छेड़खानी की रिपोर्ट दर्ज कराने वाले पिता और गवाही देने वाली महिला को कोर्ट ने भेजा जेल 

अपराधी को सजा सुनाते हुए जज को कई बार सुना होगा, लेकिन जिले के इतिहास में शायद यह पहली बार है जब मुकदमा दर्ज कराने वाले को ही सजा दी गई है। बेटी से छेड़खानी की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने और गवाही देने वाली महिला को दोषी पाए जाने पर सात दिन जेल की सजा सुनाई है। साथ ही अर्थदंड भी लगाया गया है।

विशेष लोक अभियोजक संतोष कुमार सिंह, प्रदीप भारद्वाज के अनुसार थाना मिरहची के एक गांव निवासी पीड़िता ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

इसमें बताया कि 19 जुलाई 2017 को पीड़िता की बेटी फीस जमा करने के लिए स्कूल जा रही थी। रास्ते में आरोपी शेर सिंह निवासी नगला ख्याली थाना मिरहची, एक अन्य लड़के ने बेटी से छेड़खानी की। बाइक पर जबरन बैठा लिया था। वहां से गुजर रहे लोगों के डांटने पर छोड़कर भाग गए थे।

बेटी ने पूरी बात मां को बताई। घटना के लगभग एक माह बाद 24 अगस्त को मां ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने रिपोर्ट के बाद जांच की। इसके बाद आरोपी को जेल भेजा था।

चार्जशीट कोर्ट में दायर की। बुधवार को मामले में सुनवाई हुई। विशेष लोक अभियोजक संतोष कुमार सिंह, प्रदीप भारद्वाज ने संयुक्त रूप से बताया कि पीएसटी में बतौर गवाह गलत गवाही दी है और गलत अभियोग दर्ज किया गया।

बाद में धारा 344 में मुकदमा दर्ज हुआ। बताया कि पुलिसवालों के कहने पर बयान दिए थे। सुनवाई के दौरान यह सब सुनने के बाद अपर जिला जज/विशेष न्यायाधीश एक्सक्लूसिव कोर्ट पॉक्सो एक्ट ने वादी रही को ही दोषी माना। जज ने सात दिन की सजा सुनाई साथ ही पांच सौ रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड अदा न करने पर दो दिन जेल में और रहना पड़ेगा।

विशेष लोक अभियोजक प्रदीप भारद्वाज के अनुसार जिले में यह पहला ही मामला होगा जिसमें वादी को ही सजा हो गई है। झूठी गवाही देने के मामले में गवाह को ही कठघरे में खड़ा होना साथ ही उसे जेल भी जाना पड़ा।

जानकारों का कहना है कि द्वेष भावना एवं रंजिश में झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई जाती हैं। जिले में पुलिस जांच में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। बुधवार को झूठी छेड़खानी के मामले में सजा होने के बाद समाज में एक संदेश भी जाएगा और लोग झूठी छेड़खानी का मुकदमा कराने से पहले सोचेंगे।

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