क्षमताओं का विकास करने के लिए संगठन को मज़बूत करना ज़रूरी

ग्वालियर : आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की और दया एवं करुणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित 4 दिवसीय मैडिटेशन शिविर के तीसरे दिन ब्रह्माकुमारीज के युवा प्रभाग के द्वारा  “उठो जगत के वास्ते”  कार्यक्रम स्थानीय सेवाकेंद्र प्रभु उपहार भवन माधौगंज में सम्पन्न हुआ |  कार्यक्रम खास युवाओं के लिए रखा गया था जिसका आयोजन दो सत्रों में हुआ प्रथम सत्र में लाइब्रेरी के छात्रों के लिए एवं दूसरे सत्र सामजिक संस्थाओं के युवाओं के लिए रखा गया जिसमें लगभग 600 युवाओं ने भाग लिया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ तत्पश्चात बी. के. गीता दीदी सभी को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे किसी पत्थर को श्रेष्ठ भावना से तराशा जाये और किसी विशेष समय या अच्छे दिन पर उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाए तो वही प्रतिमा सर्व के द्वारा वन्दनीय, पूज्यनीय बन जाती है । जीवन को भी तराशना पड़ता है, गड़ना पड़ता है । जीवन मिला सबको है परन्तु उसे तराशने की कला कोई कोई के पास होती है । विशेषताएं, खूबियाँ, क्षमताएं हर किसी में है परन्तु उस क्षमता के बीज को उन्नत करना हम सबका फर्ज है । अगर हम अपने जीवन को जन-उपयोगी, समाज-उपयोगी, परिवार-उपयोगी नहीं बनाते है तो यह भी हमारे ऊपर एक बड़ा कर्जा है । दीदी जी ने बताया कि अपनी क्षमताओं का विकास करने के लिए हमें अपनी TEAM का सदुपयोग करने की आवश्यकता है । हमारे अन्दर में भी एक TEAM है जो निरंतर हमारे साथ काम कर रही है । और एक अच्छा टीम लीडर वही होता है जो अपनी टीम को व्यवस्थित कर सके । उन्होंने बताया कि हमारी टीम है :
T- THOUGHTS
E- EMOTIONS
A- ATTITUDE
M – MANAGE
एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के निर्माण के लिए हमें अपनी का प्रभावी ठंग से उपयोग करने कि आवश्यकता है। कार्यक्रम में गरीब मजदूर सेवार्थ पाठशाला के शिक्षकों को एवं अन्य सामाजिक संस्थाओं के युवाओं को सम्मानित भी किया गया।

इसके पश्चात् एक दूसरा कार्यक्रम वर्ल्ड अस्थमा डे के उपलक्ष्य में ब्रह्माकुमारीज मेडिकल विंग एवं पी.एम.पी. एसोसिएसन ऑफ़ इंडिया की ग्वालियर ब्रांच के सयुंक्त तत्वधान में आयोजित किया गया| जिसमे मुख्य रूप से बी.के. गीता दीदी (भीनमाल), आई.एम्. ए.ग्वालियर के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. अनुपम ठाकुर (चेस्ट एवं टी.बी. विशेषज्ञ,) साथ ही पी.एम.पी. एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कश्यप बी.के. डॉ. गुरचरण भाई, ब्रह्माकुमारीज लश्कर प्रभारी बी.के. आदर्श दीदी एवं पी. एम. पी. एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, ग्वालियर ब्रांच के डॉक्टर्स उपस्थित थे|

