मिलेगा सिंचाई का पानी ?

ग्वालियर । श्योपुर और मुरैना जिले के आधा सैकड़ा गांवों के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चेंटीखेड़ा बांध के लिए भले ही मुख्यमंत्री पिछले साल मार्च में एक माह में स्वीकृत करने की घोषणा कर गए थे लेकिन 10 माह बीतने के बाद भी परियोजना का प्रशासकीय स्वीकृति का इंतजार है। हालांकि नवंबर में विभाग की साधिकार समिति की बैठक में चर्चा के बाद परियोजना को प्राथमिकता सूची में शामिल कर लिया गयालेकिन प्रशासकीय स्वीकृति अभी तक नहीं मिली है।यही वजह है कि बांध निर्माण की प्रक्रिया लटक गई। जिसके चलते अब ग्रामीणों और किसानों में आक्रोश व्याप्त है।
विजयपुर क्षेत्र की क्वारी नदी पर चेंटीखेड़ा बांध की मांग सालों पुरानी है। इसी के तहत 10 माह पहले 12 मार्च को कराहल में आयोजित एक कार्यक्रम में आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंच से इसकी घोषणा की और विभागीय अधिकारियों को एक माह में प्रस्ताव भेजकर स्वीकृत किए जाने की बात कही। विशेष बात यह है कि विभाग ने नए सिरे से डीपीआर तैयार कर शासन को प्रस्ताव भी भिजवा दिया लेकिन 10 महीने बीत गए हैं और बांध को अभी तक प्रशासकीय स्वीकृति का इंतजार बना हुआ है।
दो जिलों के 55 गांवों के किसान होंगे लाभान्वित
जलसंसाधन विभाग द्वारा तैयार किए स्टीमेट के मुताबिक चेंटीखेड़ा सिंचाई परियोजना से श्योपुर और मुरैना जिले के 55 गांवों को लाभ मिलेगा और 15 हजार 300 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई प्रस्तावित है। इनमें श्येापुर जिले के विजयपुर विकासखंड के 39 गांवों की 11 हजार 188 हेक्टेयर और मुरैना जिले के सबलगढ़ विकासखंड के 16 गांवों की 4 हजार 112 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई का पानी मिलेगा।
539 करोड़ है बांध की अनुमानित लागत
जलसंसाधन विभाग के अनुसार चेंटीखेड़ा सिंचाई परियोजना की अनुमानित लागत 539 करोड़ रुपए आंकी गई है। प्रस्ताव के मुताबिक 90 करोड़ 27 लाख की लागत से मुख्य बांध निर्माण और 212 करोड़ 68 लाख में पाइप लाइन वितरण प्रणाली का निर्माण कार्य होगा। जबकि शेष निजी सरकारी व वन भूमि के अधिग्रहण डूब प्रभावित परिवारों को पुनर्वास आदि कार्यों पर खर्च होगी।