कार्यक्रम में अस्थमा के विषय में डॉ. अनुपम ठाकुर ने बताया कि जब कभी हमें किसी बीमारी के विषय में जागरूकता नहीं होती तो हम उस बीमारी को न समझ पाने के कारण से कई अनुमान बीमारी के प्रति लगा लेते है जिसके परिणाम कभी भी हमारे हित में नहीं होते । इसीलिये आवश्यक है कि हम बीमारियों के विषय में स्वयं को जागरूक करते रहे इसीलिये बीच बीच में यह दिवस जागरूकता के लिए आवश्यक होते है । वास्तव में अस्थमा एक ऐसे बिमारी है जिसके रोकथाम के लिए यदि प्रारंभिक स्तर पर उपाय कर लिए जाए तो इसके प्रभाव से बचा जा सकता है । स्थानीय सेवाकेंद्र के वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षक बी. के. गुरचरन ने कहा कि मैडिटेशन का नियमित अभ्यास न केवल तन की वरन हमारे मानसिक स्वास्थ्य के प्रबंधन के लिए भी अति आवश्यक है ।

बी.के. गीता दीदी जी ने सभी चिकित्सकों को शुभ भावना देते हुए कहा कि आज सबको शरीर   के साथ – साथ मानसिक रूप से स्वस्थ होना भी अनिवार्य है | क्योंकि आज शारीरिक रूप से तो लोग बीमार हैं ही परन्तु मानसिक बीमारी की परसेंटेज बहुत ज़्यादा बढ़ गयी है और इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण है – तनाव | लेकिन  तनाव से मुक्त होने का सबसे अच्छा तरीका है कि स्वयं से बातें करें, आन्तरिक चेकिंग करें की मेरे  अन्दर क्या – क्या आ गया है जो मेरे यूज़ का नहीं है और उसे डिलीट करें जिस प्रकार हम कंप्यूटर या मोबाइल में करते हैं तो आप देखेंगे आपकी कार्य करने की क्षमता भी बढ़ेगी और रोगी बनने से भी आप मुक्त हो जायेंगे |
कार्यक्रम में डॉ. प्रदीप कश्यप ने भी अपनी शुभकामनाएँ रखी एवं बी. के. आदर्श दीदी ने सभी को राजयोग ध्यान की अनुभूति भी कराई |
कार्यक्रम के अंत मे सभी डॉक्टर्स का सम्मान भी किया गया।

*एक और अन्य सत्र में* घर गृहस्थ में रहने वाले युगल भाई बहनों के लिए मैडिटेशन सत्र आयोजित किया गया । जिसमें गीता दीदी जी ने कहा: वर्त्तमान समय ईश्वरीय वरदान प्राप्त करने का विशेष समय है । पवित्रता के सागर सर्वशक्तिमान परमात्मा शिव इस कलियुग के अंत में हम सभी के लिए पवित्रता का वरदान लेकर आये है । पिता परमात्मा हम सभी को मन, वचन, कर्म से पवित्र बनाने की शिक्षा और शक्ति दोनों ही देते है । अनेक कथा कहानियाँ तथा भक्ति के विधि-विधान में भी पवित्रता, पवित्र संकल्प, पवित्र बोल, और पवित्र शुभभावना,  शुभकामना सम्पन्न कर्म का विशेष महत्व है । जीवन में सुख, शांति और धैर्यता को धारण करने के लिए भक्ति कर अनेकों विधी-विधान किये है । परन्तु उसमे जो मिसिंग थी वह हैं हमारी आतंरिक शक्तियां । वह परिवर्तन  जो जीवन को नया स्वरुप प्रदान करता है । उन आतंरिक शक्तियों को धारण करना परमात्म ज्ञान तथा राजयोग से ही संभव है । राजयोग वह विधी है जिसके माध्यम से आत्मा का पवित्रता के सागर परमात्मा के साथ कनेक्शन जुड़ जाता है तथा परमात्म शक्तियां मानव जीवन में व्याप्त समस्त नकारात्मक उर्जा तथा संकल्पों को सकारात्मक, रचनात्मक शक्तियों में परिवर्तित कर देती है ।

इस अवसर पर बी. के. प्रहलाद, बी.के. लक्ष्मी, बी.के. ज्योति दीदी, बी. के. पवन, बी.के. जीतू, बी.के. खुशबू , बी. के. विजेंद्र, बी.के. संजय, बी.के. सुरभि सहित संस्थान के अनेक लोग उपस्थित थे |